वायुदाब पेटियों की संक्षिप्त व्याख्या

प्रश्न :वायुदाब पेटियों के वैश्विक वितरण और वायुमंडल में सामान्य परिसंचरण के प्रतिरूप की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • वायुदाब पेटियों की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • विश्व भर में वायुदाब पेटियों के वितरण का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  • वायुमंडल में सामान्य परिसंचरण के प्रतिरूप की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

उत्तरः

वायुदाब पेटी पृथ्वी पर अवस्थित ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ विभिन्न स्थानों पर प्राप्त ऊर्जा के ऋतुवत और स्थानिक परिवर्तन के कारण उत्पन्न उच्च दाब प्रकोष्ठों या निम्न दाब प्रकोष्ठों की प्रबलता पाई जाती है। ये सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ दोलन करते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में ये शीत ऋतु में दक्षिण की ओर और ग्रीष्म ऋतु में उत्तर की ओर गति करते हैं। वायुदाब पेटियों का वैश्विक वितरण निम्नानुसार है:

  • विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब पेटी: विषुवत रेखीय क्षेत्र (10 डिग्री उत्तर और दक्षिण) सूर्यातप की उच्चतम मात्रा प्राप्त करते हैं। इस प्रकार तापन के कारण धरातल के संपर्क में आने वाली वायु धाराएं ऊर्ध्वाधर रूप में (संवहन) ऊपर उठती है। इसके कारण विषुवतीय निम्न वायुदाब क्षेत्र का निर्माण होता है। इस पेटी को अत्यधिक शांत वायु संचलनों के कारण डोलड्रम के रूप में भी वर्णित किया जाता है। क्षोभमंडल के शीर्ष तक पहुँचने के बाद ऊपर की ओर उठती हुई वायु उच्च अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती है।
  • उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी: ऊपर की ओर उठी हुई वायु जब 30 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों पर पहुंचती है, तो इसके तापमान में कमी हो जाती है और यह धीरे-धीरे अवतलित हो जाती है। उपोष्ण क्षेत्र में वायु का यह संचय एक उपोष्ण उच्चदाब निर्मित करता है। उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र के संगत अक्षांशों को अश्व अक्षांश कहते हैं।
  • उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी: मध्य अक्षांशों (60 डिग्री उत्तर और दक्षिण) में, उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र से आने वाली गर्म वायु ध्रुवों से आने वाली ठंडी वायु पर अध्यारोपित हो जाती है जिससे उपध्रुवीय निम्न दाब क्षेत्र का निर्माण होता है। यह निम्न वायुदाब पेटी गतिकीय रूप से निर्मित होती है तथा यह वातारों के निर्माण (frontogenesis) या समशीतोष्ण चक्रवातों के निर्माण का क्षेत्र होती है।
  • ध्रुवीय उच्च दाब पेटी: ध्रुवों (90 डिग्री उत्तर और दक्षिण) पर, उपध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठंडी सघन वायु ध्रुवों की ओर गति करती है तथा अपतलित होती है जिससे ध्रुवीय उच्च वायुदाब क्षेत्र का निर्माण होता है।

वायुमंडल में सामान्य परिसंचरण प्रतिरूप

भूमंडलीय पवनों के संचलन के वैश्विक प्रतिरूप को वायुमंडल का सामान्य परिसंचरण कहा जाता है। कोरिऑलिस बल के प्रभाव के कारण ये पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर मुड़ जाती है। वायुमंडल में सामान्य परिसंचरण प्रतिरूप इस प्रकार है:

  • व्यापारिक पवनें: पवनें उपोष्णकटिबंधीय उच्च वायु दाब क्षेत्र से विषुवतीय निम्न वायु दाब क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है जिसके फलस्वरूप वे विषुवत रेखा पर अभिसरित होती हैं। इसे अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) कहा जाता है। विषुवत रेखा की ओर वायु की इन पृष्ठीय गतियों को दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व व्यापारिक पवनों तथा उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व व्यापारिक पवनों के रूप में वर्णित किया जाता है।
  • पछुआ पवनें: मध्य अक्षांशों में, उपोष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब क्षेत्र पर अवतलित होने वाली पवनें सभी दिशाओं में परिक्षेपित हो जाती हैं। ध्रुवों की ओर जाने वाली पवनें कोरिऑलिस बल द्वारा विक्षेपित होकर पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हैं, जिन्हें पछुआ पवनों (westerlies) के नाम से जाना जाता है।
  • ध्रुवीय पूर्वी पवनें: ध्रुवीय अक्षांशों पर, उपध्रुवीय निम्न वायुदाब क्षेत्र से ठंडी सघन वायु ध्रुवों की ओर प्रवाहित होती है और ध्रुवीय पूर्वी पवनों के रूप में अवतलित होती है।

ये पवनें तापीय ऊर्जा को निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों में स्थानांतरित करके वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण के प्रतिरूप को निर्धारित करती हैं। वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण महासागरीय जल परिसंचरण को भी गतिमान करते हैं जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है।

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