1.भारत में उपनिवेशी शासनकाल में ‘होम चार्जेज’ भारत से संपत्ति दोहन का महत्वपूर्ण अंग थे। निम्नलिखित में से कौन-सी निधि/ निधियां ‘होम चार्जेज’ की संघटक थी/थीं?
1. लंदन में इंडिया ऑफिस के भरण-पोषण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली निधि।
2. भारत में कार्यरत अंग्रेज कर्मचारियों के वेतन तथा पेंशन देने हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली निधि।
3. भारत के बाहर हुए युद्धों को लड़ने में अंग्रेजों द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली निधि।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1,2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (b) केवल 1 और 2
- राज्य सचिव ने भारत सरकार की ओर से इंग्लैंड में धन खर्च किया।
- इस खर्च को होम चार्ज कहा जाता था और इसमें सैन्य आपूर्ति खरीदना, इंडिया ऑफिस के कर्मचारियों के लिए भुगतान, ऋण पर ब्याज, रेलवे में निवेश और सेवानिवृत्त कंपनी सिविल सेवकों के लिए पेंशन या बोनस जैसी चीजें शामिल थीं।
- भारत के बाहर युद्धों पर खर्च किया गया धन शामिल नहीं था।
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2. शब्द ‘इंपीरियल प्रेफरेंस’ का प्रयोग किया जाता था-
(a) भारत में ब्रिटिश आयातों पर दी गई विशेष रियायतों के लिए।
(b) ब्रिटिश नागरिकों द्वारा किए जा रहे प्रजातीय भेदभाव के लिए।
(c) ब्रिटिश हित के लिए किए जा रहे भारतीय हित के दमन के लिए।
(d) भारतीय रियासतों के राजाओं पर ब्रिटिश पॉलिटिकल एजेंटों को दी जा रही तरजीह के लिए।
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) भारत में ब्रिटिश आयातों पर दी गई विशेष रियायतों के लिए।
- वाक्यांश “शाही प्राथमिकता” का अर्थ भारत में आयात किए जाने वाले ब्रिटिश सामानों को दिए जाने वाले विशेष लाभ से है।
- इसका मतलब यह हुआ कि भारत में आने वाले ब्रिटिश माल पर ज्यादा टैक्स नहीं देना पड़ता था, लेकिन ब्रिटेन जाने वाले भारतीय निर्यात पर काफी ज्यादा टैक्स देना पड़ता था।
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3.ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में उद्योगों का कोई स्वतंत्र विकास नहीं हुआ। इसका कारण था-
(a) मारी उद्योगों का अभाव
(b) विदेशी पूंजी की कमी
(c) प्राकृतिक संसाधनों की कमी
(d) धनिक वर्ग द्वारा भू-संपत्ति में निवेश करने को तरजीह दिया जाना
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (d) धनिक वर्ग द्वारा भू-संपत्ति में निवेश करने को तरजीह दिया जाना
- जब ब्रिटेन सत्ता में था, तो अमीर लोगों ने अपना पैसा व्यवसायों के बजाय जमीन में लगाने की प्रवृत्ति दिखाई, जिससे औद्योगीकरण में कोई प्रगति नहीं हुई।
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4. 18वीं से निर्यातित प्रमुख पण्यपदार्थ (स्टेपल कमोडिटीज़) क्या थे?
(a) अपरिष्कृत कपास, तिलहन और अफ़ीम
(b) चीनी, नमक, जस्ता और सीसा
(c) तांबा, चांदी, सोना, मसाले और चाय
(d) कपास, रेशम, शोरा और अफ़ीम
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (d) कपास, रेशम, शोरा और अफ़ीम
- 1600 के दशक के अंत और 1700 के दशक की शुरुआत में, बंगाल ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि वे यूरोप में बेचने के लिए वहां से चीजें खरीद सकते थे।
- इन वस्तुओं में कपास, कपड़ा, अफ़ीम, शोरा, चीनी और रेशम शामिल थे।
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5. इस्तमरारी बंदोबस्त किसने लागू किया?
