भौगोलिक संकेतक (GI) और भौगोलिक संकेतक अधिनियम के संदर्भ में संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: भौगोलिक संकेतक (GI) के संरक्षण के पीछे अंतर्निहित तर्कों की व्याख्या करते हुए, भारत में GI के संभावित वाणिज्यिक लाभों के दोहन से संबंधित मुद्दों और चिंताओं पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण

  • भौगोलिक संकेतक (GI) और भौगोलिक संकेतक अधिनियम के संदर्भ में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • भौगोलिक संकेतक के संरक्षण के अंतर्निहित तर्कों की व्याख्या कीजिए।
  • GI के वाणिज्यिक लाभों को सीमित करने वाले मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
  • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भौगोलिक संकेतक (GI), उन उत्पादों पर उपयोग किए जाने वाले नाम/चिह्न हैं, जिनकी विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है तथा जो इस उत्पत्ति के कारण विशेष गुणवत्ता/प्रतिष्ठा धारण करते हैं। इससे इस संकेतक के प्रयोग हेतु अधिकृत व्यक्तियों को यह अधिकार प्राप्त हो जाता है कि वे किसी तीसरे पक्ष द्वारा इसके उपयोग को रोक सकें। भारत द्वारा WTO के ट्रिप्स समझौते के तहत अपने दायित्वों के अनुपालन के क्रम में GI अधिनियम, 2003 को अधिनियमित किया गया। ‘दार्जिलिंग’ (चाय), चंदेरी हैंडलूम, ‘बासमती’ (चावल), ‘अल्फांसो’ (आम) इत्यादि GI के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं।

GI के संरक्षण के पीछे अंतर्निहित तर्क:

  • स्थानीय उत्पादन का समर्थन और संरक्षण करना।
  • ग्रामीण यो छोटे कस्बों में स्थानीय रोजगार के अवसरों का सृजन करना।
  • उत्पादकों की उनके उत्पादों को बाजार में प्रतिस्पर्धी उत्पादों से पृथक करने में सहायता करना।
  • यह उत्पादकों को उनके उत्पादों की प्रतिष्ठा और बेहतर छवि के निर्माण हेतु सक्षम बनाता है। इससे प्रायः उत्पाद को उच्च मूल्य प्राप्त होता है।
  • परंपरागत एवं स्वदेशी ज्ञान का संरक्षण।
  • उपभोक्ताओं की धोखाधड़ी से सुरक्षा करना।
  • ऐसे उत्पादों के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच प्रदान करना।

हालांकि भारत में GI की क्षमताओं के दोहन से संबंधित विभिन्न मुद्दे विद्यमान हैं, जैसे कि:

  • मार्केटिंग और ब्रांडिंग रणनीतियों के अभाव ने घरेलू और निर्यात बाजारों, दोनों ही में GI उत्पादों की वास्तविक क्षमताओं के दोहन को बाधित किया है।
  • अकादमिक शोध और व्यवस्थित मूल्यांकन के अभाव के कारण GI संरक्षण से प्राप्त लाभ अवरुद्ध हुए हैं।
  • मेक इन इंडिया अभियान में GI पर कम ध्यान होने के कारण सॉफ्ट पॉवर के विस्तार में इसकी संभावनाओं में कमी आई भौगोलिक उत्पत्ति से जुड़ी गुणवत्ता GI की पहचान है और वर्तमान कानूनी ढांचे में इसे सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त प्रावधानों की कमी है।
  • GI प्रदाता निकायों के पास प्रवर्तन और विपणन के लिए निधीयन का अभाव है।

उपर्युक्त मुद्दों के समाधान तथा GI पंजीकरण, संरक्षण और संवर्धन के लिए बहु-स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली की आवश्यकता है। इससे न केवल गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी, अपितु उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं की पूर्ति भी होगी।

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