केस स्टडीज : हितधारक और नैतिक मुद्दे

प्रश्न: आप एक ऐसे जिले में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में पदस्थापित हैं, जिसके जिला मुख्यालय में भारी आवाजाही वाला व्यस्त बाजार है। इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से पटरी दुकानदारों और फेरीवालों का कब्जा रहा है। पटरी दुकानदार और फेरीवाले, क्षेत्र में बाजार प्रणाली का स्वाभाविक भाग हैं तथा इससे अपनी आजीविका चलाते हैं। हाल ही में आपको सूचना मिली है कि क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मी कानूनों का पालन करने के बावजूद फेरीवालों को परेशान करते हैं और उनसे ‘हफ्ता’ (साप्ताहिक रिश्वत) भी वसूलते हैं। आपके संज्ञान में लाया गया है कि इस व्यवस्था का अनुपालन करने वाले लोगों को अपने दैनिक कार्य करने की अनुमति है, जबिक अनुपालन न करने वाले लोगों को बाजार क्षेत्र से बेदखल किया जा रहा है। बेदखली की प्रक्रिया में, यहां तक कि उन पर शारीरिक रूप से हमला भी किया जाता है और उनकी पण्य वस्तुओं को प्राय: जब्त कर लिया जाता है और नष्ट कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप, कुछ पटरी दुकानदार स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध बाजार में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने बाजार का सामान्य मार्ग अवरुद्ध कर दिया है। उन्होंने समय बीतने के साथ अपना विरोध और तेज करने की भी धमकी दी है। हालांकि, स्थानीय पुलिस ऐसे किसी भी गलत कार्य से इनकार करती है और तर्क देती है कि वे केवल अवैध अतिक्रमणों को हटा रहे हैं, जो क्षेत्र में ट्रैफिक जाम का कारण बन रहे थे। इस स्थिति में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) इस प्रकरण में सम्मिलित हितधारकों और नैतिक मुद्दों का उल्लेख कीजिए।

(b) एक पुलिस अधीक्षक के रूप में, क्षेत्र में तनाव को कम करने हेतु आप क्या कार्रवाई करेंगे? साथ ही, कुछ नीतिगत अनुशंसाओं के भी सुझाव दीजिए, जो दीर्घावधि में इन मुद्दों का समाधान करने में सहायता करेंगे।

दृष्टिकोण

  • इस प्रकरण के निर्दिष्ट मुद्दों पर संक्षेप में चर्चा कीजिए। 
  • इस प्रकरण में सम्मिलित हितधारकों और नैतिक मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • क्षेत्र में तनाव को कम करने हेतु की जाने वाली कार्रवाई की योजना पर प्रकाश डालिए।
  • उन नीतिगत उपायों का सुझाव दीजिए जिनसे मुद्दों का दीर्घकालिक रूप से समाधान करने में सहायता मिलेगी।

उत्तर

निर्दिष्ट प्रकरण पटरी दुकानदारों के समक्ष उनके दैनिक व्यापारिक कार्यों के संचालन के दौरान आने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालता है। यह प्रकरण जबरन बेदखली, पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट, रिश्वतखोरी (पुलिसकर्मियों द्वारा फेरीवालों से रिश्वत वसूलना) इत्यादि गतिविधियों से संबंधित है, जो आमतौर पर अतिक्रमण हटाने की आड़ में की जाती हैं।

इस प्रकरण में सम्मिलित हितधारक

  • पटरी दुकानदार और फेरीवाले: वे इस प्रकरण में प्रमुख हितधारक हैं। जबरन बेदखली के कारण कई लोगों की आजीविका दांव पर लगी है। साथ ही, उनमें से अधिकांश लोगों को फेरी लगाने के लिए कानूनी अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता है न कि पुलिसकर्मियों को रिश्वत देने की।
  • स्थानीय पुलिस सहित जिला प्रशासन: स्थानीय पुलिस कथित रूप से रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त है। प्रशासन की आंख व कान के रूप में देखे जाने वाले पुलिसकर्मियों को क़ानूनों का अनुपालन करने और पूरी ईमानदारी के साथ अपना कर्त्तव्य निभाने की आवश्यकता है।
  • पुलिस अधीक्षक: पुलिस विभाग के प्रमुख के रूप में SP को इस तरह के अभ्यासों को रोकने और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
  • बाजार संघ: दुकानदारों और फेरीवालों के संघ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विक्रेताओं के पास कानूनी परमिट हो और वे उच्च अधिकारियों को पुलिसकर्मियों की ओर से किए जाने वाले किसी भी अनुचित कार्य की रिपोर्ट करें।
  • ग्राहक: पटरी दुकानदारों की जबरन बेदखली से ग्राहकों के लिए उत्पादों की उपलब्धता भी प्रभावित हो सकती है।

