आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में इंटरनेट का उपयोग चुनौतियाँ और अवसर

प्रश्न: आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में इंटरनेट का उपयोग चुनौतियाँ और अवसर दोनों सृजित करता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के उपयोग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • इंटरनेट द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों का उल्लेख कीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर एक सकारात्मक विवरण देते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

इंटरनेट ने सूचनाओं को साझा करने एवं एक दूसरे से जुड़ने की विधियों में तीव्रता, प्रभाविता, सीमा-पार उपलब्धता तथा असंख्य उपयोगकर्ताओं तक पहुँच सुनिश्चित कर एक क्रांति का प्रसार किया है। हालाँकि, आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवाद के एक नए ब्रांड के रूप में ‘इंटरनेट-सक्षम (internet-enabled)’ आतंकवाद के सृजन हेतु भी इंटरनेट का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है।

आतंकवाद के प्रसार के लिए इंटरनेट का बहुविध उपयोग सम्पूर्ण विश्व में सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष तदनुरूप चुनौतियां उत्पन्न कर रहा है:वीडियो, गेम और ऑनलाइन चैट रूम के माध्यम से 

  • प्रचार प्रसार: आतंकवादी संगठनों द्वारा भर्ती को सुगम बनाने, कट्टरता को बढ़ावा देने तथा हिंसा को उकसाने में इंटरनेट का प्रयोग करने (वीडियो, गेम और ऑनलाइन चैट रूम के माध्यम से) के कारण उनकी पहुंच में वृद्धि हुई है, जिसे नियंत्रित करना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय परिचालन: आतंकवादी राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार और अभियोजन से बचने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।
  • अवैध रूप से वित्त एकत्रित करना: शेल कंपनियों द्वारा या ऑनलाइन लेन-देन के जटिल नेटवर्क के माध्यम से प्राप्त होने वाले धन की पहचान करना लगभग असंभव होता जा रहा है।
  • अनामिकता में वृद्धि: इंटरनेट के प्रयोग ने प्रशिक्षण, योजना निर्माण और हमले करने (लोन वुल्फ अटैक आदि) जैसे आतंकवादी अभियानों को विकेन्द्रित किया है। यह अपराधियों को उनकी पहचान को गुप्त रखने में सहायता प्रदान करता है।
  • हथियार प्राप्त करना: यह डार्क वेब (जिसे ट्रेस करना कठिन है) का उपयोग करते हुए मात्र एक क्लिक के माध्यम से परिष्कृत हथियारों को गुप्त रूप से और आसानी से प्राप्त करने के स्रोत के रूप में उभर रहा है।
  • साइबर-आतंकवाद: आतंकवादियों द्वारा डिजिटल प्लेटफार्मों के प्रयोग से विद्युत, बैंकिंग, परिवहन और संचार जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाओं के समक्ष खतरा उत्पन्न हो सकता है जो संपूर्ण देश में अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है।

आतंकवादी संगठनों द्वारा इंटरनेट का प्रयोग, सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों को उनसे निपटने के अवसर भी प्रदान करता  है।

  • आसूचनाओं को एकत्रित करना: यह विभिन्न सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवादियों के ऑनलाइन संचार और गतिविधियों का विश्लेषण करके हमलों से पूर्व सुरक्षा प्रदान किये जाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। ऐसे हमलों के संबंध में सूचना प्राप्त करने और उन्हें रोकने के लिए बिग डेटा एनालिटिक्स को नियोजित किया जा सकता है।
  • रोकथाम हेतु प्रचार-प्रसार: इंटरनेट, उपयोगकर्ताओंकी एक बड़ी संख्या के साथ-साथ कट्टरपंथ के प्रति सुभेद्य लक्षित समूहों के मध्य आतंकवाद विरोधी-जानकारी का प्रसार (सरलता से अनेक भाषाओं में) करने में सहायक हो सकता है।
  • साक्ष्यों का संग्रहण: इंटरनेट का प्रयोग अभियोजन के लिए प्रयुक्त किए जा सकने वाले साक्ष्यों को एकत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
  • खुफिया/सुरक्षा एजेंसियों के मध्य रियल-टाइम में प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आतंकवाद का सामना करने हेतु वैश्विक प्रयासों की प्रभाविता में वृद्धि कर सकता है।

इंटरनेट इस बात का एक प्रमुख उदाहरण है कि किस प्रकार तकनीकी उन्नति एक दोधारी तलवार सिद्ध हो सकती है। एक एकीकृत एवं वैश्विक प्रतिक्रिया ‘इंटरनेट-सक्षम’ आतंकवाद से निपटने हेतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष एकमात्र आशा है। भारत हाल ही में सोशल मीडिया सहित आतंकवाद और कट्टरपंथी विचारधाराओं का सामना करने के लिए क्राइस्टचर्च कॉल में शामिल हुआ है, जो इस दिशा में एक उचित कदम है। भारत को इस प्रकार की पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।

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