(a) वेलेजली
(b) वॉरेन हेस्टिंग्स
(c) लॉर्ड कॉर्नवालिस
(d) लॉर्ड डफरिन
[U.P. P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर- (c) लॉर्ड कॉर्नवालिस
- लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 में स्थायी बंदोबस्त का निर्माण किया, जिसे बंगाल के स्थायी बंदोबस्त के रूप में भी जाना जाता है।
- यह ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाली जमींदारों के बीच एक समझौता था जिसमें भूमि से राजस्व की एक निश्चित राशि का भुगतान करने पर सहमति हुई थी।
- जमींदारों को भूमि के मालिकों के रूप में मान्यता दी गई और उन्हें इसे हस्तांतरित करने या बेचने का अधिकार था।
- समझौता यह था कि जमींदारों को एक निश्चित तिथि पर सरकार को राजस्व की एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा, और यदि वे ऐसा करने में विफल रहे, तो भूमि पर उनका अधिकार खो जाएगा।
- कर की दर भी निश्चित कर दी गई और भविष्य में इसे बढ़ाया नहीं जा सका।
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6. 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस की भू-व्यवस्था प्रणाली लागू होने के बाद कानूनी विवादों की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी देखी गई थी। निम्नलिखित प्रावधानों में से किस एक को सामान्यतया इसके कारक के रूप में जोड़ कर देखा जाता है?
(a) रैयत की तुलना में जमींदार की स्थिति को अधिक सशक्त बनाना।
(b) ईस्ट इंडिया कंपनी को जमींदारों का अधिपति बनाना।
(c) न्यायिक पद्धति को अधिक कार्यकुशल बनালা।
(d) उपर्युक्त (a), (b) तथा (c) कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) उपर्युक्त (a), (b) तथा (c) कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
- ब्रिटिश सरकार ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग भू-राजस्व प्रणालियों का उपयोग किया, जैसे स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी और महलवाड़ी।
- बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थायी बंदोबस्त लागू किया गया, जो पूरे ब्रिटिश भारत का 19% था।
- लगभग 51% क्षेत्र रैयतवारी प्रणाली के अंतर्गत था, जिसका उपयोग मद्रास, मुंबई के कुछ हिस्सों, पूर्वी बंगाल, असम और कुर्ग में किया जाता था।
- महलवाड़ी प्रणाली का उपयोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रांत और पंजाब में किया जाता था, जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 30% कवर करता था।
- इससे भारतीय किसानों में विभिन्न वर्गों का निर्माण हुआ।
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7. चिरस्थायी बंदोबस्त, 1793 के अंतर्गत जमींदारों से अपेक्षा की गई थी कि वे खेतिहरों को पट्टा जारी करेंगे। अनेक जमींदारों ने पट्टा जारी नहीं किए। इसका कारण था-
(a) जमींदारों के ऊपर किसानों का विश्वास था।
(b) जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था।
(c) यह ब्रिटिश सरकार की जिम्मेदारी थी।
(d) खेतिहरों की दिलचस्पी पट्टा प्राप्त करने में नहीं थी।
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (b) जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था।
- कई जमींदारों ने पट्टे नहीं दिए क्योंकि 1793 के स्थायी बंदोबस्त में उनकी निगरानी के लिए कोई अधिकारी नहीं थे।
- उन्हें बस एकत्रित राजस्व का 89% अधिकारियों को देना था।
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8. बिहार में ‘परमानेंट सेटिलमेंट’ लागू करने का कारण था-
(a) जींदारों का जमीन पर अधिकार न रहना
(b) जमींदारों के लिए जमीन पर वंश परंपरागत अधिकार को स्वेच्छा से हस्तांतरित करने का अधिकार
(c) भू-राजस्व का राजस्व निर्णय करना
(d) जमींदारी प्रथा का निर्मूलन
[48 to 52 B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर- (c) भू-राजस्व का राजस्व निर्णय करना
- बिहार में, एक ऐसी प्रणाली लागू की गई जो कंपनी को हर बार एक निश्चित राशि प्राप्त करने की गारंटी देती थी।
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9. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- में बंगाल और बिहार में भूमि पर किरायेदारों के अधिकारों को बंगाल किरायेदारी अधिनियम द्वारा दिया गया था।
(a) 1885
(b) 1886
(c) 1889
(d) 1900
[56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) 1885
- 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस एक नई व्यवस्था लेकर आए, जिससे जमींदारों को बहुत सारे अधिकार मिल गए।
- 1800 के दशक तक, बहुत से लोग ज़मीन चाहते थे और जमींदार अधिक किराया वसूलते थे, जिससे किसान वास्तव में क्रोधित हो जाते थे।
- बंगाल सरकार ने तब एक कानून (बंगाल और बिहार किरायेदारी अधिनियम 1885) पेश किया जिसमें बताया गया कि मकान मालिकों और किरायेदारों के पास क्या अधिकार हैं।
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10.निम्नलिखित में से कौन ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में रैयतवाड़ी बंदोबस्त के प्रारंभ किए जाने से संबद्ध था/थे?