इस प्रकरण में सम्मिलित नैतिक मुद्दे:

  • आजीविका का अधिकार: निरंतर बेदखली और पण्य वस्तुओं को नष्ट करना, पटरी दुकानदारों की आजीविका निर्वाह के अवसरों को खतरे में डालता है, जो अंतत: उन्हें गरीबी और चिरस्थायी ऋण-जाल के दुष्चक्र में धकेल सकता है।
  • सत्ता का दुरुपयोग: स्थानीय प्रशासन द्वारा पटरी दुकानदारों और फेरीवालों को उनके समाज के वंचित और सीमांत वर्ग से संबंध रखने के चलते परेशान किया जाता है। यहां तक कि उनके साथ प्रायः शारीरिक रूप से मारपीट भी की जाती है।
  • विधि-शासन: अन्य कानूनों का अनुपालन करने के बाद भी ‘लालची’ स्थानीय पुलिसकर्मियों को हफ्ता (साप्ताहिक रिश्वत) देने से मना करने पर पटरी दुकानदारों से यह जबरन वसूला जाता है।
  • व्यक्तिगत और सामूहिक अधिकार: पटरी पर माल बेचना, कार्य करने के व्यक्तिगत अधिकार और सार्वजनिक स्थान के सामूहिक अधिकार के बीच संघर्ष उत्पन्न करता है।

कार्रवाई योजना

  • सर्वप्रथम, SP को एक जांच समिति का गठन करना चाहिए जो स्थानीय पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामलों की जांच करे। यदि अपराध का संकेत करने वाले सबूत पाए जाते हैं तो दोषी अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • दूसरे, बाजार में जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि पटरी दुकानदारों और फेरीवालों को स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 के प्रावधानों के बारे में जागरुक किया जा सके।
  • तीसरे, सभी दुकानदारों और फेरीवालों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत किया जाना चाहिए और उन्हें विनियमन और उचित प्रतिबंधों के अधीन उनके व्यापार या व्यवसाय को चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
  • सड़कों पर व्यवस्था इस तरीके से की जानी चाहिए कि सड़कों पर अतिक्रमण न हो और यात्रियों की अबाध आवाजाही सुनिश्चित रहे।
  • स्थानीय बाजार समिति/मंच के सहयोग से, एक तंत्र की स्थापना की जानी चाहिए जो नियमित आधार पर भ्रष्ट सार्वजनिक अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत प्राप्त करे।

दीर्घकालिक नीतिगत अनुशंसाएं

  • स्थानीय नगरपालिका अधिकारियों को फेरीवालों के लिए निर्धारित बिक्री क्षेत्र की स्थापना करनी चाहिए ताकि वे शांतिपूर्वक अपने व्यापार को चला सकें।
  • सभी हितधारकों यथा पटरी दुकानदार संगठन, नागरिक समाज समूह, यातायात पुलिस व नगरपालिका अधिकारियों के प्रतिनिधित्व वाली एक टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन किया जाना चाहिए जो पटरी दुकानदारों की चिंताओं को संबोधित करे।
  • यह समिति दुकानदारों का पंजीकरण करे तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में बिक्री गतिविधियों को बेहतर रूप से विनियमित करने के लिए उन्हें पहचान-पत्र प्रदान करे।
  • यात्रियों का निर्बाध रूप से घूमने का अधिकार और बिना किसी बाधा के सड़कों का उपयोग करने का अधिकार, स्थल विशिष्ट व्यवस्थाओं को विकसित करके सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

चूंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (g) के तहत फेरीवालों और दुकानदारों द्वारा फेरी लगाने के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, अतः यह सुनिश्चित करना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि फेरीवाले और दुकानदार गौरव व सम्मान के साथ अपनी आजीविका अर्जित करें।

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