अपक्षय : इस प्रक्रिया के पारिस्थितिकीय और आर्थिक महत्व

प्रश्न: अपक्षय क्या है? इस प्रक्रिया के पारिस्थितिकीय और आर्थिक महत्व पर चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • अपक्षय के प्रकारों का उल्लेख करते हुए इसकी प्रक्रिया को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
  • पृथक उप-शीर्षकों के अंतर्गत अपक्षय के पारिस्थितिकीय और आर्थिक महत्व को बताइए।

उत्तर

अपक्षय, पृथ्वी के वायुमंडल, जीवजगत या जल के साथ संपर्क के माध्यम से चट्टानों, मृदा और खनिजों के विघटन की क्रमिक और सतत प्रक्रिया को संदर्भित करता है। यह स्व-स्थाने (in-situ) परिघटना है, जो मौसम के अपक्षयकारी बलों जैसे कि तापमान में परिवर्तन, तुषार और वर्षा का प्रभाव आदि के कारण होती है। इसमें अनेक भौतिक, जैविक और रासायनिक प्रक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं।

77 यह कई जटिल भू-वैज्ञानिक, जलवायविक, स्थलाकृतिक और वनस्पति कारकों के अधीन होती है। विशेष रूप से जलवायु का अपक्षय प्रक्रिया और अपक्षय की गहराई पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

अपक्षय का पारिस्थितिकीय महत्व

  • मृदा निर्माण में अपक्षय प्रारंभिक चरण है। इससे प्रारंभिक चट्टान छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती है, इस प्रकार मृदा निर्माण के लिए चट्टानी सामग्री तैयार होती है।
  • माइकोराइज़ा के साथ अपने सहजीवी सम्बन्धों की सहायता से वृक्ष,खनिज समृद्ध मृदा में विद्यमान छोटे-छोटे रंध्रों के माध्यम से कैल्शियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का अवशोषण करने में सक्षम होते हैं। यह केवल अपक्षय के कारण ही संभव हो पाता है।
  • अपक्षय की सहायता से अपरदन द्वारा, वृहत स्तर पर क्षरण और उच्चावच के कम होने में सहायता प्राप्त होती है। इससे विभिन्न भू-आकृतियों का रूपान्तरण होता है।
  • अपक्षय आवरण की गहराई वनों का प्रकार निर्धारित करती है। तत्पश्चात्, इन वनों के परिणामस्वरुप विभिन्न जीवोमों या जैव विविधता का निर्माण होता है।

अपक्षय का आर्थिक महत्व

  • इससे ईंट बनाने में प्रयुक्त होने वाली चिकनी मिट्टी जैसे अनेक प्राकृतिक संसाधनों का निर्माण होता है।
  • मृदा निर्माण विश्व भर में कृषि अर्थव्यवस्था को आधार प्रदान करता है। अकेले भारत में, कृषि इसकी 58% जनसँख्या को रोजगार उपलब्ध कराती है।
  • इससे चट्टानें कमजोर हो जाती हैं। इस प्रकार यह खनन और उत्खनन गतिविधियों को आसान बनाता है। उदाहरण के लिए एल्युमिनियम, बॉक्साइट अयस्क से निकाला जाता है जो संबंधित खनिजों के अपरदन से बनता है।
  • चट्टानों और निक्षेपों के अपक्षय से मैंगनीज, एल्युमिनियम, लोहे और ताँबे आदि कुछ मूल्यवान अयस्कों के संवर्धन और सांद्रण में सहायता मिलती है, जो अत्यधिक वाणिज्यिक मूल्य रखते हैं।

इस प्रकार, हालांकि अपक्षय एक विघटनकारी प्रक्रिया है, फिर भी यह पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने में अभिन्न भूमिका निभाती है।

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