1. लॉर्ड कॉर्नवालिस
2. अलेक्जेंडर रीड
3. टॉमस मुनरो
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1,2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) केवल 2 और 3
- रैयतवाड़ी बंदोबस्त अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली हेतु लागू की गई एक प्रणाली थी। अलेक्जेंडर रीड ने मद्रास प्रेसीडेंसी में सर्वप्रथम 1792 ई. में तमिलनाडु के बारामहल क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की। टॉमस मुनरो ने 1809 ई. में कुछ क्षेत्रों में इसको लागू किया। 1820 ई. में मद्रास का गवर्नर बनने पर उसने इसे मद्रास में लागू किया। मुनरो के शिष्य एलफिस्टन ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया। संपूर्ण ब्रिटिश भारत के 51 प्रतिशत क्षेत्र (मद्रास, बंबई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, असम एवं कुर्ग) में यह व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत रैयतों को भूमि का मालिकाना हक दिया गया, जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से भू-राजस्व अदा करने के लिए उत्तरदायी थे। 1836 ई. के बाद विनगेट और गोल्डस्मिथ द्वारा इस व्यवस्था में सुधार किए गए।
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11.रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था।
2. सरकार रैयत को पट्टे देती थी।
3. कर लगाने के पूर्व भूमि का सर्वेक्षण और मूल्य निर्धारण किया जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) कोई भी नहीं
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) 1, 2 और 3
- 1820 में, थॉमस मुनरो ने मद्रास, बॉम्बे और असम के कुछ हिस्सों में रैयतवारी प्रणाली बनाई।
- इस प्रणाली ने किसानों को स्वामित्व का अधिकार दिया और ब्रिटिश अधिकारी उनसे सीधे कर वसूल करते थे।
- शुष्क क्षेत्रों में कर 50% और सिंचित क्षेत्रों में 60% था।
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12. वह प्रथा, जिसके तहत किसान स्वयं भूमि का मालिक होता है और सरकार को मू-राजस्व के भुगतान के लिए जिम्मेदार माना जाता है?
(a) जमींदारी प्रथा
(b) रैयतवाड़ी प्रथा
(c) महालवाड़ी प्रथा
(d) दहसाला प्रथा
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं। उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) रैयतवाड़ी प्रथा
- रैयतवाड़ी प्रथा के अंतर्गत किसान स्वयं भूमि का मालिक होता है और सरकार को भू-राजस्व के भुगतान के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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13. नीचे दो कथन दिए गए हैं, जिनमें एक को कथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है –
कथन (A): ब्रिटिश सरकार ने भारत के अलग-अलग भागों में भू-राजस्व की अलग-अलग व्यवस्था लागू की थी।
कारण (R): इससे भारतीय किसानों में अलग-अलग वर्ग बन गए। नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
- ब्रिटिश सरकार ने भारत में विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग भूमि कानूनों का इस्तेमाल किया।
- इन कानूनों को स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी और महलवाड़ी कहा गया।
- स्थायी बंदोबस्त का प्रयोग बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में किया गया।
- इस व्यवस्था में ब्रिटिश भारत का लगभग 19% भाग सम्मिलित था।
- रैयतवाड़ी का उपयोग मद्रास, मुंबई के कुछ हिस्सों, पूर्वी बंगाल, असम और कुर्ग में किया जाता था और यह ब्रिटिश भारत के लगभग 51% हिस्से को कवर करता था।
- महलवारी का उपयोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रांत और पंजाब में किया जाता था और यह ब्रिटिश भारत के 30% हिस्से को कवर करता था।
- इससे भारत में किसानों के विभिन्न वर्ग तैयार हो गये।
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14. पंजाब मूमि हस्तांतरण अधिनियम कब पारित किया गया?
