भारत में तटीय नौ-परिवहन की स्थिति का एक संक्षिप्त परिचय
प्रश्न: परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में तटीय नौ-परिवहन के लाभ पर चर्चा कीजिए। साथ ही, भारत में इस क्षेत्रक द्वार सामना की जा रही प्रमुख चुनौतियों को भी प्रस्तुत कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में तटीय नौ-परिवहन की स्थिति का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- चर्चा कीजिए की परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में इससे क्या अतिरिक्त लाभ हैं।
- इस क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- एक उचित निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
13 बड़े और 200 छोटे बंदरगाहों के साथ 7517 किमी लम्बी तटरेखा के कारण तटीय नौ-परिवहन को सदैव एक महत्वपूर्ण परिवहन क्षेत्र माना जाता है। वर्तमान में, कार्गो के केवल 6% भाग का परिवहन तटीय नौ-परिवहन और अंतर्देशीय जल नौवहन के माध्यम से होता है। 2025 तक शिपिंग मंत्रालय का लक्ष्य इसे दोगुना करना है।
परिवहन के अन्य साधनों के सापेक्ष तटीय नौ-परिवहन के लाभ:
- पर्यावरण अनुकूलता : रेल और सड़क परिवहन की तुलना में इसमें काफी कम मात्रा में हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन होता है।
- ढुलाई की निम्न लागत : जलमार्ग सड़क की तुलना में 50% तथा रेल की तुलना में लगभग 30% सस्ता है।
- बड़े आकार के पार्सल को संभालने की क्षमता : यह माल को एकीकृत कर उसका परिवहन करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।
- परिवहन का सुरक्षित माध्यम : तटीय नौ-परिवहन के माध्यम से तरल और ज्वलनशील रसायनों जैसी खतरनाक सामग्रियों का परिवहन करना सड़क की तुलना में सुरक्षित होता है।
- ऊर्जा दक्ष: तटीय नौ-परिवहन द्वारा ईंधन की खपत सड़क खपत का लगभग 15% और रेल खपत का 54% है। तटीय नौ परिवहन को बढ़ावा देने से भारत के ईंधन आयात बिल में काफी कमी आएगी।
- कम बाह्य लागतें : तटीय नौ-परिवहन की बाह्य लागतें सड़क और रेल परिवहन की तुलना में काफी कम हैं।
तटीय नौ-परिवहन द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां:
- निम्न तटीय टनभार क्षमता: तटीय टनभार क्षमता में तटीय कार्गो यातायात की वृद्धि के अनुरूप बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
- लास्ट माइल कनेक्टिविटी: यह भारत में प्रायः एक चुनौती साबित हुई है जिससे परिवहन की समग्र लागत बढ़ जाती है।
- अपर्याप्त बंकरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर : अधिकांश छोटे/मध्यवर्ती बंदरगाहों पर अपर्याप्त बंकरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और तेल बंकर पर उच्च कर, भारतीय तटीय बेड़े को विदेशी बंकरिंग पर निर्भर होने के लिए विवश करते हैं।
- विनियामकीय और दक्षता सम्बन्धी मुद्दे : राजकोषीय प्रोत्साहन, कम कठोर कार्मिक मानदंड और सीमा शुल्क से मुक्ति, जहाज पर से माल उतारने और लादने का समय आदि।
- जैव विविधता सम्बन्धी मुद्दे : अनियमित तटीय नौ-परिवहन जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। उदाहरण के लिए तेल रिसाव कोरल संरचनाओं को भारी नुकसान पहुंचाता है तथा जलीय जैव विविधता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
भारत में बंदरगाह क्षेत्र का भविष्य तटीय नौ-परिवहन पर अत्यधिक निर्भर है और इसलिए इसे सभी संबंधित हितधारकों द्वारा उचित महत्व दिया जाना चाहिए तथा इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पोर्ट आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सागरमाला कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदम सही दिशा में की गयी कार्यवाहियां हैं।
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