भारत में शहरी आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं और उनके प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में एक संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: हाल के समय में शहरी आतंकवाद उफान पर रहा है। शहरी केंद्रों को आतंकवादी हमलों के लिए सुग्राह्य बनाने वाले कारकों की पहचान कीजिए। इसका मुकाबला करने हेतु प्रभावी उपाय करने के लिए पिछले हमलों से क्या सबक सीखे जा सकते हैं?

दृष्टिकोण

  • भारत में शहरी आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं और उनके प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • विभिन्न आयामों का विश्लेषण कर उन तर्कों का विवरण दीजिए जिनके अनुसार शहरी वातावरण आतंकवादियों को बेहतर विकल्प प्रदान करता है।
  • भारत में शहरी आतंकवाद के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने हेतु कुछ प्रभावी उपायों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

हाल ही में, मुंबई, न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन जैसे शहरों ने आतंकवादी हमलों का सामना किया है। यह शहरी आतंकवाद में वृद्धि की प्रवृत्ति को इंगित करता है। इस घटना के लिए निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है:

  • शहरी केंद्र आतंकवादी हमलों के लिए लक्षित केंद्र बन गए हैं क्योंकि वे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के केंद्र और प्रतीक होते हैं।
  • शहरों में जनसंख्या न केवल बहुत अधिक होती है, बल्कि कुछ निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों में विविधतापूर्ण, सघन और संकेंद्रित भी होती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विपरीत, शहरी क्षेत्र आतंकवादियों को अपनी पहचान छिपाने के लिए अधिक अवसर प्रदान करते हैं जिस कारण आतंकवादी शहरी क्षेत्रों में आसानी से बने रहते हैं।
  • हथियार, दवाएं, भोजन और आवास जैसी लॉजिस्टिक सहायता किसी औसत शहरी क्षेत्र में भी आसानी से उपलब्ध हैं।
  • सार्वजनिक और निजी परिवहन की उपलब्धता से आतंकवादियों की गतिशीलता सुनिश्चित होती है।
  • आतंकवादी समूहों को सामान्यतः संभावित आतंकवादियों को एक अनुमानित तरीके से भर्ती करने में सुगमता होती है।
  • शहरी क्षेत्रों में प्रशासनिक, आर्थिक और राजनीतिक मुख्यालयों जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचनाएं उपस्थित होती हैं, जहां सापेक्षिक रूप से सुगमता से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
  • प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहले से ही उपलब्धता होना, जिसका व्यापक कवरेज आतंकवादी कृत्यों की भय उत्पन्न करने की क्षमता में और अधिक वृद्धि कर देता है।

शहरी आतंकवाद के प्रभाव

  • शहरों पर आतंकवादी हमले भारत की उभरती अर्थव्यवस्था को कमजोर और निवेश वातावरण को निम्न स्तरीय बना सकते कमजोर बना देता है।
  • वृहद् क्षेत्र पर विनाश और संदूषण का प्रभाव रहता है जहां कई दिनों तक सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
  • यह सामाजिक समरसता के ढांचे को भी कमजोर बना देता है।

शहरी आतंकवाद का समाधान

  • क्रियाशील आसूचना का सुदृढ़ीकरण: अग्रसक्रिय आतंकवाद-विरोधी उपायों (pro-active counter-terrorist measures) के लिए स्थानीय आसूचना प्रणाली को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है। यह सामुदायिक पुलिसिंग के सहयोग से किया जाना चाहिए।
  • लक्ष्य सुभेद्यता का सुदृढ़ीकरण (Target Hardening): आतंकवादी प्रायः बाजार, रेलवे स्टेशन जैसे उच्च प्रोफ़ाइल वाले सुभेद्य लक्ष्यों का चयन करते हैं। ब्लास्ट वाल, अटैक रेजिलियेंट बोलार्ड और शटर-प्रूफ ग्लास का प्रयोग लक्ष्य की सुभेद्यता से निपटने का एक तरीका हो सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रमुख स्थानों पर सर्विलांस कैमरे, मेटल एंड एक्सप्लोसिव वेपर डिटेक्टर और एक्स-रे स्कैनिंग मशीनों को स्थापित किया जाना चाहिए।
  • प्रशिक्षित श्रमबल: सुरक्षा कर्मियों को बचाव और राहत कार्यों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करने के अतिरिक्त संदिग्ध वस्तुओं की खोज और उनके पृथक्करण हेतु संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। शहरी योजनाकार विभिन्न शहरी समुदायों के मध्य सामाजिक एकजुटता को सशक्त कर कट्टरता को कमजोर करने के लिए आवश्यक रणनीतियों को भी अपना सकते हैं।
  • आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशन: राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कमांडोंज की ऑपरेशन संबंधी क्षमताओं में वृद्धि और उनको होने वाली जनहानि (casualties) को कम करने के उद्देश्य से उन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों से लैस किया जाना चाहिए। प्रत्येक राज्य के पास घातक आतंकवादी हमलों का सामना करने के लिए NSG के समान विशेष कमांडो बल होने चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सरकार को इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के पास उपलब्ध विशेषज्ञता प्राप्त करने, प्रशिक्षण में सहायता लेने और आसूचना साझेदारी के लाभों को अधिकतम करने के लिए मित्रवत देशों से व्यापक सहयोग प्राप्त करने हेतु कदम बढ़ाना चाहिए।

वर्तमान स्थितियों में जब अधिक से अधिक लोग शहरों में स्थानांतरित हो रहे हैं, शहरी आतंकवाद गंभीर खतरे उत्पन्न कर रहा है। शहरों का महानगरीय चरित्र, विविधता और गतिशीलता को सुनिश्चित करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध शहरों की रक्षा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस प्रकार, एक बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाना समय की मांग है जिसमें अंतर-शहरी सहयोग, पुलिस-समुदाय संबंध तथा आसूचना, सुरक्षा तथा आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाएँ शामिल हो।

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