तापमान व्युत्क्रमण सम्बन्धी अवधारणा : जलवायविक और आर्थिक महत्व
प्रश्न: तापमान व्युत्क्रमण क्या है? इसके जलवायविक और आर्थिक महत्व के साथ इस परिघटना के घटित होने से संबंधित विभिन्न क्रियाविधियों पर चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- तापमान व्युत्क्रमण सम्बन्धी अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- तत्पश्चात, इस परिघटना के घटित होने सम्बन्धी विभिन्न क्रियाविधियों पर चर्चा कीजिए।
- अंत में इसके घटित होने वाले स्थान पर इसके जलवायवीय एवं आर्थिक प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
आम तौर पर, ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में गिरावट आती है, जिसे सामान्य ह्रास दर कहा जाता है परन्तु, कभी-कभी ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस प्रकार की परिघटना को तापीय व्युत्क्रमण कहते हैं।
विविध क्रियाविधियाँ
- तापमान व्युत्क्रमण सामान्यतः शीतऋतु के दौरान देखा जाता है। मेघविहीन एवं स्थिर वायु वाली लंबी शीतकालीन रात्रि तापमान व्युत्क्रमण के लिए आदर्श स्थिति होती है। दिन में प्राप्त ऊष्मा रात्रि के दौरान सतह से विकिरित होती है, और प्रातःकाल तक ऊपरी वायु की तुलना में धरातल अधिक ठंडा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप तापमान व्युत्क्रमण जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान व्युत्क्रमण वर्ष भर पायी जाने वाली एक सामान्य परिघटना है।
- पहाड़ियों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में वायु प्रवाह के कारण तापमान व्युत्क्रमण होता है। पर्वतों और पहाड़ियों पर रात्रि के दौरान उत्पन्न ठंडी वायु, गुरुत्व के प्रभाव में नीचे की ओर प्रवाहित होती है तथा गहराई में स्थित घाटियों की तलहटियों में एकत्रित हो जाती है। इससे सतह की गर्म वायु ऊपर उठकर ठंडी वायु के ऊपर स्थापित हो जाती है।
- वाताग्री व्युत्क्रमण (frontal inversion) तब घटित होता है जब ठंडी वायु राशियाँ, गर्म वायु राशियों में प्रवेश कर, उनके नीचे स्थापित हो जाती हैं तथा गर्म वायु को ऊपर की ओर उठाती हैं। इस स्थिति में निर्मित वाताग्र में ऊपर के भाग में गर्म वायु तथा नीचे के भाग में शीतल वायु होती है।
जलवायवीय महत्व
- धरातलीय व्युत्क्रमण वायुमंडल की निचली परतों को स्थिरता प्रदान करता है जिसके कारण धूम्र और धूल के कण व्युत्क्रमण सतह के नीचे एकत्रित हो जाते हैं। इन कणों का क्षैतिज रूप से प्रसरण होता है, जिससे शीतऋतु में प्रातःकाल घने कोहरे का निर्माण होता है। तापमान व्युत्क्रमण की दशा में, यदि ऊपर की गर्म वायु का संघनन नीचे स्थित ठंडी वायु द्वारा हिमांक से कम तापमान पर शीतल किये जाने के कारण होता है, तो तुषार अथवा पाले का निर्माण होता है।
- तापमान व्युत्क्रमण वायुमंडलीय स्थिरता उत्पन्न करता है, जिससे वायु के ऊपर उठने और नीचे की ओर प्रवाहित होने की प्रक्रिया रुक जाती है। यह स्थिति वर्षा के लिए प्रतिकूल होती है।
- पहाड़ियों के शिखर अत्यधिक शीत ऋतु के दौरान अपेक्षाकृत गर्म होते हैं।
आर्थिक महत्व
- व्युत्क्रमण के कारण उत्पन्न होने वाला तुषार गिरिपादीय क्षेत्रों की फसलों को हानि पहुँचाता है, जबकि पहाड़ियों एवं पर्वतों के शिखरों पर पाये जाने वाले वृक्षों या वनस्पतियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। ब्राजील के पहाड़ी क्षेत्रों की घाटियों में प्राय: तुषार की दशाएँ बनी रहने के कारण कॉफी की बागवानी नहीं की जाती है।
- इस परिघटना के कारण वायु प्रदूषकों, विशेषकर सूक्ष्म वायु प्रदूषकों, का घाटी के सम्पूर्ण भाग में बिखराव नहीं होता अर्थात् ये एक जगह सकेंद्रित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप अंतर-पर्वतीय क्षेत्रों के आवासों और कृषि गतिविधियों को अपेक्षाकृत ऊपरी ढलानों पर स्थानांतरित करना पड़ता है।
- कोहरे की स्थिति दृश्यता को कम कर देती है, जिससे यातायात प्रभावित होता है। यद्यपि कोहरे की स्थितियाँ अनेक कृषि फसलों जैसे कि चना, मटर, सरसों, गेहूँ आदि के लिए प्रतिकूल होती हैं, किन्तु कभी-कभी वे कुछ फसलों के लिए अनुकूलता भी प्रदान करती हैं। जैसे कि अरब की यमन पहाड़ियों में कॉफ़ी की बागवानी हेतु कोहरे की स्थिति लाभदायक होती है। वहाँ यह कॉफ़ी के पौधों को सीधे पड़ने वाली तेज धूप से रक्षा प्रदान करती है।
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