फिनटेक (FinTech) : संभावना और चुनौती

प्रश्न: फिनटेक (FinTech) नवाचारों के बढ़ते महत्व को देखते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था में फिनटेक को मुख्यधारा में लाने की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • फिनटेक को परिभाषित कीजिए।
  • भारत में फिनटेक क्षेत्र की क्षमता की व्याख्या कीजिए।
  • सरकार और RBI द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

फिनटेक (फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी) वित्तीय सेवाओं के वितरण और उपयोग को बेहतर बनाने तथा उसे स्वचालित करने के लिए नई तकनीक के उपयोग को संदर्भित करता है। इसमें ई-वॉलेट, पीयर टू पीयर लेंडिंग, पेमेंट गेटवे आदि जैसे उत्पाद सम्मिलित हैं।
EY (Ernst & Young) के फिनटेक एडॉप्शन इंडेक्स- 2017 के अनुसार, भारत का फिनटेक एडॉप्शन रेट विश्व में दूसरा सर्वाधिक है। निम्नलिखित कारणों से भारत में फिनटेक लाभप्रद है:

  • भारत की अधिकांश जनसंख्या युवा है जिसमें तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • स्मार्टफोन के प्रयोग में वृद्धि हुई है- यह 2014 के 53% से बढ़कर 2018 में 64% हो गयी।
  • भारत में वित्तीय सेवा बाजार मुख्य रूप से अप्रयुक्त है, क्योंकि इसकी 40% आबादी का किसी भी बैंक के साथ कोई संबंध नहीं है और 80% से अधिक लेन-देन नकद रूप में किए जाते हैं।
  • लगभग 90 प्रतिशत लघु व्यवसाय औपचारिक वित्तीय संस्थानों से संबद्ध नहीं हैं।
  • नवाचार-चालित स्टार्टअप परिदृश्य और फिनटेक क्षेत्र के लिए निवेश की उपलब्धता।

महत्वपूर्ण अवसरों के बावजूद, भारत में फिनटेक को अपनाने के समक्ष अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं:

  •  इंटरनेट कनेक्टिविटी के संदर्भ में अवसंरचना का अभाव, बैंकिंग सेवा से रहित आबादी और निम्न वित्तीय साक्षरता।
  • वित्तीय लेन-देन में नकदी पर अधिक निर्भरता।
  • MSMEs के लिए फिनटेक समाधानों को एकीकृत करने की लागत वर्तमान में निषेधात्मक है।
  • साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी से संबंधित चिंताएं।
  • विनियामकीय अनिश्चितता- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा व्यापक और पृथक दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
  • फिनटेक कंपनी के दृष्टिकोण से, जोखिम प्रबंधन और निवेश के लिए पूंजी तक समय पर पहुंच का अभाव, नवाचार में कमी और उनके संचालन को उन्नत बनाने से रोकना आदि प्रमुख चुनौतियां हैं। RBI ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस और भारत बिल पेमेंट सिस्टम, साथ ही डिजिटल भुगतान, पीयर टू पीयर लेंडिंग और वित्तीय सलाह देने के लिए आटोमेटेड एल्गोरिदम के प्रयोग को बढ़ावा दिया है। सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, इंडिया स्टैक और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के रूप में तकनीकी नवाचारों के लिए महत्वपूर्ण सक्षम मंच प्रदान किए गए हैं।

सरकार को एक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ – नवाचारी उत्पादों, सेवाओं और व्यवसाय मॉडलों के सह-सृजन और साइबर सुरक्षा प्रदान करने के लिए व्यवसायों और स्टार्ट-अप हेतु एक सुरक्षित स्थान – के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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