भारत में जनजातीय कला : वार्ली और गोंड चित्रकला

प्रश्न: भारत में जनजातीय कला सामान्यत: ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली उस सृजनात्मक ऊर्जा को प्रतिबिम्बित करती है जो जनजातीय लोगों को शिल्पकारिता के लिए प्रेरित करती है। वार्ली और गोंड चित्रकलाओं के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में जनजातीय कला का संक्षिप्त विवरण देते हए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
  • वार्ली/वरली और गोंड चित्रकलाओं के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि जनजातीय कला ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान सृजनात्मक
  • ऊर्जा को कैसे प्रतिबिम्बित करती है।
  • संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि कैसे यह शिल्पकारिता हेतु प्रेरित करती है।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

जनजातीय कला के अंतर्गत भित्ति चित्र, जनजातीय नृत्य, जनजातीय संगीत आदि जैसे कला रूपों की एक विस्तृत श्रृंखला सम्मिलित है। जनजातीय कला में विशेष रूप से नृत्य और संगीत, विभिन्न प्रकार के समारोहों, जैसे- विवाह, जन्म, राज्याभिषेक, एक नए शहर या गृह प्रवेश करने या आतिथ्य सत्कार, धार्मिक जुलूस या फसल कटाई आदि से अनन्य रूप से अंतर्संबंधित होते हैं।

वे ग्रामीण क्षेत्रों की सृजनात्मक ऊर्जा को प्रतिबिंबित करते हैं, जो जनजातीय शिल्प कौशल में परिलक्षित होती है। इसे वार्ली लोक चित्रकला के साथ-साथ गोंड चित्रकला के सन्दर्भ में स्पष्ट समझा जा सकता है।

वार्ली चित्रकला 

  • महाराष्ट्र की वार्नी जनजाति के ये लोक चित्र निष्पादन के संदर्भ में पूर्व-ऐतिहासिक गुफा चित्रों के अत्यंत निकट हैं। 
  • इसके तहत शिकार, नृत्य, बुवाई और कटाई जैसी गतिविधियों में संलग्न मानव और पशुओं की छवियों को चित्रित किया जाता है। ये चित्र स्थानीय लोगों की सामाजिक और धार्मिक आकांक्षाओं को भी पूरा करते हैं।
  • इन्हें गीली मिट्टी के बेस पर एक रंग (सफेद) का उपयोग कर चित्रित किया जाता है, जिस पर लाल और पीले रंग के यदाकदा बिंदु बना दिए जाते हैं। यह सफेद रंग चावल को बारीक पीसकर प्राप्त किया जाता है।
  • वार्नी जनजाति में परंपराओं का अभी भी पालन किया जाता है, परन्तु साथ ही ये नए विचारों एवं तकनीकों को अपनाने हेतु स्वतंत्र हैं, जो उन्हें बाजार से नई चुनौतियों का सामना करने में सहयोग प्रदान करते हैं।

गोंड चित्रकला

  • गोंड चित्रकला मध्य प्रदेश की जनजातीय कलाओं में से एक है। यह चित्रकला मनुष्य के प्राकृतिक परिवेश के साथ घनिष्ठ संबंध को प्रदर्शित करती है।
  • गोंड चित्र अधिकांशतः प्रकृति आधारित हैं।
  • गोंड चित्रकला गोंड जनजातियों के जीवन की धारणा, उनकी आस्था और विश्वास तथा उनके दिन-प्रतिदिन की घटनाओं को दर्शाती हैं।
  • ये चित्र सौभाग्य प्राप्ति हेतु बनाए गए थे, इसलिए ये अधिकाँशतः दीवारों पर चित्रित की गई थी।
  • रंगाई के लिए इसमें गोंडवाना क्षेत्र के वनों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता था।
  • यह चित्रकला समय के साथ-साथ विकसित हुई है और वर्तमान में इसमें भावना, स्वप्न और कल्पना जैसी अमूर्त अवधारणाओं को भी दर्शाया जाता है।

ये सरल परन्तु जीवंत कलाकृतियाँ देश की समृद्ध कलात्मक विरासत को प्रदर्शित करती हैं। इन चित्रकलाओं की बढ़ती लोकप्रियता और व्यावसायीकरण जनजातीय लोगों के विकास की अनेक संभावनाएं प्रस्तुत करती हैं और यह उन्हें मुख्यधारा के साथ एकीकृत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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