उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय विषमता के कारण एवं उनके परिणामों की चर्चा करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका

  • संक्षेप में क्षेत्रीय विषमता को स्पष्ट करें और उत्तर प्रदेश में व्याप्त क्षेत्रीय विषमता को बताएं।

मुख्य भाग

  • क्षेत्रीय विषमता के कारणों पर चर्चा करें।
  • क्षेत्रीय विषमता के परिणाम को बताएं।

निष्कर्ष

  • राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रीय विषमता को हल करने के प्रयासों की चर्चा करते हुए आगे की राह बताएं।

उत्तर

भूमिकाः

क्षेत्रीय विषमता के तात्पर्य किसी क्षेत्र/प्रदेश के अंतः क्षेत्रीय इकाई/भागों के बीच आर्थिक तथा गैर-आर्थिक सूचकों के आधार पर व्याप्त विषमता से है। उत्तर प्रदेश राज्य नियोजन विभाग, राज्य को समग्र विकास सूचकांक के आधार पर चार आर्थिक क्षेत्रों (पूर्वी, पश्चिमी, केन्द्रीय एवं बुंदेलखण्ड) में बाँटता है। इन चारों क्षेत्रों में विकास के मानकों के आधार पर व्यापक अन्तर पाया जाता है

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहाँ उच्च नगरीकरण पाया जाता है वहीं पूर्वाचल एवं बंदलेखण्ड में नगरीकरण की निम्न स्थिति है।
  • चारों क्षेत्रों (पश्चिमी, बुंदेलखण्ड, केन्द्रीय एवं पूर्वांचल) में प्रति व्यक्ति आय में महत्वपूर्ण अन्तर है।
  • प्रति लाख जनसंख्या पर पंजीकृत कारखानों की संख्या पश्चिम में 10.6, केन्द्रीय में 6.6, पूर्वांचल में 1.8 तथा बुन्देलखण्ड में 1.7 है।
  • अनाज की औसत उपज (क्विंटल/हेक्टे.) के मामले में भी पश्चिमी (25.2), केन्द्रीय (21.6), पूर्वांचल (19.6) तथा बुंदेलखण्ड (11.4) में व्यापक अन्तर है।
  • अवस्थापना सावधाओं जैसे प्रति व्यक्ति आय बिजली खपत, टेलीफोन कनेक्शन, पंजीकृत मोटर वाहन सड़कों की लम्बाई आदि में भी व्यापक अन्तर मौजूद है।

मुख्य भागः

कारण

प्राकृतिक कारण 

  • बुन्देलखण्ड क्षेत्र सूखा प्रभावित पठारी क्षेत्र है जहाँ विषम जलवायु पायी जाती है। इससे कृषि इत्यादि दुष्प्रभावित होते हैं।
  • पूर्वांचल का क्षेत्र प्रतिवर्ष घाघरा, गण्डक इत्यादि नदियों के बाढ़ से प्रभावित होता है। परिणामस्वरूप आर्थिक विकास प्रभावित होता है।

आर्थिक कारण

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजधानी दिल्ली की निकटता के कारण निजी निवेश अधिक हुआ है। इससे बड़े औद्योगिक नगर जैसे-नोएडा, ग्रेटर नोएडा इत्यादि में विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाईयाँ स्थापित हैं।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश यमुना नहर से सिंचित प्रदेश है। इससे कृषि का विकास अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक हुआ पश्चिमी उत्तर प्रदेश को राजधानी दिल्ली के रूप में बड़ा बाजार प्राप्त होता है। इसलिए बाजार की निकटता से बागबानी, दुग्ध सहित अन्य उत्पादनों को प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
  • बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अवसंरचना का विकास एवं विस्तार पर्याप्त नहीं हुआ।

सामाजिक कारण

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निकटवर्ती दिल्ली व अन्य प्रदेशों के व्यापारियों ने नए उद्योगों की स्थापना का जोखिम लिया। “मोदी नगर” जैसे नगरों का विकास हुआ।
  • पूर्वोत्तर तथा अन्य भागों में कृषि को वंशानुगत पेशा मानकर अन्य उद्योगों की स्थापना का प्रयास नहीं किया गया।

