भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243A में वर्णित ग्राम सभाओं के महत्व का परीक्षण
प्रश्न: पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों के विशेष संदर्भ में विकास प्रक्रिया में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243A में वर्णित ग्राम सभाओं के महत्व का परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण
- संक्षेप में ग्राम सभाओं का वर्णन कीजिए और विकास प्रकिया में उनके महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
- पांचवीं अनुसूची में उल्लिखित क्षेत्रों के लिए ग्राम सभाओं के महत्त्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 के अनुसार ‘ग्राम सभा’ (GS) से आशय ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र के तहत किसी ग्राम से सम्बंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्तियों से मिलकर बने एक समूह (निकाय) से है। अनुच्छेद 243A के अनुसार, ग्राम सभा ग्राम स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का पालन कर सकेगी, जो किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा उपबंधित करेगा। ग्राम सभा, भारत में लोकतान्त्रिक विकेंद्रीकरण की सम्पूर्ण योजना की आधारशिला है।
विकास प्रक्रिया में इसका महत्त्व निम्नलिखित है:
- गाँव का प्रत्येक व्यस्क प्रत्यक्ष रूप से विकास प्रक्रिया में सहभागी बनता है।
- ग्राम पंचायत (GP) द्वारा लागू किए गए सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों की रिपोर्ट पर चर्चा करना।
- खातों और लेखा परीक्षा रिपोर्ट का वार्षिक विवरण एवं ग्राम पंचायत के प्रशासन से सम्बन्धित वार्षिक रिपोर्ट की जाँच करना।
- निर्धनता और ग्रामीण विकास से सम्बद्ध विभिन्न कार्यक्रमों से सम्बंधित लाभार्थियों की पहचान करना।
- स्वैच्छिक श्रम को एकजुट करना और सामुदायिक कल्याण कार्यक्रमों का संचालन करना।
- भूमि अधिग्रहण या वन अधिकारों में परिवर्तन जैसे विकास कार्यक्रमों से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है।
पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों के सन्दर्भ में ग्राम सभा को पंचायत अधिनियम (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार), 1996 (PESA) के तहत निम्नलिखित के संरक्षण एवं परिरक्षण हेतु व्यापक शक्तियां प्रदान की गई हैं।
- लोगों की परम्पराओं और प्रथाओं और उनकी सांस्कृतिक पहचान
- सामुदायिक संसाधन
- विवाद समाधान की प्रथागत विधि
इन शक्तियों में सम्मिलित हैं:
- लघु वनोत्पाद का स्वामित्व।
- भूमि अधिग्रहण के दौरान अनिवार्य परामर्श।
- लघु जल निकायों का प्रबन्धन और गौण खनिजों हेतु खनिज पट्टों पर नियन्त्रण।
- अनुसूचित जनजातियों में अलगाव की भावना को रोकना और अवैध रूप से हस्तांतरित भूमियों की पुनः बहाली हेतु कार्य करना।
- अनुसूचित जनजातियों को धन उधार देने के व्यवसाय को नियंत्रित करना।
- पंचायत द्वारा योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाने वाली निधियों को प्रमाण पत्र जारी करना।
पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में जनजातियों के पारम्परिक और सांस्कृतिक अधिकारों के सम्बन्ध में जागरूकता पैदा करने तथा अवैध खनन, वनों की कटाई एवं अतिक्रमण को रोकने हेतु ग्राम सभाएं बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। यह नियामगिरि जनजातियों के हित में वेदांत खनन परियोजना को अस्वीकृत किए जाने से प्रदर्शित होता है।
हालाँकि, राज्य ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस और निवेश को आकर्षित करने हेतु कानून और विनियमों के माध्यम से पांचवीं अनुसूची और PESA के प्रावधानों को कमजोर कर ग्राम सभाओं के अधिकारों में गतिरोध उत्पन्न कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और समेकित विकास के लिए यह अच्छा नहीं है। राज्यों को स्थानीय लोगों की चिन्ताओं के प्रति आवश्यक रूप से संवेदनशील होना चाहिए और ग्राम सभाओं के सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करना चाहिए।
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