भारत में वित्तीय समावेशन में जैम त्रयी की भूमिका
प्रश्न: वित्तीय समावेशन का महत्व स्पष्ट करते हुए, विश्लेषण कीजिए कि जैम त्रयी (JAM trinity) इसे किस प्रकार सुगम बना रही है।
दृष्टिकोण:
- वित्तीय समावेशन को परिभाषित करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
- भारत में वित्तीय समावेशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
- जैम त्रयी वित्तीय समावेशन को किस प्रकार सुगम बना रही है, स्पष्ट कीजिए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, वित्तीय समावेशन निम्न आय समूहों तथा कमजोर समूहों जैसे सुभेद्य वर्गों की आवश्यकता वाले उपयुक्त वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक, उनकी निष्पक्ष और पारदर्शी पहुंच को मुख्यधारा के संस्थागत अभिकर्ताओं के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया है।
भारत में वित्तीय समावेशन का महत्व:
- औपचारिक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच: यह समाज के कमजोर वर्गों की उचित लागत पर ऋण तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करेगा। आर्थिक विकास और समृद्धि के बिना सामाजिक सशक्तिकरण संभव नहीं है।
- वित्तीय धोखाधड़ी में कमी: वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण लोग वित्तीय धोखाधड़ी के प्रति अधिक सुभेद्य हो जाते हैं।
- असुरक्षित लोगों को सुरक्षित बनाना: वित्तीय जागरुकता और समावेशन का अभाव लोगों को निवेश करने और अपने भविष्य को सुरक्षित करने से रोकता है। वित्तीय समावेशन से बीमा कवरेज बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
- आर्थिक विकास: बचतों में वृद्धि से बैंकों को निम्न दर पर ऋण प्रदान करने में सहायता मिलेगी, परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों, रोजगार सृजन और आय में वृद्धि का सुचक्र (virtuous cycle) प्रारंभ होगा।
- परिसंपत्ति विविधीकरण: वित्तीय साक्षरता बढ़ने से लोगों की पूंजी बाजारों में भागीदारी बढ़ जाती है और परिणामस्वरूप घरेलू परिसंपत्ति पोर्टफोलियो का विविधीकरण होता है।
वित्तीय समावेशन को सुगम बनाने में जैम त्रयी (JAM trinity) की भूमिका:
JAM (जन धन- आधार – मोबाइल) त्रयी जन धन खातों, मोबाइल नंबरों और आधार कार्ड को लिंक करके लाभार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से सब्सिडी हस्तांतरित करने और बिचौलियों तथा लीकेज को समाप्त करने के लिए की गयी एक पहल है। जैम त्रयी की परिकल्पना इन मुद्दों का समाधान करने और वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान करने के लिए की गई थी। वित्त मंत्रालय के अनुसार, 2013 तक 52 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास बैंक खाते नहीं थे।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): PMJDY के माध्यम से सरकार ने एक व्यापक वित्तीय समावेशन योजना पर बल दिया है।
- कवरेज: कुल बैलेंस 1 लाख करोड़ से अधिक के साथ इसने 35 करोड़ अतिरिक्त खातों का सृजन किया। इनमें से 29.54 करोड़ खाते क्रियाशील खाते हैं। जन धन खातों के औसत बैलेंस में निरंतर वृद्धि हुई है, जिससे यह बैंकों के लिए एक लाभप्रद व्यवसाय (venture) बन गया है।
- जमा और निकासी: ग्रामीण क्षेत्रों का लेनदेन (निकासी और जमा दोनों) 2014 में 24% से बढकर 2017 में 39% हो गया है। यह औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लोगों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
आधार: बैंक खातों के उपयोग को बढ़ाने के लिए आधार सुविधा प्रदाता के रूप में दो प्रकार से कार्य करता है:
- आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) के माध्यम से माइक्रो ATMs का उपयोग किया जा सकता है।
- आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (APBS) का उपयोग करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) का भुगतान किया जा सकता है।
- निम्न साक्षरता दर, स्मार्ट कार्ड और पिन नंबरों को संभालने में अनुभव की कमी ने प्रमाणीकरण प्रक्रिया को पहले सीमित कर दिया था। इसका समाधान एक सुदृढ़ बायोमीट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली द्वारा किया गया है।
मोबाइल बैंकिंग:
- मोबाइल फोन के माध्यम से खातों में धन का प्रत्यक्ष हस्तांतरण किया जाता है, जिससे बिचौलियों की संख्या में कमी आती है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग ऐप पर लेन-देन में वर्ष 2017 से 2018 तक लगभग 3.5 गुना वृद्धि हुई है।
हालांकि जैम त्रयी(JAM trinity) के परिणामस्वरूप नए खाते खोले गए हैं, DBT और मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा मिला है, तथापि अभी भी इसे वित्तीय समावेशन के मानकों पर अभी काफी प्रयास किये जाने हैं। उदाहरणस्वरूप, यह अनिवार्य रूप से क्रेडिट वृद्धि में परिणत नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त, लगभग 6 करोड़ निष्क्रिय खातों को चालू करने के लिए प्रयासों की भी आवश्यकता है। साथ ही सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए आधार के उपयोग की अनिवार्यता के कारण वास्तविक लाभार्थियों को लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
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