राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 : संधारणीय और उत्तरदायित्वपूर्ण खनन

प्रश्न: राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, चर्चा कीजिए कि यह संधारणीय और उत्तरदायित्वपूर्ण खनन सुनिश्चित करने में कैसे सहायता कर सकती है।(150 words)

दृष्टिकोण

  • नई नीति को जारी करने के कारणों का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए। 
  • इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए और विवेचना कीजिए कि यह संधारणीय और उत्तरदायित्वपूर्ण खनन को कैसे प्रोत्साहित करती है।
  • उचित निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

वर्तमान में, भारत में खनन क्षेत्रक संसाधनों के उप-इष्टतम उपयोग, अवैध खनन गतिविधियों, अवैज्ञानिक अन्वेषण विधियों, धूल, गैसों, शोर और प्रदूषित जल आदि के कारण खनन स्थल प्रदूषण जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं और इसका पर्यावरण एवं स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। नई खनन नीति-2019 इन समस्याओं का समाधान करने और भारत में खनन क्षेत्रक को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। इसके कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • सात वर्षों में प्रमुख खनिजों के उत्पादन में 200 प्रतिशत की वृद्धि और सात वर्षों में खनिज क्षेत्रक में व्यापार घाटे में 50 प्रतिशत की कमी करना।
  • वित्तीय पैकेज जैसे विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से निजी निवेश को आकर्षित करना, नीलामी के समय ‘पहली बार अस्वीकार करने का अधिकार’ आदि।
  • इसके द्वारा विशिष्ट खनन क्षेत्रों की अवधारणा को प्रारंभ या प्रस्तुत किया गया है। साथ ही साथ खनन पट्टा प्रदान करने हेतु सैद्धांतिक अनुमति भी पहले से प्राप्त होगी ताकि खनन प्रचालनों को प्रारंभ करने में होने वाले विलंब में कमी लाई जा सके।
  • यह नीति अनुमति की प्रक्रिया को सरल बनाती है और खनिज विकास एवं खनन कार्यों को प्रारंभ करने में समयबद्धता का समावेश करती है। यह अयस्कों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए खनन संस्थाओं के विलय और अधिग्रहण के साथ ही खनन पट्टों के हस्तांतरण को प्रोत्साहित करती है।
  • यह बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक खनन गतिविधियों में निवेश हेतु स्थिरता प्रदान करने के लिए खनिज क्षेत्रक हेतु दीर्घकालिक निर्यात-आयात नीति पर ध्यान केंद्रित करती है।

इन आर्थिक विचारों पर ध्यान केंद्रित करने के अतिरिक्त, यह नीति निम्नलिखित प्रावधानों के माध्यम से पर्यावरणीय उत्तरदायित्व की रक्षा करने और संधारणीय एवं उत्तरदायी खनन सुनिश्चित करने के लिए भी कार्य करती है:

  • सभी खनन गतिविधियों का व्यापक संधारणीय विकास के ढांचे के मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन ।
  • गंभीर रूप से सुभेद्य पारिस्थितिकी तंत्रों की पहचान करना और ऐसे क्षेत्रों को “प्रवेश वर्जित क्षेत्रों”/”अलंघनीय क्षेत्रों” के रूप में घोषित करना।
  • प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट और परिचालन लागत को कम करने के लिए खनन स्थलों पर ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • खनन परिचालनों में सम्मिलित सभी कामगारों को पर्यावरणीय मुद्दों के विषय में समुचित संवेदीकरण प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और जैव विविधता के पुनरुद्धार को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से खदान को बंद करना।
  • खनन में संधारणीय विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तंत्र की स्थापना हेतु एक अंतर-मंत्रालयी निकाय का गठन करना।
  • खनन प्रचालनों से प्रभावित होने वाले समुदायों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन पर ध्यान केन्द्रित करना तथा खदान बंद होने के कारण होने वाली रोजगार की क्षति पर भी विचार करना।

हालांकि, इस नीति में निम्नलिखित विषयों पर ध्यान नहीं दिया गया है:

  •  यह संबंधित कानूनों के अंतर्गत खनन क्षेत्रों में प्रदूषण निगरानी के लिए मानकों और तंत्रों को निर्दिष्ट नहीं करती है।
  • यह नीति खदान को बंद करने संबंधी प्रभावी प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान नहीं करती है जबकि यह ज्ञात है कि इसके लिए प्रदान किए जाने वाले वर्तमान वित्तीय आश्वासन अपर्याप्त हैं।
  • इसके अतिरिक्त, विशिष्ट खनन क्षेत्रों के लिए सैद्धांतिक अनुमति के माध्यम से वन भूमि के विशाल भू-भाग कई कंपनियों और निवेशकों के लिए खनन हेतु खुल जाएंगे।
  • इसमें केवल अनुमति की प्रक्रिया को सरल बनाने पर बल दिया गया है किन्तु मूल्यांकन की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है।

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