सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम : उद्देश्य और चुनौतियां
प्रश्न: सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (UIP) के अंतर्गत कवरेज में वृद्धि की धीमी दर के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी रहे हैं? सार्वभौमिक कवरेज को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करने की इस गति में वृद्धि करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए हालिया कदमों का उल्लेख कीजिए। (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए और उनके कार्यान्वयन में प्रगति की धीमी दर पर प्रकाश डालिए।
- कार्यक्रम के कार्यान्वयन में आ रही चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।
- कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए हालिया कदमों जैसे इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
1985 में शुरू हुआ सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (UIP), देश में टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के कारण होने वाली बाल मृत्यु और रुग्णता को कम करने की दिशा में एक पहल है। UIP के माध्यम से, भारत ने पोलियो, चेचक (स्माल पॉक्स) और हाल ही में मातृ एवं नवजात टेटनस के उन्मूलन में सफलता प्राप्त की है। हालांकि, सम्पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज की प्रगति एक चिंता का विषय बनी हुई है।
NFHS 4 के परिणाम बताते हैं कि प्रतिरक्षण कवरेज 2005-06 के 44% से बढ़कर 2015-16 में 62% हो गया है। यद्यपि NFHS के बाद प्रगति की गति तीव्र हुई है, फिर भी भारत अभी भी 2030 तक सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कवरेज की अपनी SDG प्रतिबद्धता से काफी दूर है। प्रतिरक्षण कवरेज में विस्तार की दर 2009 से 2013 के मध्य महज 1% प्रति वर्ष रही।
सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कवरेज की धीमी दर हेतु जिम्मेदार कारक हैं:
- सामाजिक बाधाएं: अभिभावकों में टीकाकरण के लाभों, इसकी समय-सारणी और स्थानों के प्रति जागरूकता का अभाव, समुदाय की बेहतर भागीदारी का न होना और टीकाकरण से संबंधित सरकार के उद्देश्यों पर संदेह/सार्वजनिक विश्वास का अभाव।
- लॉजिस्टिक्स बाधाएं: भारत में सभी स्थानों की आपूर्ति श्रृंखलाओं तक टीकों की आपूर्ति में आने वाली लॉजिस्टिकल समस्याएं। उदाहरण के लिए, निर्माण से लेकर प्रयुक्त हो चुके टीकों को कोल्ड-चेन में रखे जाने की आवश्यकता होती है।
- संस्थागत बाधाएं: फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी
- भौगोलिक विविधता: विशाल भौगोलिक विविधता के कारण, टीकाकरण नेटवर्क की पहुँच सीमित रहती है।
इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं:
- 2014 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष का लक्ष्य 2020 तक अल्प चिन्हित क्षेत्र (identification coverage) वाले 28 राज्यों के 201 फोकस जिलों के प्रत्येक भारतीय बच्चे का टीकाकरण करना है।
- “गहन मिशन इंद्रधनुष (IMI)” एक पूरक महत्वाकांक्षी कार्यवाही योजना है जिसके अंतर्गत एक निश्चित समय सीमा के भीतर उन चुनिंदा जिलों और शहरी क्षेत्रों के बच गए और छोड़ दिए गए (left outs and drop outs) लोगों को कवर किया जाना है जहाँ नियमित प्रतिरक्षण कवरेज कम है।
- 2020 तक वैक्सीन की अधिक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान के प्रति प्रतिबद्धता।
- सूक्ष्म नियोजन और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके सतत स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करना। इसके साथ-साथ संचार को केंद्र में रखकर बेहतर निगरानी व्यवस्था तथा स्वास्थ्य प्रणाली के प्रत्येक स्तर के बीच फीडबैक को साझा करने को सक्षम बनाना।
- EVIN (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) स्वदेशी तौर पर विकसित की गई प्रौद्योगिकीय प्रणाली है जो वैक्सीन के स्टॉक का डिजिटलीकरण करती है और स्मार्ट फोन एप्लिकेशन के जरिये कोल्ड चेन के तापमान पर नज़र रखती है।
- राष्ट्रीय टीका नीति 2011, प्रतिरक्षण से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
- सरकार ने वैक्सीन के प्रति जन सामान्य का आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु प्रतिरक्षण के पश्चात की प्रतिकूल घटनाओं (AEFI) के सम्बन्ध में सतर्कता बढ़ाई है।
इस प्रकार, प्रौद्योगिकी, शासन और मानव संसाधन के साथ जुड़ी नवाचारी रणनीतियों व समाधानों द्वारा नियमित प्रतिरक्षण के अंतरालों की भरपाई करके तथा प्रतिरक्षण के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) का अनुसरण करके, जनसंपर्क माध्यमों व अन्य तरीकों का प्रयोग करके भारत में सार्वभौमिक प्रतिरक्षण हासिल किया जा सकता है।