बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के कारण

प्रश्न: बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के कारण पाकिस्तान के दो खंडों के मध्य वैमनस्यता, भेदभाव एवं सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के इतिहास में सन्निहित हैं। टिप्पणी कीजिए। साथ ही, बांग्लादेश के निर्माण में भारत के योगदान और भूमिका की चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के लिए उत्तरदायी कारकों की चर्चा कीजिए। 
  • पाकिस्तान के दोनों खंडों के मध्य वैमनस्यता, भेदभाव तथा सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के इतिहास का वर्णन कीजिए।
  • मुक्ति संग्राम में भारत की संलिप्तता के लिए उत्तरदायी कारणों की चर्चा कीजिए।
  • बांग्लादेश के निर्माण में भारत की भूमिका और योगदान की चर्चा कीजिए।

उत्तरः

1971 का युद्ध पूर्वी पाकिस्तान के लोगों द्वारा लंबे समय से किए जा रहे संघर्ष की पराकाष्ठा थी। ये लोग धार्मिक होने के बावजूद धर्मनिरपेक्ष थे।

वर्ष 1979 में पश्चिमी एशिया और अफगानिस्तान के दो खंडों के मध्य वैमनस्यता का इतिहास:

  •  1947 में विभाजन के तुरंत पश्चात बंगाली राष्ट्रवादी भावना के पुनरुत्थान के साथ पाकिस्तान विरोधी भावना प्रकट हुई।
  • पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने ढाका में यह घोषणा की कि उर्दू और केवल उर्दू को राजभाषा’ होना चाहिए। वे सम्भवतः देश के पूर्वी खंड की प्रतिक्रिया से अनभिज्ञ थे।
  • 9 माह के रक्तरंजित युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उनके स्थानीय इस्लामी सहयोगियों की सहायता से भीषण अत्याचार किए तथा निहत्थे नागरिकों के मानवाधिकारों का व्यापक पैमाने पर हनन किया। इस दौरान असंख्य घरों को नष्ट कर दिया गया तथा लाखों लोगों को उनके घरों को छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।

पाकिस्तान के दो खंडों के मध्य भेदभाव:

  • तत्कालीन पाकिस्तान में बंगाली लोगों के लिए प्रबल नस्लीय टिप्पणियाँ की जाती थीं।
  • आर्थिक तथा औद्योगिक नीतियाँ मुख्यतः पश्चिमी पाकिस्तान के पक्ष में झुकी हुई थीं।
  • पूर्वी-पाकिस्तान को उच्च स्तर पर, विशेष रूप से सैन्य और नागरिक पदों में, बहुत कम प्रतिनिधित्व दिया जाता था।

पाकिस्तान के दो खंडों के मध्य सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां:

  • मुस्लिम लीग पूर्वी पाकिस्तान की समस्याओं के प्रति अनभिज्ञ थी तथा इसके अभिजात वर्ग ने पूर्वी पाकिस्तान के निवासियों की उच्च प्रतिनिधित्व और स्वायत्तता की मांग को देश के विघटन के एजेंडे के रूप में देखा। अत: लोगों की नजरों में मुस्लिम लीग की विश्वसनीयता में कमी आयी।
  • 1970 में, पाकिस्तान में सम्पन्न प्रथम आम चुनाव में लोगों ने अवामी लीग और उसके नेता शेख मुजीबुर रहमान के पक्ष में भारी संख्या में मतदान किया तथा वे बंगालियों के लिए स्वतन्त्रता के प्रतीक बन गए।
  • सेना तथा पश्चिमी पाकिस्तान के राजनीतिक नेताओं के एक वर्ग ने बंगाली पुनरुत्थान को कुचलने का निर्णय लिया। 25 मार्च को हुई नृशंस कार्रवाई ने एक अखंड पाकिस्तान का मार्ग बंद कर दिया। नरसंहार के उपरांत एक स्वतंत्र बांग्लादेश का उदय अपरिहार्य हो गया था।

हालाँकि, बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों ने युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई, तथापि भारतीय जनता, सरकार और सशस्त्र बलों का योगदान समान रूप से इतिहास का एक अविस्मरणीय तथ्य है।

भारत की रणनीतिक चिंताएं: पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों ने बड़ी संख्या में भारत में प्रवेश किया, जिससे उत्तर-पूर्व और पूर्वी भारत की सुरक्षा तथा जनांकिकीय संरचना के लिए संकट उत्पन्न हो गया था।

बांग्लादेश के निर्माण में भारत का योगदान और भूमिका:

  • पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को शरण और समर्थन प्रदान करने के अतिरिक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम हेतु समर्थन जुटाने के लिए विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों की यात्रा की।
  • भारत ने दोनों खंडों के मध्य उसके क्षेत्र के माध्यम से संचार स्थापित करने की अनुमति प्रदान नहीं की। इस प्रकार भारत में ने पूर्व पर पश्चिम के नियंत्रण को कमजोर करते हुए उनके विभाजन को और भी गहरा कर दिया।
  • अंततः भारत ने पाकिस्तानी सेना से युद्ध करने के लिए एक संयुक्त कमान के अधीन अपनी सेना को भेजा। 9 माह के युद्ध के पश्चात विश्व के मानचित्र पर बांग्लादेश नाम के एक नए राष्ट्र का उदय हुआ।

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