केस स्टडीज- धार्मिक संवेदना एवम चुनौतियाँ

प्रश्न: यद्यपि भीड़-भाड़ की वजह से होने वाली भगदड़ और दुर्घटनाओं के कारण कई अवसरों पर जीवन की क्षति हुई है, तथापि यह केवल किसी त्रासदी के घटित होने के उपरांत ही चर्चा किया जाने वाला एक मुद्दा बन कर रह गया है। हाल ही में आपको लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले एक पूजनीय धार्मिक स्थल के निकट एक मेला के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। मेले में प्रतिवर्ष संख्या बढ़ती रही है और इस वर्ष कुछ विशेष खगोलीय संरेखण के कारण अभूतपूर्व भीड़ होने की आशा है। पिछले वर्ष प्रभारी अधिकारी की आलोचना हुई थी और धार्मिक स्थल पर पहुँच को प्रतिबंधित करके धार्मिक संवेदनाओं को आघात पहुँचाने के आरोप में उनका स्थानान्तरण कर दिया गया था। मेला की तैयारी करने हेतु आपके पास तीन महीने हैं।

(a) उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कीजिए जिन पर आप ध्यान केंद्रित करेंगे?

(b) आप कौन-सी भावी चुनौतियाँ देख पा रहे हैं?

(c) उन पर काबू पाने हेतु आपका क्या प्रस्ताव है?

दृष्टिकोण

  • उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए जिन पर आपको ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता
  • उन चुनौतियों की व्याख्या कीजिए जिनका आपको सामना करना पड़ सकता है।
  • इन चुनौतियों पर काबू पाने हेतु आपके द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

त्योहारों/मेलों के दौरान अनिश्चितता की अन्तर्निहित प्रबलता होती है जहां भीड़ एक क्षण में भगदड़ बन सकती है और परिणाम सामूहिक जनहानि के रूप में हो सकता है। इसलिए एक अप्रत्याशित अस्थायी प्रवाह को समायोजित करने के लिए, सार्वजनिक सुरक्षा हेतु रणनीतिक योजना तैयार करते समय ‘भीड़’ को एक खतरे के रूप में शामिल करना आवश्यक है।

(a) ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रमुख क्षेत्र हैं:

  • उपलब्ध संसाधनों का आकलन और कार्यक्रम के लिए आवश्यकताओं का अनुमान।
  • आगंतुकों और उनकी आवश्यकताओं को समझना।
  • सुविधा, भीड़ के आकार, प्रवेश की पद्धति और निकास इत्यादि की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए भीड़ प्रबंधन रणनीतियां बनाना।
  • किसी भी आपदा की स्थिति में जोखिम विश्लेषण और तैयारी।
  • सूचना प्रबंधन और प्रसार (आपात स्थिति के मामले में आंतरिक/बाह्य) में ICT और मीडिया की भूमिका।
  • रक्षा और सुरक्षा संबंधी उपाय।
  • चिकित्सा सुविधाएं और आपातकालीन योजना।
  • वाहन की पहुंच, कार पार्किंग व्यवस्था आदि सहित परिवहन और यातायात प्रबंधन।
  • शोर, स्वच्छता, खानपान, अपशिष्ट, पेयजल आदि से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दे।
  • भीड़ प्रबंधन में शामिल लोगों का क्षमता निर्माण।
  • पूर्व के उदाहरणों से सीखना।

(b) चुनौतियाँ

  • संरचनात्मक चुनौतियां
  • बैरिकेड, बांस की रेलिंग, तार की बाड़, अस्थाई पुल/मार्ग आदि का संरचनात्मक त्रुटि के कारण टूटना।
  • दुर्गम क्षेत्र (उदाहरण के लिए यदि धार्मिक स्थल पहाड़ी पर है) या मौसम संबंधी चुनौतियां; उदाहरण के लिए अत्यधिक वर्षा, भूस्खलन आदि।
  • पर्याप्त प्रकाश का अभाव।
  • प्रवेश/निकास द्वारों की कम संख्या और उनका संकीर्ण होना।
  • आग / विद्युत् से संबंधित मुद्दे
  • अस्थाई खाना पकाने की सुविधाओं में आग का अनधिकृत उपयोग और अग्निरोधक उपकरणों की अनुपलब्धता।
  • विद्युत आपूर्ति में विफलता व्यग्रता और आकस्मिक पलायन का कारण बनती है।
  • भीड़ नियंत्रण
  • अनुमान से अधिक भीड़ और दर्शकों, कर्मचारियों, सेवाओं का कम आकलन।
  • वाहनों का अनियंत्रित आवागमन।
  • भीड़ नियंत्रण के लिए उचित सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (पब्लिक एड्रेस सिस्टम) का अभाव।
  • भीड़ आचरण
  • प्रवेश/निकास की ओर अत्यधिक भीड़।
  •  भीड़ का अफवाह फैलाने वाला और गैर उत्तरदायी आचरण।
  • जनसमूह का आकस्मिक अन्तःप्रवाह और निकास।
  • सुरक्षा
  • सुरक्षा कर्मियों की कम तैनाती।
  • उचित वायरलेस तैनाती में कमी एवं सामंजस्य के लिए वॉकी-टॉकीज़ की कमी।
  • बैक अप फोर्स, पर्याप्त सीसीटीवी निगरानी और पर्याप्त मेटल डिटेक्टरों और तीर्थयात्रियों की तलाशी संबंधी व्यवस्थाओं की कमी।
  • हितधारकों के मध्य सामंजस्य का अभाव
  • एजेंसियों (जैसे जिलाधिकारी / आयुक्त / एसपी; पीडब्ल्यूडी; अग्नि सेवा; वन अधिकारी; राजस्व अधिकारी; चिकित्सा अधिकारी; मंदिर प्रबंधन आदि) के मध्य सामंजस्य अंतराल।

