भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) : CAG के कार्यपद्धति में निहित कमियों का विश्लेषण प्रभावी बनाने हेतु विभिन्न उपायों से संबंधित सुझाव

प्रश्न: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) केवल हमारे राष्ट्रीय खातों के रक्षक से कहीं अधिक है; यह अंत:करण का संरक्षक और वॉचडॉग (प्रहरी) भी है। लेखापरीक्षा प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के आलोक में इस कथन का परीक्षण कीजिए। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • CAG की विभिन्न भूमिकाओं के सन्दर्भ में दिए गए कथनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  • CAG के कार्यपद्धति में निहित कमियों का विश्लेषण कीजिए और लेखापरीक्षा प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु विभिन्न उपायों से संबंधित सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत के संविधान का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र पद की व्यवस्था करता है। CAG के कर्तव्यों और शक्तियों का वर्णन अनुच्छेद 149 में और साथ ही नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्ते अधिनियम, 1971 में ‘संघ और राज्यों या किसी निकाय के लेखाओं के संबंध मे संसद द्वारा बनाई गई विधि ‘ के रूप में परिभाषित किया गया है।

‘ कानूनी और नियामक लेखापरीक्षा के अतिरिक्त , CAG ‘औचित्यपूर्ण लेखापरीक्षा’ (propriety audit), भी आयोजित कर सकता है, वह सरकारी व्यय के ‘बुद्धिमता, विश्वसनीयता और मितव्ययिता’ एवं इस प्रकार के किसी भी व्यय की अपव्यय एवं फिजूलखर्ची पर टिप्पणी कर सकता है।

यदि स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से आयोजित की जाए तो एक मजबूत लेखा परीक्षा सुधारात्मक कार्रवाई हेतु उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है। उदाहरण के लिए, बोफोर्स, 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन और राष्ट्रमंडल खेलों पर CAG की रिपोर्ट के महवपूर्ण सुधारक परिणाम थे। इस प्रकार यह अंत:करण का संरक्षक और वॉचडॉग (प्रहरी) के रूप में भी कार्य करता है। अतः कोई आश्चर्य नहीं है कि बी.आर. अम्बेडकर ने CAG को सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद बताया था।

कमियां : 

  • लेखानियंत्रक संबंधी कार्यों की अनुपस्थिति के कारण यह व्यय के पश्चात केवल कार्योपरान्त विश्लेषण (post mortem analysis) का कार्य करता है।
  • सार्वजनिक निगमों और सरकारी कंपनियों की लेखा परीक्षा में सीमित भूमिका।
  • सरकारी विभाग लेखा परीक्षा से संबंधित प्रश्नों का जवाब नियत समय पर नहीं देते हैं। इससे लेखा परीक्षा रिपोर्ट को कुशलतापूर्वक तैयार करने में बाधा पहुँचती है।
  • CAG द्वारा तैयार रिपोर्ट को विधानमंडल में प्रस्तुत करने संबंधी कोई स्पष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी है। लेखापरीक्षा अधिनियम, 1971 केंद्र और राज्य सरकार को इस संदर्भ में विस्तृत स्वतंत्रता प्रदान करता है।
  • सरकार के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने हेतु लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा CAG की रिपोर्ट का उपयोग किया जाता है। हालांकि, आंकड़े यह दर्शाते हैं कि PAC द्वारा CAG की रिपोर्ट के 1% से अधिक का उपयोग नहीं किया गया है।
  • CAG का वर्तमान कानूनी अधिदेश सार्वजनिक धन के व्यय में किए जाने वाले परिवर्तनों के अनुरूप नहीं है। उदाहरण के लिए: LPG सुधारों ने संयुक्त उद्यमों (JVs) और सार्वजनिक निजी भगीदारी (PPP) में सार्वजनिक धन के व्यय करने को बढ़ावा दिया है, लेकिन अधिदेश में अस्पष्टता के कारण CAG प्रायः सार्वजनिक आर्थिक गतिविधियों के इस व्यापक क्षेत्र की जांच करने में असमर्थ है।
  • CAG की सेवानिवृत्ति के पश्चात् उसे किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, कुछ पदों जैसे बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष पद पर उसकी नियुक्ति कर दी जाती है। इनमें सार्वजनिक कार्यालय के तत्व विद्यमान होते हैं जो उसकी निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं।

लेखा परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने संबंधी सुझाव:

  • निष्पादन आधारित लेखापरीक्षा को अपनाना।
  • CAG में आर्थिक विशेषज्ञता को सुदृढ़ बनाना तथा CAG को लेखा नियंत्रक का भी कार्य प्रदान करना।
  • इसी तरह JVs ,PPPS ,जहाँ सार्वजनिक हित संबद्ध है, उसकी लेखापरीक्षा हेतु CAG को सशक्त बनाना।
  • विभिन्न विभागों के लिए CAG के लेखापरीक्षा संबंधी प्रश्नों के जवाब देने हेतु स्पष्ट समय सीमा निर्धारित करना।
  • संसद और विशेष रूप से PAC द्वारा CAG की रिपोर्टों पर अनिवार्य रूप से विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए।
  • CAG के पद का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और सेवानिवृत्ति के पश्चात् किसी भी पद पर उसकी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए, ताकि वह निष्पक्ष रूप से अपने कार्यों का निर्वहन सके।

हालाँकि CAG को प्राय: निर्णय-निर्माण में अनिच्छा के कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है, तथापि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जहां भी सार्वजनिक हित संबद्ध हो, वहाँ CAG लेखापरीक्षा संबंधी सभी कार्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में रखे। यह दृष्टिकोण 2014 के यूनीफाइड टेलीसर्विसेज प्रोवाइडर्स बनाम UO| मामले में न्यायिक आदेश द्वारा भी समर्थित है।

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