लोकतंत्र में अंतः-दलीय लोकतंत्र की भूमिका का वर्णन : दलीय लोकतंत्र की आवश्यकताओं/गुणों का वर्णन

प्रश्न: राजनीतिक दल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के एक अभिन्न अंग हैं। इस संदर्भ में, भारत में राजनीतिक दलों में अंतः दलीय लोकतंत्र को संस्थागत किए जाने की प्रक्रिया को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • लोकतंत्र में अंतः-दलीय लोकतंत्र की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • अंतः दलीय लोकतंत्र के संदर्भ में राजनीतिक दलों के प्रदर्शन और इसके लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए।
  • अंतः दलीय लोकतंत्र की आवश्यकताओं/गुणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

राजनीतिक दल किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों की आकांक्षाओं के अनुरूप लोक नीतियों के निर्धारण, जन सामान्य को राजनीतिक अभिव्यक्ति प्रदान करने व सरकार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक दल स्वयं अपने दल के भीतर लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखें। किसी राजनीतिक दल में अंतः दलीय लोकतंत्र से तात्पर्य निर्णयन की प्रक्रिया में दल के सदस्यों को सम्मिलित करने और दल के विभिन्न पदों के लिए खुले रूप में चुनावों का प्रावधान करने से है।

भारत में निम्नलिखित कारणों से आंतरिक लोकतंत्र के संदर्भ में राजनीतिक दलों का प्रदर्शन अत्यधिक निराशाजनक रहा है:

  •  राजनीतिक दलों में सामान्यतः कुलीनतंत्रीय व्यवस्था विद्यमान होती है जिसमें सभी महत्वपूर्ण निर्णय शीर्ष पर स्थित कुछ सदस्यों द्वारा ही लिए जाते हैं।
  • विभिन्न अन्य लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के विपरीत भारत में आंतरिक लोकतंत्र को लागू करने के लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं किए गए हैं।
  • राजनीतिक दलों के विभिन्न नेताओं का मानना है कि आंतरिक लोकतंत्र, दलों की आंतरिक संरचना और प्रक्रियाओं के निर्धारण की स्वतंत्रता एवं दक्षता के लिए जोखिम उत्पन्न करता है।

दलों के आंतरिक लोकतंत्र के संबंध में सभी आशंकाओं के बावजूद अंतः दलीय लोकतंत्र को संस्थागत बनाने के विभिन्न लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह दल के भीतर स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर राजनीतिक दल की दक्षता को बढ़ावा देता है।
  • यह दलों के नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करता है और इस प्रकार बेहतर सार्वजनिक नीतियों का निर्माण होता है।
  • यह भाई-भतीजावाद, पक्षपात और वंशवादी शासन को समाप्त कर ज़मीनी स्तर के नेतृत्व को पर्याप्त अवसर प्रदान करता  है और इस प्रकार वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है।
  • यह असहमति को भी महत्व प्रदान कर विभिन्न दृष्टिकोणों को अभिव्यक्ति प्रदान करता है (विशेष रूप से भारत जैसे एक विविधतापूर्ण और बहुलवादी लोकतंत्र में)।
  • यह दल के प्रत्येक सदस्य को पार्टी फंड की निगरानी करने वाले’ की भूमिका प्रदान कर भ्रष्टाचार, धन एवं बल की भूमिका के उन्मूलन में सहायता करता है।
  • यह दल के प्रत्येक कार्यकर्ता को दल का एक उत्तरदायी सदस्य बनाता है और इस प्रकार यह उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिए मंच प्रदान करता है।

वर्तमान में इस सन्दर्भ में प्रभावी कानून केवल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 29A के अंतर्गत राजनीतिक दलों के पंजीकरण हेतु किया गया प्रावधान है। इस समस्या को पहचानते हुए द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) और वेंकटचेलैया समिति ने सभी राजनीतिक दलों में एक कार्यकारी समिति की स्थापना द्वारा अंतः दलीय लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने हेतु कदम उठाने की अनुशंसा की है। अनुशंसा के अनुसार इस समिति को दल की राज्य इकाइयों की स्थानीय समितियों के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाना चाहिए। अंतः दलीय लोकतंत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए, इन प्रस्तावों पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है।

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