भारत में सूक्ष्म-वित्त संस्थान

प्रश्न: सूक्ष्म ऋण (माइक्रोक्रेडिट) के महत्व की व्याख्या करते हुए, भारत में सूक्ष्म-वित्त संस्थानों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालिए। इन मुद्दों से कैसे निपटा जा सकता है?

दृष्टिकोण:

  • सूक्ष्म ऋण और सूक्ष्म वित्त संस्थानों को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
  • विकास में सूक्ष्म ऋण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  • भारत में सूक्ष्म-वित्त संस्थानों (MFIs) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
  • उपर्युक्त मुद्दों के समाधान हेतु आवश्यक कदमों का सुझाव दीजिए।

उत्तर:

सूक्ष्म ऋण, ज़रूरतमंद उधारकर्ताओं को प्रदान की जाने वाली लघु वित्तीय सहायता है जिसमें बचत, ऋण, बीमा, व्यावसायिक सेवाएं और तकनीकी सहायता सम्मिलित हैं।

सूक्ष्म ऋण का महत्व

  • महिला सशक्तिकरण: अशिक्षित, निर्धन और बेरोजगार महिलाओं को ऋण तक सरल पहुंच प्रदान करने में पारम्परिक ऋणदाताओं की तुलना में सूक्ष्म ऋण प्रदाता अधिक उपयोगी हैं।
  • ग्रामीण विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म ऋण का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक रोजगार का अभाव ग्रामीण जनता को बैंकिंग सेवाओं से वंचित कर देता है।
  • गुणक प्रभाव: सफल व्यवसाय का सृजन करने वाले सूक्ष्म-उद्यमी, बदले में अधिक नौकरियों एवं व्यापार का सृजन करते हैं तथा समग्र आर्थिक परिदृश्य में सुधार लाते हैं।
  • सूक्ष्म ऋण वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित करता है।
  • मानव पूँजी: यह स्थानीय संस्थाओं, प्रबंधकीय क्षमता और उद्यमिता के विकास में सहायता करता है।

MFIs से संबंधित मुद्दे

  • ऋणों हेतु बैंकिंग क्षेत्रक पर अत्यधिक निर्भरता: सूक्ष्म ऋण की व्यापक अनुमानित मांग को देखते हुए MFls को वित्तीयन के विविध स्रोतों की आवश्यकता है।
  • वित्तीय जागरूकता के अभाव के कारण MFIs को अपने व्यवसाय को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने हेतु कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
  • विनियामकीय मुद्दे: पारम्परिक बैंकों की तुलना में MFIs के संदर्भ में RBI द्वारा गैर-विभेदकारी विनियामकीय मानकों के कारण इनका प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं रहा है। साथ ही MFIs नवीन वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के विकास में भी विफल हुए हैं।
  • वाणिज्यिक बैंको की तुलना में ब्याज की उच्च दर (8-12%)
  • अधिकांश MFIs स्वयं सहायता समूह (SHG) या संयुक्त दायित्व समूह (JLG) के मॉडल का अनुसरण करते हैं तथा मॉडल का चयन वैज्ञानिक मानदंडों पर आधारित नहीं होता, जिससे उनकी निरंतरता प्रभावित होती है।

सुझाव

  • सरल पर्यवेक्षी और प्रतिवेदन आवश्यकताओं के अधीन MFIs की एक श्रृंखला के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु विधायी तथा विनियामकीय ढांचे को सक्षम बनाना।
  • ऋण संबंधी विधियों को शिथिल करना तथा ब्याज दरों और शुल्कों को विनियमित करना।
  • यथोचित निम्न ब्याज दरों पर ऋण निधियों तक पहुंच।
  • बैंकिंग सुविधाओं से रहित दूर-दराज के क्षेत्रों में परिचालन हेतु तथा विभिन्न वर्गों के लिए नये उत्पादों से संबंधित नवप्रवर्तनों एवं अभिकल्पनाओं हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • अपने ग्राहक को जानें (KYC) सम्बन्धी आवश्यकताओं तथा वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहन देने के माध्यम से ऋण जांच __और ऋण संग्रहण प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करना।
  • MFIs द्वारा भुगतान न कर पाने की स्थिति में ग्राहकों को जमाओं की सुरक्षा की सुविधा प्रदान करना।
  • एकरूपता और दक्षता को बनाए रखने हेतु पारदर्शी मूल्य निर्धारण और प्रौद्योगिकी का उपयोग।

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