ब्रिटिश शिक्षा नीति : शिक्षा को विनियमित करने वाली प्रमुख नीतियों और अधिनियम
प्रश्न: ब्रिटिश शिक्षा नीति आम जनता को शिक्षित करने के वास्तविक सरोकार के बजाय अपनी साम्राज्यिक आवश्यकताएं पूरा करने ब्रिटिश मिश्रा की इच्छा से अधिक प्रेरित थी। विश्लेषण कीजिए।
दृष्टिकोण
- अंग्रेजी मानसिकता युक्त भारतीयों का एक वर्ग सृजित करने हेतु अंग्रेजों द्वारा भारत में आधुनिक शिक्षा के प्रारंभ पर चर्चा कीजिए।
- शिक्षा को विनियमित करने वाली प्रमुख नीतियों और अधिनियमों यथा चार्टर एक्ट, मैकाले मिनट, भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम आदि के उदाहरण दीजिए।
- स्वतंत्रता संघर्ष में, राजनीतिक जागृति, तर्कवाद, भारत के अतीत की खोज, फ्रांसीसी व रूसी क्रांति से प्रेरणा आदि के संदर्भ में, शिक्षा की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
भारत में अपने प्रारम्भिक 60 वर्षों के दौरान, ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्वयं को व्यापार तक सीमित रखा। कंपनी के प्रमुख संगठनात्मक पदों पर यूरोपीय अधिकारी आसीन थे जबकि कुछ निचले पदों पर भारतीयों की नियुक्ति की गई थी। किन्तु शासन के भौगोलिक प्रसार के कारण प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति के लिए यूरोपीय अधिकारियों को निरंतर भारत बुलाया जाना अनुचित और अव्यावहारिक था। इसके अतिरिक्त, ईसाई मिशनरियों द्वारा ‘श्वेत नस्ल के भार (white man’s burden)’ के सिद्धांत को बढ़ावा दिया गया और लोगों को रूढ़िवादिता से मुक्त और शिक्षित करने को अपने दिव्य कर्त्तव्य के रूप में प्रचारित किया गया। अतः, देश में शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु सवप्रथम 1813 के चार्टर अधिनियम के अंतर्गत प्रतिवर्ष एक लाख की राशि अनुमोदित की गयी।
आधुनिक शिक्षा के प्रारंभ का मुख्य उद्देश्य ‘एक ऐसे वर्ग का सृजन करना था जो रक्त और रंग से भारतीय हो जबकि रुचि, विचार, नैतिकता और बुद्धि से अंग्रेज हो।’ इसे भारतीयों को अधीनस्थ प्रशासनिक पदों पर नियोजित करने और ब्रिटिश शासन को वैधता प्रदान करने के साधन के रूप में प्रयुक्त किया गया क्योंकि आधुनिक पश्चिमी शिक्षा, जिसके द्वारा स्थानीय संस्कृति और मूल्यों के निम्नस्तरीय (subduing) होने का दावा किया गया, भारतीयों में इस भावना का समावेश कर सकती थी कि वे हीन हैं तथा उन्हें एक विदेशी शक्ति द्वारा शासित होना चाहिए।
ब्रिटिश शिक्षा नीति की ये विशेषताएं निम्नलिखित साक्ष्यों से स्पष्ट हैं:
- 1813 और 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत स्वीकृत राशि (क्रमशः एक लाख और दस लाख) शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु अपर्याप्त थी।
- मैकाले मिनट, 1835 द्वारा किसी भी स्थानीय भाषा (vernacular language) के लिए समर्थन को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया।
- अधोमुखी निस्यन्दन सिद्धांत (Downward Infiltration Theory) का लक्ष्य केवल कुछ भारतीयों को शिक्षित करना था, जिनसे ब्रिटिश और भारतीय जनता के मध्य एक संपर्कसूत्र के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की गयी थी।
- राष्ट्रवादियों की मांग के बावजूद, सरकार नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा लागू करने के उत्तरदायित्व के पालन से बचती रही।
- भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 ने विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को प्रतिबंधित किया, क्योंकि इन्हें क्रांतिकारियों के कारखानों के रूप में देखा जाता था।
हालांकि, ‘निष्ठावान श्रमिक वर्ग’ के सृजन संबंधी प्रयास ने भारतीयों की मानसिकता को परिवर्तित कर राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया। इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी आयरिश और रूसी क्रांति से प्रेरित हुए और उन्होंने लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता के आधुनिक विचारों को ग्रहण किया। शिक्षित भारतीयों द्वारा स्वतंत्रता संघर्ष के मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वाह किया गया तथा इसके साथ ही इन्होंने शोषणकारी आर्थिक नीतियों को उजागर किया और जनता को स्वतंत्रता के लक्ष्य की ओर अग्रसर किया।
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