संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण (यू.एन.पीसकीपिंग) कार्यक्रमों की एक संक्षिप्त समीक्षा

प्रश्न: भविष्य में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण (यू.एन.पीसकीपिंग) की बढ़ी हुई प्रभावशीलता और उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इसमें सुधार की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण (यू.एन.पीसकीपिंग) कार्यक्रमों की एक संक्षिप्त समीक्षा कीजिए। 
  • भावी चुनौतियों के आलोक में एक नया दृष्टिकोण अपनाने के कारणों का उल्लेख कीजिए। 
  • प्रदत्त संदर्भ में, की गई प्रगति तथा अपनायी जाने योग्य संभावित रणनीतियों का विश्लेषण कीजिए। 
  • नई रणनीतियों को अपनाने में सम्मिलित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

वर्तमान में, विश्व के विभिन्न भागों में संचालित 14 पीसकीपिंग ऑपरेशन, शांति एवं सुरक्षा के समर्थन हेतु संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्थाओं, रणनीतियों तथा संसाधनों की विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करते हैं। वर्ष 1948 से ही, संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस प्रकार के 71 मिशनों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर शांति एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। हालांकि, हाल के वर्षों में निम्नलिखित जटिलताएं उत्पन्न हुई है:

  •  इन मिशनों को अत्यधिक कठिन एवं जटिल परिस्थितियों में तैनात किया गया है।
  • हालाँकि शांतिरक्षण की मांग में वृद्धि हुई है, परन्तु संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय कार्य प्रणाली इन मांगों की पूर्ति में समर्थ नहीं है।
  • सीरिया एवं यमन जैसे स्थानों पर शांति के लिए उत्पन्न खतरे नई और जटिल चुनौतियों के संकेत हैं।
  • अधिदेशों का कार्यान्वयन भी निम्नलिखित प्रकार से बाधित हुआ है:
  • सेवाओं का धीमा और अनुत्तरदायी वितरण,
  • शासन संबंधी निकायों द्वारा सूक्ष्म प्रबंधन (अत्यधिक नियंत्रण),
  • सदस्य राज्यों एवं कर्मचारियों में विश्वास का अभाव ,
  • अपर्याप्त संसाधनों तथा अधिदेशों का अप्रभावी कार्यान्वयन, और
  • पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व का अभाव

अतः संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण में सुधारों की आवश्यकता को व्यापक रूप से स्वीकृति प्राप्त हुई है। उदाहरणार्थ:

  • 2000 की ऐतिहासिक ब्राहिमी (Brahimi) रिपोर्ट ने शांति को सुदृढ़, अधिक प्रभावी एवं अपेक्षाकृत लागत प्रभावी बनाकर संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण हेतु एक नवीन दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया।
  • 31 अक्टूबर 2014 को पूर्व महासचिव बान की-मून ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण कार्यवाही पर एक उच्चस्तरीय स्वतंत्र पैनल की स्थापना की।
  • वर्ष 2017 में, वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी संयुक्त राष्ट्र शांति एवं सुरक्षा संरचना में सुधारों का प्रस्ताव दिया।

चूंकि, वर्तमान में शांतिरक्षण का स्तर एवं जटिलता संयुक्त राष्ट्र के कार्मिक, प्रशासनिक एवं समर्थन तंत्र को प्रभावित कर रही है। अतः इस स्थिति में, एक नवीनीकृत भागीदारी और साझे एजेंडा की आवश्यकता है जो संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण को भावी चुनौतियों से निपटने हेतु सक्षम बना सके।

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण प्रयासों की लक्षित सफलता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं।

  • शांति बनाए रखने के लिए स्थापित प्राथमिक एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय से राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर की ओर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
  • स्थायी शांति की स्थापना हेतु संयुक्त राष्ट्र के सभी कार्यात्मक क्षेत्रों का लाभ उठाने और शांति के संस्थागत उत्तरदायित्व को संयुक्त राष्ट्र सचिवालय से संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था तक विस्तारित करने की आवश्यकता है।
  • शांति प्रयासों में महिलाओं की अनिवार्य भूमिका निर्धारित की जानी चाहिए।
  • ब्राहिमी रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण को सुदृढ़ बनाने के प्रयासों में निम्नलिखित परिवर्तनों की आवश्यकताएं  है।
  • सदस्य राष्ट्रों के द्वारा नवीनीकृत राजनीतिक प्रतिबद्धता;
  • महत्वपूर्ण संस्थागत परिवर्तन;
  • वित्तीय सहायता में वृद्धि।

संक्षेप में, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण कार्यवाहियों को उचित संसाधनों से युक्त, सुसज्जित तथा स्पष्ट, विश्वसनीय एवं प्राप्य आदेशों के तहत संचालित होना जाना चाहिए ताकि इनके प्रभावी परिणाम प्राप्त हो सकें।

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