Author: IASbook

नीति (NITI) आयोग की संरचना और प्रकार्य : इसकी समकालीन प्रासंगिकता

प्रश्न : नीति (NITI) आयोग की संरचना और प्रकार्यों का उल्लेख कीजिए। साथ ही, इसकी समकालीन प्रासंगिकता पर भी टिप्पणी कीजिए। […]...

पृथ्वी का ऊष्मा बजट : पृथ्वी के ऊष्मा बजट पर वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (GHGS) की बढ़ती सांद्रता

प्रश्न: स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी का उष्मा बजट बनाए रखने में सहायता करता है। पृथ्वी […]...

कच्चे माल और उद्योगों की अवस्थिति के मध्य सम्बन्धों का संक्षेप में वर्णन : वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के प्रभाव

प्रश्न: कच्चे माल और उद्योगों की अवस्थिति के मध्य संबंध स्पष्ट कीजिए। वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति इस संबंध को कैसे […]...

जल-संभर (वाटरशेड) की अवधारणा और वाटरशेड के विकास के अर्थ : इस संबंध में की गई पहलों उल्लेख

प्रश्न: भारत में जल संभर (वाटरशेड) विकास के महत्व पर प्रकाश डालिए। भारत में जल संभर प्रबंधन की दिशा में […]...

जनसांख्यिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्था : भारत के तीसरी अवस्था तक संक्रमण को दर्शाने वाले कारकों

प्रश्न: भारत जनसांख्यिकीय संक्रमण से गुजर रहा है जिसके निहितार्थ बहुआयामी हैं। विश्लेषण कीजिए। दृष्टिकोण जनसांख्यिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं […]...

भारत में महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा की समस्या : सामाजिक स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता और कानूनी उपाय

प्रश्न: महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा की समस्या को दूर करने हेतु केवल कानूनी उपाय ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि […]...

वर्साय की संधि : वर्साय की संधि सुलह पर आधारित शांति समझौता नहीं थी बल्कि जर्मनी पर थोपी गई ‘आदेशित शांति’

प्रश्न: वर्साय की संधि सुलह पर आधारित शांति समझौता नहीं थी, बल्कि जर्मनी पर थोपी गई ‘आदेशित शांति’ थी, जिसने […]...

राज्यों का पुनर्गठन : स्वतंत्रता के बाद राज्यों के पुनर्गठन के विभिन्न चरण

प्रश्न: स्वातंत्र्योत्तर भारत में राज्यों का पुनर्गठन अलग-अलग सहायक कारकों के साथ एक सतत प्रक्रिया रही है। विश्लेषण कीजिए। दृष्टिकोण […]...

बंगाल विभाजन : स्वदेशी आंदोलन की सफलताओं और कमियों की विवेचना

प्रश्न: बंगाल विभाजन के लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या करते हुए, इसके आलोक में आरंभ किए गए स्वदेशी आंदोलन की सफलताओं […]...

सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों : उन्नीसवीं सदी वस्तुतः पारंपरिक संस्कृति के पश्चगामी तत्वों के विरूद्ध संघर्ष की साक्षी बनी

प्रश्न:  उन्नीसवीं सदी वस्तुतः पारंपरिक संस्कृति के पश्चगामी तत्वों के विरूद्ध संघर्ष की साक्षी बनी। सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों के संदर्भ में […]...