भारत में बढ़ते नाइट्रोजन उत्सर्जन : उत्सर्जन को सीमित करने के लिए उठाये कदम

प्रश्न: भारत में बढ़ते नाइट्रोजन उत्सर्जन का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए, चर्चा कीजिए कि यह चिंता का एक विषय क्यों है। ऐसे उत्सर्जन को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

दृष्टिकोण

  • भारत में बढ़ते नाइट्रोजन उत्सर्जन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  • इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिए।
  • आवश्यक समाधान सुझाइए।

उत्तर

  • सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा प्रकाशित भारतीय नाइट्रोजन मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, भारत के NOx उत्सर्जन में 1991 से 2001 के मध्य 52% और 2001 से 2011 के मध्य 69% की वृद्धि दर्ज की गई है। नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) के उत्सर्जन में कृषि मृदा का योगदान 70% (सर्वाधिक), अपशिष्ट जल का 12% और आवासीय एवं वाणिज्यिक गतिविधियों का 6% योगदान रहा।

कारण:

  • जीवाश्म ईंधन के दहन, विद्युत संयंत्रों, उद्योगों, घरेलू
  • नाइट्रोजन उत्सर्जन में कृषि मृदा का और वाणिज्यिक गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट।
  • नाइट्रोजन आधारित कृषि उर्वरक, मवेशियों द्वारा
  • अन्य: 12% उत्सर्जन, फसल अवशेषों का दहन।

ग्रीन पीस द्वारा किए गए एक अन्य नवीनतम अध्ययन के अनुसार, विश्व में 50 नाइट्रोजन हॉटस्पॉट में से तीन भारत में स्थित हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • दिल्ली-NCR,
  • उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और मध्य प्रदेश के सिंगरौली दोनों
  • संबंधित आंकड़ें में विस्तारित एक क्षेत्र।
  • ओडिशा में तालचेर-अंगुल।

स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका पर प्रभाव:

  • वायु की गुणवत्ता में ह्रास और श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष खतरे।
  • पारिस्थितिक तंत्र, प्राकृतिक वनस्पति और जैव-विविधता पर प्रभाव।
  • मृदा और जल के अम्लीकरण के परिणामस्वरूप देश की खाद्य और जल सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव।
  • ओजोन क्षरण।
  • लाल ज्वार और मृत क्षेत्र जैसी पर्यावरणीय समस्याएं।

संभावित समाधान 

  • कृषि से होने वाले NOx प्रदूषण को कम करना:
  • उर्वरकों के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देना और प्रेसिजन कृषि को वहनीय बनाना। 
  • नीम लेपित यूरिया, उर्वरकों के नाइट्रीकरण अवरोधक (nitrification inhibitors) जैसे नवाचारों को अपनाना।
  • नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों पर निर्भरता कम करने हेतु फलीदार फसलों की कृषि करना। 
  • फसल अवशेष के दहन को हतोत्साहित करना। 
  • कृषि के लिए अपशिष्ट जल से पोषक तत्वों की पुनर्घाप्ति/पुनर्चक्रण।
  • उर्वरक सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना।
  • विद्युत् संयंत्रों/वाहनों से संबंधित कमजोर उत्सर्जन विनियमन में सुधार करना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करना और ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करना।
  • देश भर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ावा देना तथा जागरूकता एवं क्षमता निर्माण संबंधी गतिविधियों को सुदृढ़ करना। NCAP (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम) इस दिशा में उठाया गया एक मुख्य कदम है।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.