नीति (NITI) आयोग की संरचना और प्रकार्य : इसकी समकालीन प्रासंगिकता
प्रश्न : नीति (NITI) आयोग की संरचना और प्रकार्यों का उल्लेख कीजिए। साथ ही, इसकी समकालीन प्रासंगिकता पर भी टिप्पणी कीजिए।
दृष्टिकोण
- नीति आयोग की स्थापना के विषय में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- नीति आयोग की संरचना का वर्णन करते हुए इसके कार्यों को सूचीबद्ध कीजिए।
- तत्पश्चात इसकी समकालीन प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
- नीति आयोग की प्रासंगिकता को बाधित करने में सक्षम कुछ मुद्दों के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
वर्ष 2015 में स्थापित राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था अर्थात् नीति आयोग (NITI Aayog) भारत सरकार का प्रमुख नीति ‘थिंक टैंक’ (विचार मंच) है, जो दिशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करता है। भारत सरकार के लिए रणनीतिक एवं दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करते हए नीति आयोग केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी परामर्श भी प्रदान करता है। अतीत से एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में नीति आयोग भारत सरकार के एक आदर्श मंच के रूप में कार्य करता है ताकि राज्यों को राष्ट्रीय हित में एक साथ लाया जा सके और इस प्रकार यह सहयोगपूर्ण (सहकारी) संघवाद को बढ़ावा देता है।
नीति आयोग की संरचना:
- नीति आयोग की शासी परिषद में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के साथ सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और बिना विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं।
- क्षेत्रीय परिषदें उन विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने के लिए गठित की जाती हैं, जो किसी क्षेत्र में एक से अधिक राज्यों को प्रभावित कर सकते हों।
- इनकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री या उनके द्वारा मनोनीत व्यक्ति द्वारा की जाती है और इनमें क्षेत्र के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल/प्रशासक शामिल होते हैं।
- इनके अतिरिक्त, नीति आयोग में एक उपाध्यक्ष, पूर्णकालिक सदस्य, पदेन सदस्य और प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सम्मिलित होते हैं।
- प्रधानमंत्री द्वारा प्रासंगिक विषय क्षेत्र के ज्ञान वाले विशेषज्ञों, विशेष जानकारों और वृत्तिकों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया जाता है।
नीति आयोग के कार्य:
- राष्ट्रीय उद्देश्यों के आलोक में राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों की एक साझा दृष्टि विकसित करना।
- यह स्वीकार करते हुए कि मजबूत राज्य एक सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण करते हैं, निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देना।
- ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं निर्मित करने हेतु तंत्र विकसित करना और इन योजनाओं का सरकार के उच्च स्तरों पर उत्तरोत्तर समेकन करना।
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति एवं कार्यक्रम ढांचे व पहलों को तैयार करना तथा उनकी प्रगति और उनकी प्रभावकारिता की निगरानी करना।
- एक अत्याधुनिक (स्टेट ऑफ़ द आर्ट) संसाधन केंद्र को बनाए रखना, संधारणीय एवं न्यायसंगत विकास में सुशासन तथा सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसंधान की रिपॉजिटरी के रूप में कार्य करना तथा साथ ही साथ हितधारकों तक इनके प्रसार में सहायता करना।
समकालीन समय में नीति आयोग की प्रासंगिकता:
- नीति आयोग एक फ़नल (कीप) भांति कार्य कर रहा है, जिसके माध्यम से उद्योग, शैक्षणिक समुदाय, नागरिक समाज या विदेशी विशेषज्ञों जैसे सभी संभावित स्रोतों से नए और अभिनव विचार प्राप्त होते हैं और कार्यान्वयन हेतु सरकारी प्रणाली में प्रवेश करते हैं।
- यह अंतर-राज्यीय संलग्नताओं को प्रोत्साहित करने हेतु लंबित मुद्दों के निपटान को तीव्र कर तथा एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अवधारणा का प्रतिपादन कर राज्यों के भीतर सहयोगपूर्ण संघवाद की भावना को बढ़ावा देता है।
- चूंकि इसे राज्यों को धन आवंटित करने की शक्ति प्राप्त नहीं है, अत: इसने देश के विकास के लिए नियोजन और कार्यसंचालन में राज्यों की स्वतंत्र एवं लोकतांत्रिक भागीदारी में वृद्धि की है। इसने राज्यों के दृष्टिकोण में अधिक निधि प्राप्त करने हेतु प्रतिस्पर्धा करने के बजाय बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करने की दिशा में परिवर्तन किया है।
- यह गुड प्रैक्टिस रिसोर्स बुक, अटल इनोवेशन मिशन, ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट आदि पहलों के माध्यम से ज्ञान प्रसार और नवाचार को प्रोत्साहित कर रहा है।
- यह अपने विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय के माध्यम से रियल टाइम डेटा एकत्र करता है तथा विभिन्न मंत्रियों को परस्पर संबद्ध करता है। इस प्रकार यह तंत्र में निष्क्रियता को कम करता है।
- यह विभिन्न साधनों जैसे कि समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, GIS आधारित योजना आदि के माध्यम से साक्ष्य आधारित नीति-निर्माण को बढ़ावा दे रहा है।
14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के पश्चात् अब राज्य केंद्र से काफी अधिक शर्त-रहित निधि प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे में यह प्रासंगिक हो गया है कि इस निधि का प्रभावी ढंग से उपयोग करने हेतु राज्यों की क्षमताएं भी विकसित हों। नीति आयोग समन्वय, प्रतियोगिता, परामर्श और सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार के माध्यम से इस विकास को प्रोत्साहित करता है। इसके अतिरिक्त, इसमें एक ऐसे संगठन के रूप में रूपांतरित होने की क्षमता विद्यमान है जो सुधारों के माध्यम से नीति के कार्यान्वयन को रूपांतरित कर सके और देश के भविष्य को स्वरूप प्रदान करने में अधिक सार्थक भूमिका निभा सके।
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