(a) 1850
(b) 1895
(c) 1900
(d) 1905
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63 B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) 1900
- पंजाब भूमि हस्तांतरण अधिनियम, 1900 ई. में पारित किया गया, जिससे कृषकों की भूमि का गैर-कृषकों के पास हस्तांतरित होना समाप्त हो गया।
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15. असम में सर्वप्रथम चाय कंपनी की स्थापना कब हुई थी?
(a) 1835 में
(b) 1837 में
(c) 1839 में
(d) 1841 में
[U.P.R.O/A.R.O. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) 1839 में
- असम कंपनी की शुरुआत 1839 में इंग्लैंड में पांच लाख रुपये से हुई थी।
- यह असम के नाज़िरा में स्थित है और असम की सबसे पुरानी चाय कंपनी है जो अभी भी काम कर रही है।
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16. सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए –
सूची – I |
सूची – II |
A. जजमानी |
1. उत्तर भारत |
B. बारा बलूट |
2. कर्नाटक |
C. मिरासि |
3. महाराष्ट्र |
D. अडाडे |
4. तमिलनाडु |
कूट :
A B C D
(a) 1 2 3 4
(b) 1 3 2 4
(c) 1 4 2 3
(d) 1 3 4 2
[U.P. P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 1 3 4 2
सूची I और सूची-II का सही सुमेलन है-
सूची – I |
सूची – II |
जजमानी |
उत्तर भारत |
बारा बलूट |
महाराष्ट्र |
मिरासि |
तमिलनाडु |
अडाडे |
कर्नाटक |
17. ब्रिटिश भारत में सैन्य बल पर केंद्रीय राजस्व का कुल कितना प्रतिशत व्यय होता था?
(a) 40%
(b) 45%
(c) 50%
(d) 55%
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) 40%
- भारत में ब्रिटिश सरकार को मिलने वाले धन का चालीस प्रतिशत सेना पर खर्च किया जाता था।
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18. दादाभाई नौरोजी द्वारा प्रतिपादित ‘अपवाह सिद्धांत’ (Drain Theory) की सही परिभाषा नीचे के किस कथन में आती है?
(a) देश के संसाधनों का उपयोग ब्रिटेन के हित में किया जा रहा था।
(b) भारत की राष्ट्रीय संपदा का एक भाग अथवा कुल वार्षिक उत्पाद ब्रिटेन को निर्यात कर दिया जाता था, जिसके लिए भारत को कोई वास्तविक प्रतिफल नहीं मिलता था।
(c) साम्राज्यवादी शक्ति के संरक्षण में ब्रिटिश उद्योगपतियों को भारत में निवेश के अवसर दिए जाते थे।
(d) भारत में ब्रिटिश सामान का आयात किया जाता था और यों देश को दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक गरीब बनाया जाता था।
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (b) भारत की राष्ट्रीय संपदा का एक भाग अथवा कुल वार्षिक उत्पाद ब्रिटेन को निर्यात कर दिया जाता था, जिसके लिए भारत को कोई वास्तविक प्रतिफल नहीं मिलता था।
- दादाभाई नौरोजी, जिन्हें भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन के नाम से जाना जाता है, ने औपनिवेशिक शासन के कारण भारत की संपत्ति के इंग्लैंड चले जाने की समस्या की ओर इशारा किया।
- उन्होंने भारत के शुद्ध लाभ का अध्ययन किया और धन की इस निकासी के कुछ कारणों की पहचान की।
- ये थे बाहरी शासन और प्रशासन की लागत, ब्रिटेन को भेजा गया धन जिसके लिए भारत को कोई रिटर्न नहीं मिला, और भारत और विदेशों में क्षेत्र के निर्माण के खर्च थे।
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19. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा उनके नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
अभिकथन (A): ब्रिटिश काल में सामान्यतः भारत का व्यापार संतुलन अनुकूल था।
कथन (R): धन की निकासी का स्वरूप अप्रतिफलित निर्यात था।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R). (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, पर (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, पर (R) सही है।
[U.P. P.C.S. (Pre.) 2017]
उत्तर- (a) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
