पारंपरिक और साइबर युद्ध के मध्य तुलनात्मक अध्ययन

प्रश्न: पारंपरिक युद्ध की तुलना में, साइबर युद्ध के विरुद्ध सफल भयादोहन (निवारण) की सम्भावना सीमित और जटिल दोनों है। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस सम्बन्ध में भारत की तैयारियों का सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • पारंपरिक और साइबर युद्ध के मध्य तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  • विस्तारपूर्वक समझाइए कि साइबर युद्ध के विरुद्ध भयादोहन (निवारण) सीमित और जटिल क्यों है।
  • ऐसे किसी हमले को रोकने या प्रारंभ करने के सन्दर्भ में भारत की क्षमताओं का उल्लेख कीजिए।
  • उत्तर के अंत में कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर

साइबर स्पेस की जटिलता और अदृश्यता ने राज्य या गैर-राज्य कर्ताओं द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमलों के तए तरीकों हेतु मार्ग प्रशस्त किया है तथा इस प्रकार यह साइबर हमलों से रक्षा को सीमित और जटिल बना रही हैं।  पारंपरिक युद्ध की तुलना में इन हमलों का न तो पूर्वानुमान किया जा सकता है और न ही इनका सरलता से पता लगाया जा सकता है।

पारंपरिक युद्ध के विपरीत, साइबर युद्ध अमूर्त (intangible) होते हैं। इनके स्रोत का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता अतः इन्हें कहीं से भी प्रारंभ किया जा सकता है तथा ये संपूर्ण सूचना अवसंरचना को, यहां तक कि रक्षा प्रतिष्ठापनों को भी, पंगु बना सकते हैं।

भारत के सम्मुख व्याप्त चुनौतियां

  • अधिकांश डिजिटल सेवा प्रदाताओं के डेटा सर्वरों की भारत की सीमा से बाहर अवस्थिति।
  • इंटरनेट तक पहुँच के लिए अपर्याप्त अवसंरचनात्मक सुरक्षा के साथ निम्न स्तरीय उपकरणों का प्रयोग।
  • जागरूकता का अभाव होना और साइबर अपराध मामलों को दर्ज न किया जाना।
  • साइबर सुरक्षा के लिए कार्य कर रही विभिन्न एजेंसियों के मध्य समन्वय का अभाव।
  • परिणामस्वरूप, भारत डिजिटल घुसपैठ जैसे- साइबर-जासूसी, साइबर क्राइम, डिजिटल व्यवधान और डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ़ सर्विसेस (DoS) के प्रति सुभेद्य बना हुआ है।

भारत की तैयारियां

साइबर हमलों के विरुद्ध प्रतिरक्षा के लिए, भारत द्वारा निम्नलिखित पहले आरम्भ की गईं हैं:

  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 (National Cyber Security Policy 2013)- यह साइबर सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के समन्वयन के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के साथ-साथ विभिन्न निकायों की स्थापना की भी परिकल्पना करती है।
  • इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (Indian Computer Emergency Response Team: CERT-In)- यह सक्रिय कार्रवाई और प्रभावी सहयोग के माध्यम से भारत की संचार और सूचना प्रौद्यौगिकी की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्य करता है।
  • नेशनल क्रिटिकल इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (National Critical Information Infrastructure Protection Centre :NCIIPC)- यह वायु नियंत्रण, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा के खतरों का मुक़ाबला करने के लिए कार्य करता है।
  • राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (National Cyber Coordination Centre :NCCC)- यह देश में आने वाले इंटरनेट ट्रैफिक को स्कैन करने, रियल टाइम साइबर खतरों का पता लगाने एवं समय पर कार्रवाई करने के संदर्भ में जागरूकता प्रदान करने तथा विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क करने का कार्य करता है।
  • डिजिटल आर्मी प्रोग्राम (Digital Army Programme)- इसे डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के एक भाग के रूप में प्रारंभ किया गया है। यह भारतीय सेना के लिए सेवाओं एवं प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण करने एवं उन्हें स्वचालित बनाने के लिए एक समर्पित निकाय है।
  • साइबर स्वच्छता केंद्र (Cyber Swachhta Kendra)- इसे CERT-In द्वारा प्रारंभ किया गया है। यह नेटवर्क और सिस्टम को प्रभावित करने वाले मालवेयर एवं बॉटनेट के विश्लेषण हेतु बॉटनेट क्लीनिंग और मालवेयर विश्लेषण केंद्र बनाएगा।

हालांकि, ये उपाय साइबर हमलों से रक्षा करने में सहायता कर सकते हैं, किन्तु आधुनिक युद्धों में विजय प्राप्त करने हेतु पहले आक्रमण करने के लिए ये अपर्याप्त हैं। वस्तुतः सफलता भली भांति समायोजित, साइबर सुरक्षित एवं छेड़छाड़-रोधी साइबर सुरक्षा प्रणाली की स्थापना पर निर्भर करेगी। इसलिए, ‘रक्षा’ के अतिरिक्त निवारण (आक्रमण) और दोहन (आसूचना)’ भी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति के घटक होने चाहिए।

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