भारतीय समाज में मध्यम वर्ग की अवधारणा की व्याख्या

प्रश्न: किसी देश की विकास प्रक्रिया में मध्यम वर्ग के महत्व की व्याख्या करते हुए, उन आधारों की चर्चा कीजिए जिन पर कुछ लोगों के द्वारा भारतीय मध्यम वर्ग की आलोचना की जाती है।

दृष्टिकोण

  • भारतीय समाज में मध्यम वर्ग की अवधारणा की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • देश की विकास प्रक्रिया में मध्यम वर्ग के महत्व की व्याख्या कीजिए।
  • उन आधारों का उल्लेख कीजिए जिन पर मध्यम वर्ग की आलोचना की जाती है और तदनुसार निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

द नेशनल कॉउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च, मध्यम वर्ग को ऐसे परिवारों के रूप में परिभाषित करती है जिनकी वार्षिक आय 2001-02 के मूल्यों के आधार पर प्रति वर्ष 2 से 10 लाख के मध्य है। यह श्रेणी गरीबी रेखा से काफी ऊपर है और इसके पास अपने अनुसार व्यय करने हेतु पर्याप्त राशि होती है। भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद ‘नब मध्यम वर्ग’ की संख्या में अत्यंत वृद्धि देखी गई। ऐसा विशेषकर IT और BPO उद्योगों के उभरने के कारण हुआ।

मध्यम वर्ग देश की विकास प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए:

  •  एक मजबूत मध्यम वर्ग सुशिक्षित होने के कारण मानव पूँजी के विकास को प्रोत्साहित करता है।
  • यह माँग का एक स्थायी आधार निर्मित करता है और उद्योगों के विकास में सहायता करता है।
  • इस वर्ग द्वारा की गई बचत का प्रयोग निवेश के एक स्रोत के रूप में किया जा सकता है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि को आगे बढ़ा सकता है।
  • कर संग्रहण में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है, जिसका प्रयोग आगे चलकर आय के पुनर्वितरण और सार्वजनिक वस्तुओं व अवसंरचना के विकास में किया जाता है।
  • मध्यम वर्ग के उभार के साथ-साथ राजनीतिक संस्थाओं की गुणवत्ता भी सुधरती है क्योंकि यह वर्ग अपेक्षाकृत अधिक जागरूक व अपने अधिकारों के लिए संघर्ष को लेकर अधिक प्रतिबद्ध होता है।
  • मध्यम वर्ग समाज के आधुनिकीकरण में अग्रणी भूमिका निभाता है और इस प्रकार वह समाज को अधिक गतिशील व लचीला बनाता है।

जहाँ भारत में मध्यम वर्ग का विस्तार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखा जा रहा है, वहीं निम्नलिखित बातों के लिए प्राय: इसकी आलोचना की जाती है:

  • भारत में मध्यम वर्ग पर प्राय: ‘स्व अपवर्जन’ अर्थात् समाज से स्वयं को अलग करने का आरोप लगाया जाता है; चारदीवारी में बंद समुदाय (गेटेड कस्युनिटी), आवश्यक सेवाओं (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा आदि) के लिए भी निजी क्षेत्र का प्रयोग करना इसका उदाहरण है।
  • भारत में मध्यम वर्ग की संवृद्धि मुख्यत: निम्न मध्यम वर्ग (जो अभी भी उन्हीं कार्यों में संलग्न हैं जो गरीबों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के समान हैं अर्थात कृषि तथा निर्माण गतिविधियाँ) द्वारा संचालित है।
  • मध्यम वर्ग के भीतर तथा इसके और अन्य वर्गों के बीच भी गहरी असमानताएं विद्यमान हैं। उदारीकरण के प्रमुख लाभप्राप्तकर्ता उच्च मध्यम वर्ग से संबंधित हैं और उच्च भुगतान वाली सेवाओं (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, वित्त इत्यादि) में कार्यरत है।
  • नव मध्यम वर्ग में उच्च जाति के हिन्दुओं का वर्चस्व है। अन्य सामाजिक समूह जैसे अनुसूचित जनजातियाँ व अनुसूचित जातियाँ तथा अन्य पिछड़े वर्ग, मध्यम वर्ग के भीतर ही अल्पाधिकार प्राप्त और वंचित समूहों के अंतर्गत आते हैं।

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