परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा (VRE) और ग्रिड एकीकरण की अवधारणा
प्रश्न: भारत में परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा (VRE) के एकीकरण के महत्व और इससे संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालिए। ऐसे कुछ कदमों का उल्लेख कीजिए जो समक्रमिक (सिंक्रनाइज्ड) भारतीय ग्रिड के साथ इसके सहज एकीकरण के लिए उठाए जा सकते हैं। (250 words)
दृष्टिकोण
- परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा (VRE) और ग्रिड एकीकरण की अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- भारत के लिए VRE एकीकरण के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- भारत में VRE एकीकरण से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- ग्रिड के साथ VRE के सहज एकीकरण के लिए आवश्यक कदमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा (VRE) उन विद्युत् उत्पादन प्रौद्योगिकियों को संदर्भित करती है जिनका प्राथमिक ऊर्जा स्रोत समय के साथ परिवर्तित होता रहता है और जिसे सरलता से संगृहीत नहीं किया जा सकता है। VRE के स्रोतों में सौर, पवन, महासागर और कुछ जल विद्युत उत्पादन प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। विद्युत वितरण एवं पारेषण प्रणाली को VRE वितरण हेतु कुशल तरीके विकसित करना ही ग्रिड एकीकरण के रूप में जाना जाता है।
भारत के लिए VRE एकीकरण का महत्व:
- पर्यावरणीय लाभ: जीवाश्म ईंधन से प्राप्त विद्युत् के उपयोग में कमी के कारण ग्रीन हाउस गैसों और अन्य उत्सर्जन में कमी। इसके अतिरिक्त, यह राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution) लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा।
- सामाजिक लाभ: स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार के अतिरिक्त, यह विद्युत् तक पहुंच में सुधार और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
- आर्थिक लाभ: अतिरिक्त ऊर्जा को सेवा प्रदाता (utility) को वापस बेचा जा सकता है, इसके अतिरिक्त अन्य आर्थिक लाभों में, तेल और गैस के आयात पर कम व्यय, विद्युत् की कम लागत, नई नौकरियों का सृजन आदि शामिल है।
भारत में VRE एकीकरण से संबंधित चुनौतियां:
तकनीकी चुनौतियां:
- ग्रिड विस्तार और उन्नयन: VRE उत्पादन में वृद्धि करने हेतु ग्रिड के विस्तार और उन्नयन की आवश्यकता होती है ताकि ऊर्जा प्रणालियाँ उच्च गुणवत्ता वाले VRE संसाधनों तक पहुंच प्राप्त कर सकें जो प्रायः मौजूदा ट्रांसमिशन नेटवर्क से असंबद्ध होते हैं।
विश्वसनीयता:
- दीर्घकालिक विद्युत् की मांग को पर्याप्त रूप से पूरा करने के लिए ऐसी प्रणाली की क्षमता का अनुमान लगाने में कठिनाई, विशेष रूप से अत्यधिक परिवर्तनीय मौसम परिस्थितियों पर VRE की निर्भरता के कारण।
विनियामकीय एवं नीतिगत चुनौतियां:
- अंतर-राज्य लिंकेज: कुछ राज्यों में स्रोतों का संकेन्द्रण होने के कारण VRE के अंतरराज्यीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त बाजार प्रक्रियाओं और समर्थन सेवाओं को स्थापित करना अनिवार्य है।
- परिवर्तनशील विनियम: अनेक राज्यों द्वारा केंद्रीय नियमों के साथ राज्य के नियमों को संरेखित करने हेतु पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, अनेक राज्यों द्वारा अधिशेष विद्युत् के व्यापार, राज्यों के मध्य रिज़र्व के साझाकरण आदि के सम्बन्ध में नियम नहीं बनाए गए हैं।
आर्थिक चुनौतियां:
- संसाधनों की उपलब्धता: व्यवस्था के संचालकों द्वारा यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है कि उनके पास प्रणाली में संतुलन बनाए रखने हेतु उत्पादित विद्युत् में होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तनों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। कम
- बाजार मूल्य: VRE विद्युत ऊर्जा की बाजार कीमतों को कम कर सकती है, जो विद्युत् उत्पादकों की संभावनाओं को बाधित करता है।
समक्रमिक (सिंक्रोनाइज़्ड) ग्रिड के साथ सहज एकीकरण के लिए आवश्यक कदम:
VRE की अनिश्चितता को कम करना:
- अग्रिम पूर्वानुमान दक्षता में वृद्धि और प्रणाली को संतुलित करने की लागत को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
- आकस्मिक उतर-चढ़ाव को प्रबंधित करने के लिए पावर एक्सचेंज से विद्युत् के त्वरित क्रय/विक्रय को संभव बनाने हेतु नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद में सुधार करना।
- अन्य कदमों में पारेषण विस्तार, उन्नत जनरेटर (जिन्हें शीघ्रता से प्रारंभ तथा बंद किया जा सकता है एवं एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है) और एक भंडारण प्रणाली समाधान (जो निरंतर आवृत्ति और वोल्टेज प्रदान करने में सक्षम हो) शामिल है।
मौजूदा ग्रिड प्रणाली को लचीला बनाना:
- उचित मूल्य निर्धारण और नम्य संसाधन प्रदाताओं (flexible resource providers) की क्षतिपूर्ति हेतु उचित मूल्य तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
- बड़े-पैमाने/केंद्रीकृत RE स्रोतों के सम्मुख विकेन्द्रीकृत रूप में और छोटे पैमाने पर RE उत्पादन (अंतिम उपयोगकर्ताओं के समीप) को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
विनियामकीय एवं संस्थागत उपाय
- पूर्ण रियल टाइम डेटा उपलब्धता सहित राज्य, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर REMCS (RE प्रबंधन केंद्र) की स्थापना।
- निवेशकों और ऑपरेटरों के मध्य इस विश्वास का सृजन करना कि वर्द्धित VRE स्तरों पर विद्युत् प्रणाली सुदृढ़ता से संचालित हो सकती है।
इस संबंध में, नीति आयोग ने RE को राष्ट्रीय और सामरिक महत्व के संसाधन के रूप में मान्यता प्रदान करने और विद्युत् क्षेत्र की योजना के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें उत्पादन, पारेषण और वितरण शामिल है।
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