मार्शल योजना : द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत यूरोपीय राष्ट्रों को पुनर्जीवित करने में योगगदान
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत यूरोपीय राष्ट्रों को पुनर्जीवित करने में मार्शल योजना महत्वपूर्ण थी। हालांकि, यह दो यूरोप (अर्थात् पूर्वी और पश्चिमी यूरोप) के सृजन में एक महत्वपूर्ण कारक बन गया। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- मार्शल योजना और इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत यूरोपीय राष्ट्रों को पुनर्जीवित करने में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
- यह दो यूरोप अर्थात् पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कारक कैसे बन गया, संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
मार्शल योजना को यूरोपियन रिकवरी प्रोग्राम (ERP) भी कहा जाता है। यह द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अत्यधिक क्षतिग्रस्त हुई यूरोपीय राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रायोजित एक योजना थी। इसके तहत प्रमुख औद्योगिक शक्तियों, जैसे कि पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस और ग्रेट ब्रिटेन आदि को 12.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की सहायता प्रदान की गयी थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका का उद्देश्य युद्ध के कारण नष्ट हुए क्षेत्रों का पुनर्निर्माण करना, व्यापार के समक्ष मौजूद बाधाओं को समाप्त करना, यूरोपीय उद्योगों का आधुनिकीकरण करना और यूरोपीय महाद्वीप को पुनः समृद्ध बनाना था। इन सभी उद्देश्यों के अंतर्गत प्रमुख लक्ष्य साम्यवाद के प्रसार को रोकना था, क्योंकि द्वितीय युद्ध के पश्चात् के यूरोप में साम्यवाद का प्रभाव तीव्रता से बढ़ रहा था।
द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत यूरोपीय राष्ट्रों को पुनर्जीवित करने में मार्शल योजना का महत्व:
- इसने पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण में सहायता की, प्रमुख उद्योगों के विकास हेतु धन की उपलब्धता सुनिश्चित की ताकि वे अपनी सरकार को भुगतान कर सकें तथा सरकार द्वारा अन्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उस धन का निवेश किया जा सके।
- इसने वर्साय की संधि की विफलता (जिसने प्रथम विश्व युद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों के मध्य कटुता उत्पन्न कर दी थी) जैसी स्थिति से बचने में सहायता की।
- इसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निर्धनता, भुखमरी इत्यादि मानवीय आपदाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इस योजना ने यूरोपीय एकीकरण की प्रक्रिया को प्रेरित करने में सहायता की और यूरोपीय संघ (EU) के गठन के लिए आधार तैयार किया।
हालाँकि, यूरोप में दो ब्लाकों अर्थात् पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इस योजना की आलोचना भी की जाती है। इसके कारण निम्नलिखित हैं:
- USSR मार्शल योजना का हिस्सा नहीं था तथा उसने मार्शल योजना के प्रत्युत्तर में मोलोटोव योजना आरम्भ की। यह 1947 में सोवियत संघ द्वारा निर्मित एक योजना थी जिसके तहत पूर्वी यूरोप में सोवियत संघ से राजनीतिक और आर्थिक रूप से संबंधित देशों के पुनर्निर्माण हेतु सहायता प्रदान की गयी थी।
- इन योजनाओं के सह-अस्तित्व ने यूरोप के पूंजीवादी और साम्यवादी देशों में विभाजन को सुदृढ़ करना आरम्भ कर दिया। पश्चिमी यूरोप में दो दशकों में अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी और पूर्वी यूरोपीय देशों के मध्य एक विभाजन उत्पन्न हो गया। यहां तक कि जर्मनी, पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में विभाजित हो गया।
- अंतत:, US और USSR से स्वतंत्र परन्तु इनसे निकटता से सम्बद्ध देशों (सैटेलाइट कंट्रीज) को कोई एक पक्ष चुनने के लिए विवश किया गया। शीत युद्ध के दौरान, US और USSR दोनों की नीति थी: ‘जो हमारे साथ नहीं है वह हमारे विरुद्ध है।
हालांकि, यह कहा जाता है कि ट्रूमैन सिद्धांत के साथ इस योजना ने पश्चिमी एवं पूर्वी यूरोप के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कारक बनकर शीत युद्ध के तनाव को बढ़ा दिया; किन्तु इसे एक सफल अमेरिकी विदेश नीति पहल का उदाहरण भी माना जाता है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में योगदान दिया।
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