- नेताओं और अर्थशास्त्रियों ने भारत से इंग्लैंड में धन के प्रवाह को धन के “निष्कासन” के रूप में लेबल किया है, जिसके लिए भारत को समान आर्थिक, वाणिज्यिक या भौतिक रिटर्न नहीं मिला।
- इसका कारण ईस्ट इंडिया कंपनी की दमनकारी भूमि राजस्व नीतियों से होने वाला मुनाफा, भारतीय बाज़ारों पर उनका एकाधिकारवादी नियंत्रण और उनके अधिकारियों की ज़बरदस्ती थी।
- कंपनी ने जो निवेश किया उसके बदले में भारत को उनके द्वारा निर्यात किए गए माल के बदले में कुछ भी वापस नहीं मिला।
- इसका अंत 1813 में “अप्रत्याशित” निर्यात के साथ हुआ, जहाँ भारत को बदले में कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ।
- दादाभाई नरोजी ने कहा कि धन का यह निकास “सभी बुराइयों में से बुराई” और भारतीय गरीबी का मुख्य कारण था।
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20.निम्नलिखित में से कौन भारत में उपनिवेशवाद का/के आर्थिक आलोचक था/थे ?
1. दादाभाई नौरोजी
2. जी. सुब्रमण्य अय्यर
3. आर.सी. दत्त
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- 1870 और 1905 के बीच, कई भारतीय विद्वानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर ब्रिटिश शासन के प्रभावों का अध्ययन किया, जैसे दादाभाई नौरोजी, गोविंद रानाडे और रमेश चंद्र दत्त।
- उन्होंने भारत के आर्थिक इतिहास के बारे में लिखा।
- जीवी जोशी, जी. सुब्रमण्यम अय्यर, गोपाल कृष्ण गोखले और पृथ्वी चंद्र राय जैसे अन्य बुद्धिजीवियों ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया।
- अंत में, वे सभी इस बात पर सहमत हुए कि उपनिवेशवाद भारत के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा थी।
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21. निम्नलिखित में से कौन दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत (Drain Theory) में विश्वास नहीं करता था?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) आर.सी. दत्त
(c) एम.जी. रानाडे
(d) सर सैयद अहमद खां
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (d) सर सैयद अहमद खां
- सर सैयद अहमद खान अंग्रेजों के प्रति समर्पित थे और सोचते थे कि मुसलमान केवल ब्रिटिश नियंत्रण में रहकर ही प्रगति कर सकते हैं।
- इसलिए, वह दादा भाई नौरोजी के “ड्रेन सिद्धांत” के विचार से असहमत थे।
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22. ‘पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ नामक पुस्तक किस वर्ष प्रकाशित हुई?
(a) 1900 ई.
(b) 1901 ई.
(c) 1902 ई.
(d) 1903 ई.
[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) 1901 ई.
- ‘पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ के लेखक दादाभाई नौरोजी हैं। यह पुस्तक वर्ष 1901 में लंदन के एस. सोनेश्चेन प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की गई थी।
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23. ‘पावर्टी एंड द अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया’ नामक पुस्तक किसने लिखी?
(a) अमर्त्य कुमार सेन
(b) रमेश चंद्र दत्त
(c) गोपाल कृष्ण गोखले
(d) दादाभाई नौरोजी
[U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर- (d) दादाभाई नौरोजी
- 1865 में, दादाभाई नौरोजी और डब्ल्यूसी बनर्जी ने लोगों को भारत की कठिन स्थिति के बारे में बताने के लिए “लंदन इंडिया सोसाइटी” की स्थापना की।
- दादाभाई नौरोजी लिबरल पार्टी के सदस्य के रूप में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय बने।
- उन्होंने “पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया” नामक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने भारत में आर्थिक समस्याओं पर चर्चा की और “धन की निकासी सिद्धांत” पेश किया।
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24. ब्रिटिश शासन के समय अर्थव्यवस्था को खोखला करने (इकोनॉमिक ड्रेन) के सिद्धांत के बारे में पुस्तक किसने लिखी थी?
