लौह एवं इस्पात उद्योग की अवस्थिति : उद्योगों के तटीय क्षेत्रों की ओर क्रमिक स्थानान्तरण के कारण

प्रश्न: लौह एवं इस्पात उद्योग की अवस्थिति अनेक कारकों पर निर्भर करती है। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए। साथ ही, समय के साथ इस उद्योग के तटीय क्षेत्रों की ओर क्रमिक स्थानांतरण का सविस्तार कारण बताइए।

दृष्टिकोण

  • उत्तर के प्रथम भाग में, लौह एवं इस्पात उद्योग की अवस्थिति को निर्धारित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  • इसे सिद्ध करने हेतु उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  • अंत में, उद्योगों के तटीय क्षेत्रों की ओर क्रमिक स्थानान्तरण के कारणों की उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।

उत्तर

लौह एवं इस्पात उद्योग को औद्योगिक विकास की रीढ़ माना जाता है और इसकी अवस्थिति विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित होती है, जैसे:

कच्चा माल: 

  • लौह अयस्क खानों के निकट: परिवहन लागत को कम करने हेतु उद्योगों को लौह अयस्क, मैंगनीज, चूना पत्थर, डोलोमाइट की खदानों के निकट स्थापित किया जाता है। उदाहरण के लिए: भारत में राउरकेला एवं पश्चिमी साइबेरिया में कुज़्नेत्स्क बेसिन। कोयला
  • क्षेत्रों के निकट: औद्योगिक क्रांति के दौरान रेल इंजनों की अक्षमता के कारण लौह अयस्क का कोयला क्षेत्रों की ओर परिवहन अधिक सस्ता था न कि कोयले का लौह अयस्क क्षेत्रों की ओर परिवहन। उदाहरण के लिए: संयुक्त राज्य अमेरिका में अपलेशियन-पेनसिल्वेनिया, चीन में वुहान।

परिवहन: तटीय क्षेत्रों के निकट अवस्थिति, पत्तन से कारखानों तक कच्चे माल (मुख्यत: आयातित) के परिवहन की लागत को कम कर देती है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में शिकागो और भारत में विशाखापत्तनम।

आधुनिक प्रौद्योगिकी: जैसे इलेक्ट्रिक स्मेल्टर, खुली भट्टी प्रणाली आदि ने स्क्रैप धातु का कुशल उपयोग कर एवं साथ ही ऊर्जा की आवश्यकता को कम करके इस्पात उद्योगों को कोयले, लौह एवं अयस्क भंडारों से दूर स्थानांतरित करने में सहायता की है। उदाहरण के लिए, गाजियाबाद में भूषण स्टील प्लांट।

औद्योगिक जड़ता: कच्चे माल की कमी जैसे स्थानिक लाभों के कम होने के पश्चात भी उद्योग उसी क्षेत्र में बने रहते हैं। उदाहरण के लिए जर्मनी में रूर एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में पिट्सबर्ग।

पिछड़े क्षेत्रों हेतु सरकार की विकासात्मक नीतियां: जैसे- भारत में भिलाई और सलेम संयंत्र।

रणनीतिक कारण: द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात्, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ ने एक क्षेत्र में उद्योगों को संकेन्द्रित न करने की नीति अपनायी थी। इस प्रकार, संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ संयंत्रों को पश्चिमी क्षेत्र जैसे – कैलिफोर्निया में स्थापित किया गया और सोवियत संघ में कुछ संयंत्रों को पूर्वी क्षेत्र में प्रशांत तट की ओर स्थापित किया गया।

समय के साथ, लौह एवं इस्पात उद्योग तटीय क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होने लगे, जैसे- जापान के ओसाका-कोबे क्षेत्र में इस्पात उद्योग तथा विशाखापत्तनम, रत्नागिरी एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के तटीय शहरों जैसे – क्लीवलैंड, डेट्रायट और शिकागो के इस्पात संयंत्र। इसके निम्नलिखित कारण हैं:

  • मुख्य भूमि पर कम होते कोयला संसाधनों ने कच्चे माल के परिवहन की लागत बनाम तैयार उत्पाद के परिवहन की लागत के अर्थशास्त्र को परिवर्तित कर दिया।
  • पत्तनों के निकट, इस्पात का निर्यात और कच्चे माल का आयात आसानी से किया जा सकता है।

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