केस स्टडीज : प्रतिकूल परिस्थितियों में काम

प्रश्न: आप वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित एक जिले में जिला मजिस्ट्रेट के रुप में पदस्थापित हैं। अतीत में यह जिला नक्सलियों द्वारा हिंसा की कई घटनाओं का साक्षी रहा है। यह देखा गया है कि चुनावों के निकट आने पर हिंसा की घटनाएं बढ़ जाती हैं। एक रिटर्निंग ऑफिसर के रुप में, आप चुनावों के सुचारु संचालन के लिए उत्तरदायी हैं। चुनावों की घोषणा के शीघ्र बाद, नक्सलियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है और लोगों को मतदान से दूर रहने की धमकी दे रहे हैं। जिले के लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हिंसा द्वारा रोड़े अटकाने के कार्यों से भयाक्रांत हैं। इसके अतिरिक्त, अपने जीवन के लिए खतरा और कम अपेक्षित मतदान के कारण, अन्य निर्वाचन अधिकारी भी इन क्षेत्रों में जाने के लिए अनिच्छुक हैं। इस संदर्भ में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) सिविल सेवा के उन मूल्यों की पहचान कीजिए, जो इस तरह की प्रतिकूलताओं में कार्य करने हेतु महत्वपूर्ण हैं।

(b) ऐसी स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का संचालन सुनिश्चित करने हेतु एक कार्य योजना का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  • दी गई केस स्टडी का मूल आशय बताते हुए उत्तर आरंभ कीजिए। 
  • दी गई केस स्टडी में शामिल प्रमुख हितधारकों का उल्लेख कीजिए।
  • सिविल सेवा मूल्यों का उल्लेख कीजिए जो इस प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने में सहायक हो सकते हैं। दी गई स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आवश्यक कार्ययोजना पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

दी गई केस स्टडी चुनाव अवधि के दौरान नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में व्याप्त स्थिति का यथार्थ चित्रण करती है। ऐसी स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है। साथ ही, लोगों का मतदान करने का अधिकार भी खतरे में पड़ जाता है। इस प्रकार, इस स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटना राज्य का उत्तरदायित्व बन जाता है।

शामिल हितधारक: 

  • राज्य प्रशासन (राजनेता, नौकरशाह, पुलिस आदि)
  • प्रभावित क्षेत्रों के निवासी
  • निर्वाचन आयोग और चुनाव संचालित करने वाले अधिकारी और कर्मचारी

(a) नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले सिविल सेवकों को इस प्रकार की प्रतिकूल स्थितियों से निपटने के लिए निम्नलिखित सिविल सेवा मूल्यों द्वारा निर्देशित होना चाहिए: 

  • विधि के शासन को बनाए रखना: प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाले सिविल सेवक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की वैध इच्छा का ध्यान रखा जाए और इससे सम्बंधित किसी भी खतरे से प्रभावी तरीके से निपटा जाए।
  • साहस और प्रतिबद्धता: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के लिए साहस और कर्त्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है क्योंकि विशेषकर चुनावों के दौरान, उनके जीवन पर खतरा विद्यमान होता है।
  • लोगों के प्रति सेवाभाव और करुणा: सिविल सेवक को लोगों की सेवा करने के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए और सदैव जरूरतमंद लोगों की सहायता करने (करुणा) के लिए तत्पर रहना चाहिए और इस प्रकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रभावी ढंग से प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग करना चाहिए।
  • खुलापन और पारदर्शिता: प्रशासन और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच विश्वास की कमी है। इस प्रकार, ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले सिविल सेवकों के लिए विश्वास निर्माण उपायों के माध्यम से लोगों का विश्वास प्राप्त करना और प्रशासन के कामकाज में पारदर्शिता और खुलापन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हो जाता है।

(b) केस स्टडी में दी गई स्थिति एक जटिल समस्या प्रस्तुत करती है जिससे विभिन्न हितधारकों को सम्मिलित करते हुए प्रभावी ढंग से कार्रवाई की बहुआयामी योजना अपनाकर निम्न प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है:

  • स्थिति को समझना: पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियों की सहायता से स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए।
  • लोगों को आश्वस्त करना: यह सुनिश्चित करने हेतु लोगों को आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि हरसंभव प्रयास किया गया है जिससे उनके जीवन और साथ ही उनके अधिकारों को कोई खतरा न हो। इससे लोगों का विश्वास बढ़ाने में सहायता मिलेगी साथ ही प्रशासन एवं लोगों के बीच विश्वास कायम होगा।
  • हॉटस्पॉट की पहचान करना: सुरक्षा एजेंसियों को पिछले रिकॉर्ड और खुफिया आंकड़ों के आधार पर हॉटस्पॉट एवं संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी मुद्दों की देखभाल के लिए पर्याप्त उपाय किये जाएं।
  • स्थानीय नेताओं की सहायता: लोगों और प्रशासन के मध्य खाई को पाटने के लिए स्थानीय नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों की सहायता ली जा सकती है।
  • चुनाव कराने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का आत्मविश्वास बढ़ाना: चुनाव कराने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों और प्रत्येक वोट के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए। उन्हें भी आश्वस्त किया जाना चाहिए कि किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किये गए हैं।
  • तत्परता: सुरक्षा में सेंध (चुनाव के दौरान एवं चुनाव अवधि के पश्चात) होने पर, सुरक्षा बलों और आपातकालीन अनुक्रिया दलों को किसी भी आपात स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।

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