ड्रग तस्करी की संक्षिप्त व्याख्या : भारत में इससे निपटने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों की चर्चा

प्रश्न: उन कारकों की पहचान कीजिये जो भारत को ड्रग तस्करी के प्रति सुभेद्य बनातेहैं? साथ ही, हमारे देश में इससे निपटने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों की चर्चा कीजिए। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • ड्रग तस्करी की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • भारत को ड्रग तस्करी के लिए प्रवण क्षेत्र बनाने वाले कारकों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • भारत में इससे निपटने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

ड्रग तस्करी वैश्विक रूप से एक गैर कानूनी व्यापार है इसके अंतर्गत ड्रग निषेध विधियों में वर्णित पदार्थों की खेती, विनिर्माण, वितरण और बिक्री शामिल है।

भारत की सुभेद्यता

  • अवस्थिति: भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार, विश्व के निम्नलिखित दो प्रमुख अफीम उत्पादक क्षेत्रों के मध्य भारत की अवस्थिति इसे ड्रग तस्करी के प्रति अधिक सुभेद्य बनाती है: 
  • पश्चिम में अवस्थित गोल्डन क्रिसेंट – पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान 
  • गोल्डन ट्रायंगल- म्यांमार, लाओस और थाईलैंड
  • नए मार्ग: ईरान-इराक युद्ध (1980-1988) के दौरान ईरान से होकर जाने वाले पारंपरिक बाल्कन मार्ग के बंद हो जाने से ड्रग तस्करी हेतु भारतीय मार्गों को अपना लिया गया है।
  • मौजूदा नेटवर्क: सीमावर्ती क्षेत्र के साथ पहले से मौजूद बुलियन तस्करों के नेटवर्क और 1980 के दशक के मध्य में ड्रग तस्करी में आपराधिक नेटवर्क की भागीदारी ने इसे अधिक सुगम बना दिया है।
  • आंतरिक अशांति: 1980 के दशक से पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद के प्रसार ने अपनी गतिविधियों को वित्त पोषित करने हेतु ड्रग तस्करी को बढ़ावा दिया।
  • छिद्रिल सीमाएं: परंपरागत तस्करी मार्गों की उपलब्धता और छिद्रिल सीमा ड्रग तस्करी के प्रसार (विशेष रूप से नेपाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में) हेतु स्वाभाविक परिस्थितियाँ उपलब्ध कराती हैं।
  • मांग: विगत तीन दशकों में विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और पंजाब में ड्रग्स की मांग में व्यापक वृद्धि हुई है।

इस मुद्दे से निपटने हेतु उठाए गए कदम

ड्रग तस्करी के संकट के समाधान हेतु भारत द्वारा नशीले पदार्थों और ड्रग्स की आपूर्ति के साथ-साथ मांग को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है। इस योजना में 4 प्रमुख तत्व हैं:

  • कानून: स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम (Narcotics Drugs and Psychotropic Substances Act) 1985 में लागू किया गया था। यह अधिनियम औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों एवं सरकार द्वारा यथा अधिकृत उद्देश्यों को छोड़कर सभी नशीले पदार्थों, मन: प्रभावी पदार्थ की कृषि, विनिर्माण, परिवहन, निर्यात और आयात पर प्रतिबंध आरोपित करता है। इसके अतिरिक्त सरकार ने 1988 में स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थों में अवैध आवागमन की रोकथाम अधिनियम (Prevention of Illicit Traffic in Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act in 1988) को लागू किया जो अवैध ड्रग्स तस्करी में शामिल होने के संदेह में व्यक्तियों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है।
  • सीमाओं और तटों की भौतिक सुरक्षा: भारत द्वारा अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुदृढ़ बाड़बंदी (fences) की गयी है और तटीय पुलिस स्टेशन (coastal police stations: CPS) भी स्थापित किए गए हैं। भारत ने अपनी सीमा पर निगरानी को सशक्त करने के साथ सैन्य बलों की संख्या में भी वृद्धि की है।
  • पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सहयोग: अफगानिस्तान (1990), बांग्लादेश (2006), भूटान (2009), म्यांमार (1993), और पाकिस्तान (2011) के साथ ड्रग तस्करी को रोकने के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • स्वैच्छिक संगठनों के साथ सह-संचालन: ऐसा इसलिए क्योंकि ये संगठन जागरूकता प्रसार और लोगों को नशे की लत से मुक्त करने हेतु उपचार प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में पुनः शामिल करने के प्रयास के माध्यम से इस दिशा में सरकार को सहयोग प्रदान करेंगे।

सोशल इंजीनियरिंग और जागरूकता अभियान के माध्यम से नशे की लत से मुक्ति संबंधी प्रयासों की अनुपस्थिति में उपर्युक्त सभी उपाय अप्रभावी सिद्ध होंगे। इसलिए, पंजाब और उत्तर-पूर्व जैसे प्रभावित क्षेत्रों में एंटी-ड्रग अभियान आरम्भ करना अत्यंत आवश्यक है।

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