निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्त्व की संक्षिप्त विवेचना
प्रश्न: निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अनिवार्य प्रकृति परोपकारिता की धारणा के विरुद्ध है। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्त्व की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- किसी कॉर्पोरेट कम्पनी के उत्तरदायित्वों के पदानुक्रम को स्पष्ट कीजिए।
- उल्लेख कीजिए कि निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व का अनिवार्य समावेशन इसकी विवेकाधीन जिम्मेदारियों को कैसे प्रभावित करता है।
- उत्तर के अंतिम भाग में पूर्वोक्त दृष्टिकोण की समालोचना पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर
सामान्यतः निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व और परोपकारिता प्राय: एक दूसरे से नाममात्र ही पृथक होते हैं। परोपकारिता की धारणा सामान्य तौर पर निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व योजना के व्यापक परिदृश्य में एकीकृत रहती है।
अपने संगठन के लिए कोई भी व्यवसाय या अपनी आय के लिए कोई भी व्यक्ति मानव शक्ति, संसाधन, धन इत्यादि जैसी विभिन्न प्रकार की आगतों हेतु समाज पर निर्भर होता है। इस प्रकार, समाज के प्रति उनका एक व्यापक उत्तरदायित्व होता है।
परोपकारिता या निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व धन, सामाजिक कार्यों, पर्यावरण संरक्षण और इसी प्रकार के अन्य कार्यों के माध्यम से प्राप्त लाभों के प्रतिफल में समाज को कुछ प्रदान करने का एक तरीका है। ये दोनों प्रक्रियाएं उस समुदाय और पर्यावरण (दोनों पारिस्थितिक और सामाजिक) के प्रति अपने उत्तरदायित्व की भावना को जागृत करती हैं जिनमें ये संचालित होती हैं। ये दोनों सकारात्मक अवधारणाएं हैं जो उस समुदाय को उन कॉर्पोरेट संसाधनों का वितरण करने के लिए अभिकल्पित की गई हैं, जिनके लिए कॉर्पोरेशन कार्य करता है।
हालांकि, निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अनिवार्य प्रकृति परोपकारिता की धारणा के विरुद्ध जाती है:
- परोपकारिता एक निजी मामला है और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह तय करना कॉर्पोरेट पर निर्भर होना चाहिए कि उसे क्या, कितना और किसे देना है।
- इस प्रकार के निर्णयों में सरकार का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप इसे कॉर्पोरेट के लिए एक अन्य कानूनी दायित्व बनाता है, न कि कोई सामाजिक उत्तरदायित्व।
- परोपकारिता के कार्य में समाज में किसी कारकों या मुद्दों के प्रति एक गहन चिंता की भावना का समावेश होता है।
- इसे अनिवार्य करना बाजारों और पूंजीवाद के अविश्वास एवं मिथ्याबोध को दर्शाता है और कॉर्पोरेट द्वारा उत्साहविहीन गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है।
- किसी विशेष उद्देश्य के प्रति स्वयं की अभिशंसा से बाहर कॉर्पोरेट द्वारा अपने धन में से एक भाग को व्यय करने की इच्छा दीर्घ समय में उस संबंध में कुछ ठोस परिणाम सुनिश्चित करेगी। निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व को अनिवार्य करने से इसकी महत्ता अत्यंत कम हो जाती है तथा यह लगभग एक प्रकार के कर के समान हो जाता है जिसका, उन्हें कुछ विशिष्ट गतिविधियों हेतु अपने धन और संसाधनों का उपयोग करके, भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
- कई बार, निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की गतिविधियों को अपना ब्रांड स्थापित करने के अभ्यास के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार, यह परोपकारिता की धारणा के विरुद्ध हो जाती है, क्योंकि इसका अंतिम लक्ष्य सार्वजनिक हित नहीं बल्कि किसी प्रकार का स्वार्थ हो जाता है।
हालाँकि, भारत जैसे संसाधनों की कमी का सामना करने वाले देश में, कॉरपोरेट को अपनी संचित निधि से कुछ धन का निष्कर्षण कर सामाजिक कार्यों में नियोजित करने की दिशा में प्रवृत्त करना आवश्यक है। निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व ने सामाजिक अवसंरचना में सुधार करने, सामुदायिक विकास में तेजी लाने और पर्यावरण संरक्षण मानदंडों को बढ़ावा देने के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी और कुशल मानव संसाधन के समावेशन की प्रक्रिया में निस्संदेह भारत की सहायता की है। यह समाज के प्रबुद्ध लोगों का ऐसे क्रियाकलापों के लिए समाज के साथ संपर्क बढ़ाती है। यह समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व के विषय में व्यक्तियों और कॉर्पोरेट में दीर्घकालिक व्यवहार और अभिवृत्ति सम्बन्धी परिवर्तन को भी प्रेरित कर सकती है। इसके अतिरिक्त, निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रभाव क्षेत्र के व्यक्तिगत परोपकारिता की तुलना में कहीं अधिक व्यापक होने की संभावना होती है।
साथ ही, न्यासिता मॉडल (trusteeship model) यह भी संकेत करता है कि निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व प्रथाएं न्यायसंगत होती हैं क्योंकि कंपनियों का यह नैतिक कर्त्तव्य है कि वे समाज को वह पुन: प्रदान करें जिसे वे अपनी प्रतिदिन की गतिविधियों में प्राप्त करती हैं, अर्थात् आर्थिक रूप से स्थिर देश में अपने व्यवसाय का संचालन करने का अवसर, सुयोग्य मानव संसाधन उपलब्धता आदि। साथ ही सरकार को कर कटौती, सार्वजनिक प्रशंसा और नैतिक प्रत्यायन इत्यादि के माध्यम से विभिन्न उद्देश्यों के लिए स्वैच्छिक योगदान को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
Read More
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का संक्षिप्त परिचय : इस संबंध में परिचालन हेतु सामाजिक अनुज्ञप्ति (Social License to Operate: SLO) की भूमिका
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के एक प्रभावी उपकरण बनने के समक्ष कई चुनौतियां
- भारत में परिवार की पारंपरिक संरचना एवम वर्तमान सामाजिक सुरक्षा उपायों में आवश्यक सुधार
- सामाजिक मूल्यों और परंपरा : महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन