कृषि आधारित संकुल (क्लस्टर्स) : कृषि और ग्रामीण विकास पर सकारात्मक अधिप्लावन प्रभाव

प्रश्न: कृषि आधारित संकुलों (क्लस्टर्स) को अपनाना कृषि और ग्रामीण विकास पर सकारात्मक अधिप्लावन प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • कृषि-आधारित संकुलों (क्लस्टर्स) तथा इसके महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • कृषि आधारित संकुल कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण विकास को सकारात्मक रूप से किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं।
  • उल्लेख कीजिए।
  • इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपनाई गई रणनीतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

कृषि-आधारित संकुल (AC) उत्पादकों, कृषि आधारित व्यवसायों तथा समान कृषि या कृषि-औद्योगिक गतिविधियों में संलग्न संस्थानों का एक भौगोलिक संकेन्द्रण है, जो सह-अवस्थिति के माध्यम से लाभ प्राप्त करते हैं। वे परस्पर संबंधित होते हैं तथा सामान्य चुनौतियों का सामना करने तथा सामान्य अवसरों की प्राप्ति करने हेतु मूल्य नेटवर्क का निर्माण करते हैं।

कृषि-आधारित संकुल (क्लस्टर) का महत्व:

  • यह विशेषीकृत आदानों के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि करता है तथा सहकारी अनुसंधान एवं प्रतिस्पर्धा के माध्यम से उद्यमशीलता एवं नवाचार को समर्थन प्रदान करता है।
  • यह कंपनियों की प्रतिष्ठा या विश्वसनीयता में वृद्धि करता है और नए बाजारों में नए ग्राहकों को खोजने में सहायता करता
  • यह स्केल ऑफ़ इकोनॉमीज को प्राप्त करने हेतु किसानों तथा छोटे एवं मध्यम आकार के कृषि-व्यवसायों को सक्षम बनाता है। यह राष्ट्रीय/क्षेत्रीय ब्रांड के रूप में पहचान का निर्माण करने में सहायता करता है।
  • ये संकुल अनुकूल नीतियों, क्रेडिट गारंटी, रियायती ऋण आदि के माध्यम से सरकार का समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।

चूंकि कृषि आधारित संकुल क्षेत्रीय क्षमता पर आधारित होते हैं, अतः ये निम्नलिखित प्रकार से कृषि एवं ग्रामीण विकास को बढ़ावा दे सकते हैं:

  • मूल्य नेटवर्क का निर्माण: छोटे किसान तथा ग्रामीण समुदाय ‘संतुलन के चक्र’ अर्थात कम मार्जिन में फँसे रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इनके पास कम जोखिम लेने की क्षमता एवं न्यून निवेश विद्यमान होते हैं, जो कम उत्पादकता, न्यून मूल्य संवर्द्धन और अंततः कम मार्जिन में परिवर्तित हो जाते हैं। इस चक्र को मूल्य नेटवर्क के निर्माण के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है:
  • कच्चे माल एवं उत्पादन आदानों के आपूर्तिकर्ताओं, कृषि उत्पादकों, संसाधकों और निर्यातकों, ब्रांडेड खरीददारों एवं खुदरा विक्रेताओं के मध्य ऊर्ध्वाधर संबंधों का होना।
  • उत्पादकों जैसे उत्पादक सहकारी समितियों या छोटे प्रकार के व्यावसायिक संघों के मध्य क्षैतिज संबंधों का होना। 
  • उत्पादकों और सहायक संगठनों (जैसे स्थानीय सरकारों, व्यापार सेवा प्रदाताओं, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और गैर-सरकारी संगठनों) के मध्य समर्थनकारी संबंधों का होना, जो श्रृंखला की गुणवत्ता, दक्षता और सतत पहलुओं को सुदृढ़ करेंगे।
  • इन संकुलों में उपयुक्त उत्पादन नियोजन के माध्यम से उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के लिए मूल्य स्थिरीकरण करना
  • फार्म गेट अवसंरचना के निर्माण द्वारा फसल की कटाई के पश्चात होने वाले नुकसान में कमी करना, उपयुक्त एग्रोलॉजिस्टिक्स का विकास करना, उपभोग केंद्रों को जोड़ने के लिए उचित भंडारण क्षमता का निर्माण करना।
  • उत्पादन संकुलों के साथ फर्म लिंकेज द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षमताओं में वृद्धि तथा मूल्य श्रृंखला में मूल्य संवर्द्धन करना।
  • उच्च मूल्य वाले उत्पादों और सेवाओं की ओर स्थानांतरण: विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, कृषि-आधारित संकुल, पारंपरिक उष्णकटिबंधीय उत्पादों (जैसे कॉफी, कोको, चाय या कपास) से उच्च मूल्य वाले उत्पादों जैसे- बागवानी, पशुधन, कर्तित पुष्पों (cut flowers) एवं जैविक उत्पादों की ओर स्थानांतरित होने में सहायता करते हैं।
  • वैश्विक बाजार के साथ एकीकरण चूँकि संकुलों की व्यापक वैश्विक संपर्कों एवं ग्राहक आधार के साथ अधिक खरीददारों तक पहुंच होती है।

ये कारक कृषि प्रणालियों में सुधार करने, उत्पादन स्तर में वृद्धि करने, वृहत उपभोक्ता आधार तथा बाजारों तक पहुंच स्थापित करने सहायता करते हैं। इससे कृषि रोजगार, आय, ग्रामीण अवसंरचना, अनुसंधान और विकास में सकारात्मक रूप से वृद्धि की जा सकेगी। उदाहरण के लिए, अनुसंधान संस्थानों के साथ महाराष्ट्र अंगूर क्लस्टर के सहयोग से भारतीय अंगूर की गुणवत्ता तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के मध्य अंतर को कम करने में सक्षम है। इन लक्ष्यों के अनुसरण में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने TOP (टमाटर, प्याज और आलू) किसानों की मूल्य प्राप्ति में वृद्धि के लिए 2018-19 में ऑपरेशन ग्रीन को प्रारंभ किया था। इसके अतिरिक्त आधुनिक अवसंरचना एवं सामान्य सुविधाओं के विकास हेतु कृषि प्रसंस्करण संकुलों को प्रस्तावित किया गया है, ताकि क्लस्टर दृष्टिकोण के आधार पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों के समूह को प्रोत्साहित किया जा सके।

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