Category: भारतीय समाज

धर्मनिरपेक्षता : सिद्धांत और व्यवहार

इसे पढ़ने के बाद आप – “धर्मनिरपेक्षता” शब्द के उद्भव और पृष्ठभूमि के बारे में बता सकेंगे धर्मनिरपेक्षता की संकल्पना […]...

पंथनिरपेक्षता की पाश्चात्य अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन : भारतीय पंथनिरपेक्षता, सभी धर्मों के प्रति समान आदर सुनिश्चित करने हेतु राज्य और धर्म के कठोर पृथक्करण के विचार से परे है।

प्रश्न: भारत में पंथनिरपेक्षता, राज्य और धर्म के कठोर पृथक्करण के बजाय सभी धर्मों के प्रति समान आदर के विचार […]...

संयुक्त एवं एकल परिवारों के मध्य अंतर

प्रश्न: यह इंगित किया गया है कि हाल के समय में, जहाँ शहरी क्षेत्रों में एकल परिवारों की आनुपातिक हिस्सेदारी […]...

भारतीय समाज में मध्यम वर्ग की अवधारणा की व्याख्या

प्रश्न: किसी देश की विकास प्रक्रिया में मध्यम वर्ग के महत्व की व्याख्या करते हुए, उन आधारों की चर्चा कीजिए […]...

अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक अवस्थिति : भारत में जनजातियों को शिक्षा प्रदान करने में सामने आने वाली चुनौतियां

प्रश्न: अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक अवस्थिति में उत्थान के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण मार्ग है। इस सन्दर्भ में, भारत में जनजातियों […]...

लैंगिक असमानता : भारत जैसे अंतर्निहित पितृसत्तात्मक स्वरूप वाले समाज में श्रम के भेदभावपूर्ण विभाजन

प्रश्न: महिलाओं को जीवन के निजी क्षेत्र तक सीमित करना, भारत में लैंगिक असमानता और शोषण के पीछे मुख्य कारण […]...

शहरीकरण और इसके परिणामस्वरूप पड़ने वाले प्रभाव

प्रश्न: तीव्र शहरीकरण न केवल शहरी क्षेत्रों के अभावों को दूर करने की मांग करता है अपितु इसके कारण ग्रामीण […]...

धर्मनिरपेक्षता की भारतीय अवधारणा

प्रश्न: क्या राज्य द्वारा सभी धर्मों के प्रति एक समान आदर और सार्वजनिक संस्थागत प्रक्रियाओं से धर्म के पृथक्करण संबंधी धर्मनिरपेक्षता […]...

जनसांख्यिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्था : भारत के तीसरी अवस्था तक संक्रमण को दर्शाने वाले कारकों

प्रश्न: भारत जनसांख्यिकीय संक्रमण से गुजर रहा है जिसके निहितार्थ बहुआयामी हैं। विश्लेषण कीजिए। दृष्टिकोण जनसांख्यिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं […]...

भारत में महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा की समस्या : सामाजिक स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता और कानूनी उपाय

प्रश्न: महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा की समस्या को दूर करने हेतु केवल कानूनी उपाय ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि […]...