महासागरों के बढ़ते तापमान का जैवमंडल पर प्रभाव

प्रश्न: महासागरों के बढ़ते तापमान का जैवमंडल पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसके प्रभावों के साथ-साथ इसके कारणों को दूर करने के लिए किए जा सकने वाले उपायों का विवरण प्रदान कीजिए।

दृष्टिकोण

  • महासागरीय तापन से संबंधित समकालीन निष्कर्षों की पुष्टि करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • जैवमंडल पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  • इसके कारणों और प्रभावों दोनों का समाधान करने हेतु कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर

2013 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change: IPCC) द्वारा प्रकाशित पांचवीं आकलन रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि 1970 के बाद होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से प्राप्त अतिरिक्त ऊष्मा के 93% से अधिक भाग को महासागरों द्वारा अवशोषित किया गया है। इसके कारण महासागरों के तापमान में वृद्धि हुई है।

जैवमंडल के विभिन्न घटकों पर महासागरीय तापन का प्रभाव 

  • समुद्री क्षेत्र: महासागरीय तापन विऑक्सीजनन (de-oxygenation) अर्थात् महासागरों में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा में कमी तथा महासागरों के अम्लीकरण अर्थात् CO2 में वृद्धि के कारण महासागरों के pH मान में कमी को बढ़ावा देता है। इसके कारण प्रवाल विरंजन, समुद्री जीवों के प्रजनन स्थलों की क्षति, समुद्री प्रजातियों में रोगों का संचरण और समुद्री जीवों की व्यापक स्तर पर मृत्यु आदि दुष्प्रभाव परिलक्षित होते हैं।
  • भूमि: इससे स्थलीय जीवों पर दबाव उत्पन्न हो जाता है परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, रोगों के व्यापक प्रसार में वृद्धि होती है; मछली की प्रजातियों के विनाश से तटीय समुदायों की आजीविका प्रभावित होती है और इससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में आर्थिक हानि होती है। समुद्री जल के तापीय प्रसार और महाद्वीपीय हिम के पिघलने के परिणामस्वरूप समुद्र जल स्तर में होने वाली वृद्धि निम्न तटवर्ती द्वीपीय देशों में अधिवासों को भी प्रभावित करती है। मैंग्रोव जैसी तटीय वनस्पतियों और प्रवाल भित्तियों (जो अपरदन और बढ़ते समुद्र जल स्तर से तटवर्ती क्षेत्रों को संरक्षित करती हैं) के विनाश से तटीय समुदायों और वन्यजीवों की सुभेद्यता में वृद्धि होती है।
  • वायुमंडल– महासागरीय बफर के अभाव में वैश्विक तापमान में अब तक हुई वृद्धि की तुलना में अधिक वृद्धि होगी; महासागरों के तापमान में वृद्धि से चक्रवातों (हरिकेन) की प्रचंडता में वृद्धि होगी; अल नीनो परिघटनाओं की तीव्रता में वृद्धि के परिणामस्वरूप सूखे और बाढ़ की तीव्रता में वृद्धि होगी।

महासागरीय तापन के कारणों का समाधान करने के उपाय:

  •  कठोर पर्यावरणीय विनियमन, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और तटवर्ती क्षेत्रों में संधारणीय शहरी विकास।
  • स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करना तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना।
  • तटीय अधिवासों में मानव गतिविधियों का विनियमन और पर्यावरणीय निम्नीकरण को रोकना।

महासागरीय तापन के प्रभावों को दूर करने के उपाय:

  • रॉक पूल (rock pools) जैसी कृत्रिम संरचनाओं का निर्माण करना जो जीवों के लिए कृत्रिम (सरोगेट) आवास के रूप में कार्य करती हैं या सहायक प्रजनन तकनीकों के माध्यम से अत्यधिक तापमान के प्रति प्रजातियों की प्रतिरोधकता में वृद्धि करना।
  • समुद्री संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करना और अनुकूलन उपायों को अपनाना जैसे कि अति मत्स्यन को सीमित करने हेतु सावधानीपूर्वक मत्स्यन सीमा निर्धारित करना।
  • महासागरीय तापन और इसके प्रभावों के मापन और निगरानी हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान में वृद्धि करना।
  • महासागरीय तापन से होने वाली आपदाओं के प्रभावों को कम करने हेतु प्रभावी आपदा पूर्वानुमान और प्रबंधन प्रणाली का विकास करना।
  • महासागरीय तापन के प्रभावों से प्रभावित तटीय समुदायों का पुनर्वास और क्षमता निर्माण करना।
  • महासागरीय तापन के प्रभावों के कारण जैवमण्डल के संतुलन में आयी विकृति को दूर करने हेतु भू-अभियांत्रिकी को नियोजित करना।

इसलिए SDG 14 (समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र का सतत प्रबंधन) की प्राप्ति तथा एक समृद्ध जैवमंडल हेतु जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित शमन लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपरिहार्य आवश्यकता है।

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