लडाइट विद्रोह औद्योगिक क्रांति
प्रश्न: लडाइट विद्रोह औद्योगिक क्रांति के नकारात्मक परिणामों के प्रति प्रतिक्रियाओं में से एक था। स्पष्ट कीजिये।
दृष्टिकोण:
- औद्योगिक क्रांति की प्रतिक्रियाओं की संक्षिप्त पृष्ठभूमि दीजिये।
- आम जनता पर औद्योगिक क्रांति के प्रभावों को बताइए।
- लडाइट विद्रोह के परिणामों पर चर्चा कीजिए।
उत्तरः
औद्योगिक क्रांति के आगमन से जहाँ एक ओर विकास की गति तीव्र हुई, वहीं इसके चलते कई नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। इसके विरुद्ध हुई प्रतिक्रियाओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- लडाइट विद्रोह
- रॉबर्ट ओवेन और यूटोपियन समाजवाद
- फैक्ट्री अधिनियम जैसे विधान
- कार्ल मार्क्स और समाजवाद
1811 से 1817 तक चलने वाला लडाइट विद्रोह सबसे पहले आने वाली प्रतिक्रियाओं में से एक था। नेपोलियन युद्धों के दौर के कठोर आर्थिक माहौल में इसका प्रारम्भ नॉटिंघमशायर से हआ और शीघ्र ही यह लीसेस्टरशायर और डर्बीशायर जैसे अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में फैल गया। इसका नाम इसके करिश्माई नेता जनरल नेड लड़ के नाम पर पड़ा।
लडाइट, इंग्लैंड के वस्त्र श्रमिकों का एक समूह था जिनके पारंपरिक व्यापार और सामुदायिक संरचना को मशीनों के उपयोग से खतरा था। 18 वीं शताब्दी के अंत तक निम्नलिखित कारणों से इन बुनकरों की स्थति खराब हुई:
- श्रम की बचत करने वाली मशीनों का आविष्कार
- उनके स्वामियों द्वारा शोषण
- फैशन में बदलाव
- बढ़ती जनसंख्या
इनके साथ-साथ औद्योगिक क्रांति के कुछ अन्य परिणाम भी थे जिनका वृहद सामाजिक प्रभाव पड़ा। यथा:
- श्रमिकों की औसत जीवन अवधि कम हुई: जल प्रदूषण (हैजा, टाइफाइड) और वायु प्रदूषण (क्षय रोग) के कारण होने वाली महामारियों के कारण।
- सामाजिक प्रोफ़ाइल बदलना: पुरुषों के कम वेतन के पूरक के रूप में महिलाओं और बच्चों ने कारखानों में कार्य करना शुरू किया।
- श्रमिकों की खराब स्थिति: उन्हें सख्त अनुशासन में कठोर नियमों के तहत लंबे समय तक, निरंतर कई घंटों तक कार्य करना पड़ता था और कठोर दण्ड दिया जाता था। मशीनरी बहुत ही असुरक्षित थी, खासकर बच्चों के लिए। प्राणघातक चोटों के लिए भी कोई मुआवजा नहीं था।
- गंभीर सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ: कुछ हाथों में आर्थिक शक्ति के संकेन्द्रण ने चौंकाने वाली सामाजिक असमानता को उत्पन्न किया और अमीर और गरीबों के बीच विस्तृत खाई बनाई।
- पूंजीवादी और मजदूरों का अलगाव: जहाँ श्रमिकों को भीड़भाड़ वाले ऐसे क्वार्टरों में रहना पड़ता था जहाँ स्वच्छ जल तक पहुँच भी संभव नहीं थी, वहीं अमीर लोग स्वच्छ हवा और सुरक्षित जल वाले उपनगरों में रहते थे। लडाइट समूह को डर था कि उनका कला-कौशल को सीखने का समय बर्बाद जाएगा क्योंकि उद्योगों में उनकी जगह मशीनों द्वारा ले ली जाएगी।
परिणामस्वरुप, लडाइट ने विरोध प्रदर्शन के रूप में बुनाई मशीनों को नष्ट करना शुरू कर दिया। इस स्थिति में, दो कॉम्बिनेशन एक्ट्स, 1795 पारित किए गए, जिनके तहत राजा, संविधान और सरकार के खिलाफ किसी भी प्रकार के विरोध पर प्रतिबंध लगा दिया।
राजनीतिक और आर्थिक बाध्यताओं के कारण, लडाइट ने प्रत्यक्ष तरीकों को अपनाया और नयी मशीनों और उद्योगपतियों को लक्षित किया। ध्यातव्य है कि लडाइट तकनीक से डर नहीं रहे थे और न ही उन्होंने इस डर से प्रौद्योगिकी को खत्म करने का प्रयास किया। इसके बजाय उनका लक्ष्य अपने नियोक्ताओं के साथ बेहतर सौदेबाजी की स्थिति प्राप्त करना और बेहतर कार्य स्थितियाँ प्राप्त करना था। इस आंदोलन के परिणाम बालश्रम पर प्रतिबंध तथा 1819 से 1847 के मध्य काम के घंटे तय करने वाले विभिन्न श्रम नियमन कानूनों के अधिनियमन के रूप में देखे जा सकते हैं।
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