मार्टिन लूथर किंग : दूसरों या मानवता की सेवा

प्रश्न: नीचे कथन दिए गए हैं। स्पष्ट कीजिए कि आप उनसे क्या समझते हैं और वर्तमान संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।

  “हर कोई प्रसिद्ध नहीं हो सकता है, लेकिन हर कोई महान हो सकता है क्योंकि महानता सेवा द्वारा निर्धारित होती है” – मार्टिन लूथर किंग।

दृष्टिकोण

  • इस संदर्भ में सेवा के महत्व पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए। 
  • इस कथन से आप क्या समझते हैं, उसका उल्लेख कीजिए।
  • वर्तमान संदर्भ में इस कथन की प्रासंगिकता को रेखांकित कीजिए। 
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर:

इस संदर्भ में सेवा का अर्थ ‘दूसरों या मानवता की सेवा’ से है। दूसरे की सेवा करने से व्यक्ति स्वयं से परे जाकर सोचने लगता है। दूसरों की सेवा निःस्वार्थता की ओर ले जाती है। इसका तात्पर्य किसी पुरस्कार या लाभ की अपेक्षा किए बिना किसी और के लिए कुछ करना है, उनके जीवन में परिवर्तन लाना है।

हालाँकि, यह तभी संभव है जब किसी व्यक्ति का हृदय और उसकी आत्मा अनुग्रह एवं प्रेम से भरे हों। अन्यथा, वह केवल लाभ के उद्देश्य के लिए कार्य करेगा। मार्टिन लूथर किंग का जीवन दूसरों की भलाई और उत्थान के लिए समर्पित था। उनका जीवन संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्लीय भेदभाव को समाप्त करने और दूसरों की सेवा करने के लिए समर्पित था।

हालांकि, लोगों की सेवा में निरत प्रत्येक व्यक्ति को पहचान नहीं मिलती, वे अकीर्तित नायक बने रहते हैं। बिना किसी अपेक्षा के समाज में मानवता की सेवा और दूसरों के कष्टों को दूर करने की भावना उन्हें महान बनाती है।

हमारे पास ऐसे व्यक्तियों के अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने अभिस्वीकृति और पहचान की किसी इच्छा से मुक्त होकर वर्षों तक निरंतर अथक परिश्रम किया है।

  • श्री करीमुलहक, जिन्हें ‘बाइक-एम्बुलेंस दादा’ के नाम से जाना जाता है, ने पश्चिम बंगाल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए अपने दो पहिया वाहन को एम्बुलेंस में परिवर्तित कर दिया। इस प्रकार उन्होंने 3500 से अधिक सड़क दुर्घटना पीड़ितों और आपातकालीन रोगियों के जीवन को बचाया है।
  • पर्यावरणविद् सालूमरदा थिमक्का (जिनकी आयु 106 वर्ष है तथा वे ‘वृक्षमाता’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं) ने विगत 80 वर्षों में 8000 से अधिक वृक्षों को लगाने के साथ उनकी देख-रेख का कार्य किया है।

हाल ही में इन दोनों को पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने पहचान या प्रचार की इच्छा के बिना कार्य किया। उनके पास दूसरों के जीवन से दुखों को दूर करने का एक अंतर्निहित आग्रह था, जिसने उन्हें अथक रूप से कार्य करने हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया। दूसरी तरफ, कुछ कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों के उदाहरण हैं, जो दूसरों की सेवा के अतिरिक्त अन्य कारणों से प्रसिद्ध हुए।

इसे ध्यान में रखते हुए, एक सिविल सेवक को प्रसिद्धि की इच्छा के बिना सदैव अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं से दूसरों की सेवा करने की इच्छा रखनी चाहिए। इसे इसलिए भी महत्व प्रदान किया जाना चाहिए क्योंकि अनामिकता सिविल सेवकों के लिए एक मूलभूत मूल्य है। व्यक्तिगत लोकप्रियता के प्रलोभन से आकर्षित होने की दशा में, उन्हें महात्मा गांधी का स्मरण करना चाहिए जिन्होंने उचित ही कहा है कि “स्वयं की खोज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप दूसरों की सेवा में स्वयं को खो दें”।

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