(a) लाला लाजपत राय
(b) महात्मा गांधी
(c) पं. जवाहरलाल नेहरू
(d) दादाभाई नौरोजी
[U.P. P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर- (d) दादाभाई नौरोजी
- 1865 में, दादाभाई नौरोजी और डब्ल्यूसी बनर्जी ने भारतीय पीड़ा की ओर ध्यान दिलाने के लिए ‘लंदन इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की।
- नौरोजी लिबरल पार्टी के सदस्य के रूप में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
- उन्होंने “भारत में गरीबी और गैर-ब्रिटिश शासन” नामक पुस्तक लिखी, जिसमें भारत के आर्थिक संघर्षों को रेखांकित किया गया और “धन की निकासी सिद्धांत” पेश किया गया।
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25. ‘अनुद्योगीकरण’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1. यह प्रक्रिया 1813 में प्रारंभ हुई।
2. ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक एकाधिकारों इस प्रक्रिया को तेज किया। एकाधिकारो की समाप्ति ने
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न 1, न 2
[U.P. P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (c) 1 तथा 2 दोनों
- भारत में विऔद्योगीकरण 1813 में शुरू हुआ।
- चाय और अफ़ीम के व्यापार और चीन के साथ व्यापार को छोड़कर, कंपनी का वाणिज्यिक नियंत्रण अब प्रभावी नहीं था।
- 1833 के सेंट हेलेना अधिनियम, जिसे भारत सरकार अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, ने गैर-औद्योगीकरण को बदतर बना दिया क्योंकि इसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को एक व्यापारिक व्यवसाय बनने से रोक दिया और इसे सिर्फ एक प्रशासनिक निकाय बना दिया।
- परिणामस्वरूप, कंपनी ने चीन और सुदूर पूर्व के अन्य स्थानों के साथ व्यापार करने वाली एकमात्र कंपनी बनने की शक्ति खो दी।
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26.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
दादाभाई नौरोजी की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को सर्वाधिक प्रभावी देन थी कि-
1. उन्होंने इस बात को अभिव्यक्त किया कि ब्रिटेन, भारत का आर्थिक शोषण कर रहा है।
2. उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों की व्याख्या की और भारतीयों में आत्म-विश्वास जगाया।
3. उन्होंने सभी सामाजिक बुराइयों के निराकरण की आवश्यकता पर सर्वोपरि जोर दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(c) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) केवल 1
- दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने व्यापक शोध और परीक्षण के बाद दिखाया कि ब्रिटेन भारत का आर्थिक रूप से फायदा उठा रहा था और इंग्लैंड को सालाना पैसा भेजा जा रहा था।
- इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने अपना ‘ड्रेन थ्योरी’ प्रस्तुत किया।
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27. किसने यह विचार किया था कि भारत में ‘ब्रिटिश आर्थिक नीति’ घिनौनी है?
(a) बी.जी. तिलक
(b) दादाभाई नौरोजी
(c) कार्ल मार्क्स
(d) एडम स्मिथ
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]
उत्तर- (c) कार्ल मार्क्स
- कार्ल मार्क्स ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश आर्थिक रणनीतियाँ भयानक थीं।
- उन्होंने लंकाशायर के कातने वाले और बंगाल के बुनकर को एक ही स्थान पर रखा और उन्हें नष्ट कर दिया।
- इसने एशिया में भारी उथल-पुथल मचा दी क्योंकि इसने छोटे, अर्ध-सभ्य और अर्ध-जंगली समुदायों से पैसा कमाने का उनका तरीका छीनकर उन्हें नष्ट कर दिया।
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28.दक्षिण भारत में सिंचाई व्यवस्था का अग्रदूत किसे माना जाता है?
(a) सर आर्थर कॉटन
(b) कर्नल बेयर्ड स्मिथ
(c) लेफ्टिनेंट ब्लेन
(d) कर्नल रॉबर्ट स्मिथ
[Uttarakhand P.C.S. (Pre.) 2016.]