ऐतिहासिक कारण

  • ब्रिटिश काल में केवल ऐसे क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की गयी जिनसे ब्रिटिश कंपनी को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता था। (उदा.-तराई क्षेत्र में अधिकांश चीनी मिलें)
  • ब्रिटिश काल में लागू भू-राजस्व व्यवस्था (रैयतवाड़ी और महालवाड़ी) के कारण प्रदेश के संतुलित विकासमे बाधा उत्पन्न हुई ।

राजनीतिक कारण

  • प्रादेशिक विकास की नीतियाँ विलम्ब से अपनायी गयी। (छठी पंचवर्षीय योजना से)
  • नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया।

प्रभाव/परिणाम

  • प्रदेश में प्रादेशिक विषमता के कारण विभिन्न भागों से अलग राज्यों के गठन की माँग तीव्र हो गयी है। उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश और पूर्व में अलग पूर्वांचल की माँग की जा रही है।
  • बुन्देलखण्ड और पूर्वाचल प्रदेश से जनसंख्या का तीव्र पलायन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ओर हो रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गरीबी की समस्या से भूखमरी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
  • क्षेत्रीय विषमता के कारण प्रदेश शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण जैसे सामाजिक सूचकांकों में लगातार पिछड़ता जा रहा है
  • क्षेत्रीय विषमता के कारण संपत्ति का असमान वितरण हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहाँ सम्पन्नता है वहीं बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गरीबी की समस्या उत्पन्न हो रही है।
  • क्षेत्रीय असमानता के कारण पिछड़े क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलतम दोहन नहीं हो पा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के खनिज संसाधनों का लाभ उत्तर प्रदेश को प्राप्त नहीं हो रहा है।
  • क्षेत्रीय विषमता आर्थिक संकट उत्पन्न करती है। जिन क्षेत्रों में अति-उत्पादन होता है वहाँ तुलनात्मक रूप से वस्तुओं का मूल्य कम होता है।

विषमता दूर करने के प्रयास_

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विकास निधि योजना, बुंदेलखण्ड विकास निधि योजना (1990-91 से क्रियान्वयन), सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना (1998-99 से क्रियान्वयन, नेपाल से लगे जिलों में), बुन्दलेखण्ड विकास निगम की स्थापना, पूर्वाचल एक्सप्रेस वे का निर्माण (कार्य आरम्भ है), अटल एक्सप्रेस वे, उत्तर प्रदेश के मध्यवर्ती जिलों तथा बुंदेलखण्ड के कई जिलों तक विस्तारित सैन्य (रक्षा) कॉरिडोर का निर्माण (प्रस्तावित), द्वितीय हरित क्रांति का पिछड़े क्षेत्रों पर फोकस, मनरेगा, आयुष्मान भारत, स्मार्ट सिटी, मुद्रा योजना, पर्यटन विकास आदि के माध्यम से इन क्षेत्रों में रोजगार उत्पादन इत्यादि के प्रयास किए जा रहे हैं।

इसके साथ ही निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए-

  • नदी जोड़ो योजना में तीव्रता लाकर पूर्वांचल के अतिरिक्त जल को सुखाग्रस्त बुंदेलखण्ड क्षेत्र में लाया जाए।
  • बन्द पड़ी चीनी मिलों में उत्पादन कार्य को पुनः आरम्भ किया जाए।
  • पिछड़े क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्थापित किया जाए।
  • कौशल विकास को प्रोत्साहन।
  • पर्यटन उद्योग को बुंदेलखण्ड एवं पूर्वांचल में बढ़ावा दिया जाए।

निष्कर्षः

इस प्रकार समावेशी विकास नीति को अपनाकर न केवल संतुलित विकास किया जा सकता है बल्कि मानव विकास के उच्चतम लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है।

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