लोक शिकायत निवारण तंत्र : सुधार के उपायों का सुझाव

प्रश्न: लोक शिकायत निवारण प्रणाली में विभिन्न सुधारों के बावजूद, उनकी प्रभावशीलता सीमित बनी हुई है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • लोक शिकायत निवारण तंत्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • भारत में लोक शिकायत निवारण तंत्र की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  • इन तंत्रों से जुड़े मुद्दों की भी विवेचना कीजिए। 
  • सुधार के कुछ उपायों का सुझाव देकर उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

शिकायत निवारण तंत्र किसी भी प्रशासन की मशीनरी का एक आवश्यक अंग होता है। कोई भी प्रशासन जवाबदेह, अनुक्रियावादी और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल होने का तब तक दावा नहीं कर सकता जब तक कि उसने एक कुशल और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित न किया हो। वास्तव में, किसी संगठन का शिकायत निवारण तंत्र उसकी दक्षता और प्रभावशीलता का पैमाना होता है क्योंकि यह प्रशासन के कामकाज पर महत्वपूर्ण प्रतिपुष्टि प्रदान करता है।

लोक शिकायत निवारण तंत्र में किए गए सुधार:

  • मंत्रालयों/विभागों में शिकायतों के क्षैतिज हस्तांतरण और शिकायतों के थोक निपटान जैसी सुविधाओं से युक्त CPGRAMS सॉफ्टवेयर का एक नया अद्यतित संस्करण। यह नागरिकों के लिए अधिक अनुकूल है।
  • ऑनलाइन प्रो-एक्टिव गवर्नेस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (PRAGATI) के माध्यम से सीधे PMO द्वारा शिकायतों की निगरानी, जिसमें संबंधित सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर प्रणालीगत परिवर्तनों के लिए शिकायतों की पहचान की जाती है।
  • शिकायत निवारण में सहायता हेतु mygov.in और UMANG जैसे ई-गवर्नेस प्लेटफॉर्म।
  • राज्य सरकारों के लिए CPGRAMS-States जैसा स्थानीय भाषा वाले इंटरफेस (अंतरापृष्ठ) के साथ अनुकूलित सॉफ्टवेयर डिज़ाइन किया गया है, ताकि लोगों को स्थानीय भाषाओं में शिकायत दर्ज करने में सहायता मिल सके।
  • CPGRAMS पर शिकायतों के निपटान के संबंध में त्रैमासिक आधार पर उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता देने के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र जारी करने के माध्यम से एक पुरस्कार योजना प्रारंभ की गई है।

उपर्युक्त उपायों के बावजूद, नागरिक चार्टर प्रतिबद्धताओं और साथ ही सार्वजनिक शिकायतों के निवारण के संबंध में उनके कार्यान्वयन को लेकर संगठनों में काफी भिन्नता व्याप्त है। यह निवारण तंत्र की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है, जिसे बड़ी संख्या में शिकायतों की विचाराधीनता और निवारण की गुणवत्ता के संबंध में नागरिकों की बढ़ती आकांक्षाओं में देखा जा सकता है। इस स्थिति के कारण हैं:

  • अपर्याप्त प्रशिक्षण और सरकारी विभागों के क्षमता निर्माण की कमी उन्हें जनता के शिकायतों से अनभिज्ञ बनाती है। विभिन्न सरकारी अधिकारियों की ओर से भी प्रतिबद्धता का अभाव है।
  • प्रौद्योगिकी के अभाव में लोगों में कम जागरुकता के साथ-साथ सांस्कृतिक अवरोधों के कारण नागरिकों और प्रशासन के बीच विश्वास कम होता है।
  • जटिल मुद्दों और अतिव्यापी/समवर्ती क्षेत्राधिकारों से संबंधित शिकायतों के मामले में विभागों के बीच समन्वय कमजोर है। इस संदर्भ में नियमों के प्रति स्पष्टता लाने और उन्हें सुलझे हुए रूप में रखने की आवश्यकता है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायित्व तंत्र का अभाव है कि शिकायत का निवारण पीड़ित की संतुष्टि के स्तर तक किया गया था या निवारण के नाम पर केवल निपटाया गया था।
  • अधिकांश वर्तमान नागरिक चार्टर, शिकायत निवारण प्रक्रिया के परिणामों को समझाने के संदर्भ में कोई भी प्रतिबद्धता करने से कतराते हैं।
  • किये गए सुधार उपायों की प्रभावशीलता के संबंध में पर्याप्त परिणाम अध्ययन या मूल्यांकन की कमी है।

RTI अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक कार्यालय को लोक शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति करनी होती है। यह सार्वजनिक निवारण तंत्र की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु एक महत्वपूर्ण सुधार उपाय हो सकता है। इसके साथ-साथ प्रौद्योगिकी तक समावेशी पहुंच सुनिश्चित करना, नागरिक चार्टरों में सेवा वितरण और शिकायत निवारण के प्रति प्रतिबद्धताओं को सुदृढ़ बनाना, उपभोक्ता न्यायालयों को सबल बनाना और जनसंपर्क अधिकारियों/जन सूचना केंद्रों को (विशेष रूप से अधिक सार्वजनिक इंटरफेस वाले विभागों में) संवेदनशील बनाना भी आवश्यक है।

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