(c) चुनौतियों पर काबू पाने के लिए उठाए जा सकने वाले कदम

  • आयु, लिंग, संख्या, जागरूकता इत्यादि के आधार पर आगंतुकों को समझना तथा चोरी, व्यवधान और आपदाओं जैसी घटनाओं के प्रति उनकी सुभेद्यता का आकलन करना जिससे पहले से ही लक्षित तैयारी की जा सके।
  • सामुदायिक हितधारकों (PRIS, NGOs इत्यादि) की सहभागिता जिनका स्थानीय ज्ञान प्रशासन द्वारा कुशल उपयोग में लाया जा सकता है। क्षमता योजना, भीड़ आचरण की समझ, भीड़ नियंत्रण आदि जैसी भीड़ प्रबंधन रणनीतियां।
  • जोखिम के लिए तैयारी: खतरों की पहचान करना और अनुमान लगाना, ऐसे खतरों के जोखिमों का आकलन करना और प्रत्येक गंभीर खतरे के लिए कार्यवाही विकसित करना।
  • सूचना प्रसार अर्थात् मार्ग मानचित्रण, आपातकालीन निकास, पुलिस, अग्नि, एम्बुलेंस के नंबर, आयोजन स्थल से स्थानांतरण हेतु परिवहन साधनों के विकल्प, प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच, उचित संकेत इत्यादि।
  • रक्षा और सुरक्षा
  • संरचनात्मक सुरक्षा दिशा-निर्देश, अग्नि और विद्युत दिशा-निर्देश
  • बैरियर की उचित तैनाती।
  • VIP प्रवेश को केवल तभी अनुमति प्रदान की जानी चाहिए जब यह सुरक्षा व्यवस्था को खतरे में न डालें।
  • सामान की उचित जांच और आगंतुकों की तलाशी।
  • भीड़ के साथ उचित संप्रेषण तंत्र; उदाहरण के लिए, मल्टिपल लाउडस्पीकर्स का उपयोग।
  • आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ।
  • पार्किंग समस्या और वाहनों की भीड़ से बचने के लिए निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन के अधिकतम उपयोग के साथ प्रभावी यातायात प्रबंधन करना। भीड़ से बचने के लिए वाहनों को कार्यक्रम स्थल से सुरक्षित दूरी पर रोकना, स्थानीय बसों और रेलवे स्टेशन / हवाई अड्डों के मध्य समन्वय स्थापित करना, यदि संभव हो तो वैकल्पिक मार्गों द्वारा VIPs के आवागमन तथा प्रवेश क्षेत्र, वन वे पर स्पष्ट रूप से उचित मार्ग मानचित्रण आदि होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आपातकालीन परिवहन सेवाओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए; उदाहरण के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं, यातायात आदि पर सतर्कता बनाए रखने के लिए ड्रोन का उपयोग आदि।
  • मीडिया की प्रभावी तैनाती की जानी चाहिए जिससे आगंतुकों को भीड़ से बचने जैसी स्थितियों, संदिग्ध असामाजिक तत्व को पहेचानने, आपदा के मामले में सूचना प्रसारण, लोगों की उनके प्रभावित परिवार और मित्रों से संपर्क करने में सहायता कर्ने तथा लोगों को आपदा पश्चात पुनर्वास के बारे में सूचित करने के संबंध में शिक्षित किया जा सके।
  • ICT आधुनिक तकनीक का उपयोग: 
  • भीड़ की निगरानी, नियंत्रण और भीड़ को तितर-बितर करने तथा आपात स्थिति की प्रारंभिक पहचान के लिए UAV का उपयोग करना।
  • अवस्थिति की योजना बनाने, ले-आउट, सड़कों का संरेखण, पार्किंग स्थल का संरचनात्मक आकलन, हेलीपैड तथा उपयोगिता लाइनों (जल, विद्युत्, गैस इत्यादि) को बिछाने में GIS का उपयोग करना।
  • रेडियो, टीवी, सोशल मीडिया इत्यादि के माध्यम से सूचनाओं का प्रसारण करना।
  • पेपर स्लिप्स के बजाय RFID टैग का उपयोग करना, जो आगंतुकों की गतिविधियों को ट्रैक करने में सहायता कर सकता है।
  • स्थल क्षमता और भीड़ निकासी रणनीतियों का आकलन करने के लिए क्राउड सिमुलेशन का उपयोग करना।
  • वास्तविक घटना से पूर्व मॉक ड्रिल आयोजित करके विभिन्न हितधारकों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करना।

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