उत्तर- (a) सर आर्थर कॉटन
- सर आर्थर कॉटन ब्रिटिश सिंचाई अभियंता थे। उन्होंने दक्षिण भारतीय राज्यों की सिंचाई व्यवस्था हेतु उल्लेखनीय कार्य किया। इसलिए सर आर्थर कार्टेन को दक्षिण भारत में सिंचाई व्यवस्था का अग्रदूत’ माना जाता है।
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29. भारत के इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए-
1. औरंग – राजकोष का प्रभारी
2. बेनियान – ईस्ट इंडिया कंपनी का भारतीय एजेंट
3. मिरासिदार – राज्य का नामित राजस्व दाता
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (b) केवल 2 और 3
- औरंग फ़ारसी का एक शब्द है जिसका अर्थ है भंडारगृह – वह स्थान जहाँ बेचने से पहले वस्तुओं का भंडारण किया जाता है।
- बनियन भारत का एक प्रतिनिधि था जो ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करता था और व्यापारिक गतिविधियाँ करता था।
- मीरासिदार भारत के दक्षिणी भाग में प्रभावशाली लोग थे और आमतौर पर उच्च सामाजिक वर्गों से थे।
- उन्होंने दावा किया कि गांव की सारी जमीन पर उनका नियंत्रण है और किसान उनके प्रति जिम्मेदार हैं।
- रैयतवाड़ी व्यवस्था में, वे सरकार को कर देने के लिए जिम्मेदार थे।
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30. आर्थिक तौर पर, 19वीं शताब्दी में भारत पर अंग्रेजी शासन का एक परिणाम था-
(a) भारतीय हस्त-शिल्पों के निर्यात में वृद्धि
(b) भारतीयों के स्वामित्व वाले कारखानों की संख्या में वृद्धि
(c) भारतीय कृषि का वाणिज्यीकरण
(d) नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) भारतीय कृषि का वाणिज्यीकरण
- 19वीं शताब्दी में, भारत में ब्रिटिश शासन के कारण कृषि का व्यावसायीकरण हुआ।
- किसानों को ऐसी फसलें उगाने की आवश्यकता थी जिन्हें उनके कारखानों के लिए सामग्री के रूप में ग्रेट ब्रिटेन में निर्यात किया जा सके।
- इस अवधि में शहरी आबादी में कमी और घरेलू कारखानों का विनाश देखा गया।
- भारतीय किसानों ने आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग के साथ-साथ व्यावसायिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर फसलें उगाना शुरू कर दिया।
- ब्रिटिश व्यवसायों को कच्चे माल की आपूर्ति के लिए नील और अन्य नकदी फसलें उगाई गईं, जिससे शहरी आबादी में कमी आई और घरेलू उद्योगों में बाधा उत्पन्न हुई।
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31. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन औद्योगिक क्रांति के द्वारा उन्नीसवाां शताब्दी के पूर्वार्ध में भारत पर पड़े प्रभाव की सही व्याख्या करता है?
(a) भारतीय दस्तकारी-उद्योग नष्ट हो गए थे।
(b) भारत के वस्त्र-उद्योग में मशीनों का बड़ी संख्या में प्रवेश हुआ था।
(c) देश के अनेक भागों में रेलवे लाइनें बिछाई गई थीं। (d) ब्रिटिश उत्पादन के आयात पर भारी शुल्क लगाया गया था।
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) भारतीय दस्तकारी-उद्योग नष्ट हो गए थे।
- 1800 के दशक की शुरुआत में, ब्रिटेन ने ऐसे नियम बनाए जिससे भारत को कच्चे माल का निर्यात करना पड़ा और तैयार उत्पाद खरीदने पड़े।
- औद्योगिक क्रांति ने नई मशीनों के आविष्कार का भी कारण बना, जो बेहतर और सस्ता सामान बनाती थीं, जिससे भारतीय हस्तशिल्प कम वांछनीय हो गया।
- ब्रिटेन ने भी भारतीय वस्तुओं पर बहुत अधिक कर लगाया, जिससे भारतीय हस्तशिल्प उद्योग को और भी अधिक नुकसान हुआ और यह विफल हो गया।
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