केस स्टडीज : औद्योगिक शहर में बड़ी संख्या में चमड़ा उद्योग
प्रश्न: भारत के एक प्रमुख औद्योगिक शहर में बड़ी संख्या में चमड़ा उद्योग है। वे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं और राज्य के लिए राजस्व के एक प्रमुख स्रोत भी हैं। हाल ही में यह देखा गया कि वर्तमान उत्सर्जन नियंत्रण नियमों का पालन करने के बावजूद, इन उद्योगों का सामूहिक पारिस्थितिकीय फुटप्रिंट काफी अधिक बना हुआ है जिससे आसपास के क्षेत्र प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे हैं। उत्सर्जन नियंत्रण के लिए उपलब्ध नई प्रौद्योगिकियां काफी महँगी हैं और इस प्रकार ये इन उद्योगों के स्वामियों द्वारा अपनाये जाने को हतोत्साहित करती हैं।
इस जानकारी के आलोक में, सरकार निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कर रही है:
(a) इस क्षेत्र में उद्योगों को बंद करना।
(b) एक नए क्षेत्र में उद्योगों को स्थानांतरित करना।
(c) उत्सर्जन नियंत्रण नियमों को और सख्त बनाना।
(d) नई प्रौद्योगिकी को अपनाने हेतु उद्योगों के स्वामियों को प्रोत्साहन प्रदान करना।
उपर्युक्त विकल्पों का उनके गुण-दोष के आधार पर विश्लेषण कीजिए। आप क्या कार्यवाही अपनाएंगे और क्यों?
दृष्टिकोण
- इस मामले से संबद्ध नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिए।
- दिए गए विकल्पों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रत्येक विकल्प के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्षों पर चर्चा कीजिए तथा अपने द्वारा की जाने वाली कार्यवाही एवं उसके औचित्य का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
इस मामले से संबद्ध नैतिक मुद्दे निम्नलिखित हैं:
- नागरिकों का प्रदूषण मुक्त पर्यावरण संबंधी अधिकार
- प्रदूषण के कारण होने वाली पारिस्थितिक क्षति, परिणामतः उत्पन्न जैवविविधता ह्रास एवं अन्य दुष्परिणाम
- “प्रदूषणकर्ताओं द्वारा भुगतान” (polluter pays) का सिद्धांत
- स्थानीय किसानों के मानवाधिकार
- उद्योगों के अपने व्यापार संचालन संबंधी अधिकार दिए गए
विकल्पों का मूल्यांकन निम्नलिखित प्रकार से किया गया है:
(a)क्षेत्र में सभी उद्योगों को बंद करना
- इस कार्यवाही द्वारा शहर में प्रदूषण हेतु उत्तरदायी एक प्रमुख स्रोत तत्काल रूप से निष्क्रिय हो जाएगा। इसका उस विस्तृत क्षेत्र एवं जैव विविधता पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
- परंतु इसे एक कठोर कदम माना जाएगा और इससे अनेक हितधारकों जैसे उद्योगपतियों तथा कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन होगा और यह अर्थव्यवस्था हेतु भी हानिकारक सिद्ध होगा।
- इसके अतिरिक्त यह विधि के शासन का भी उल्लंघन करता है क्योंकि उद्योगों की स्थापना मौजूदा मानदंडों के अनुरूप की गई है और यह उन्हें उनका पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान नहीं करता है।
(b) उद्योगों को एक नए क्षेत्र में स्थानांतरित करना
- यह कार्यवाही नागरिकों के व्यापक लोक हित के पक्ष में उद्योगों पर कुछ लागतों को आरोपित करेगी। ऐसे में किसी नए क्षेत्र में उद्योगों को स्थानांतरित करने और प्रथम स्थान पर उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकी के प्रतिष्ठापन संबंधी लागत-लाभ की तुलना करने की आवश्यकता है।
- साथ ही, इस कार्यवाही द्वारा प्रदूषण वर्तमान शहर से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित हो जाएगा। यह उद्योग द्वारा उत्पन्न प्रदूषण के जोखिमों में कटौती करने में कोई विशेष प्रभावी नहीं होगा। अपितु उद्योग द्वारा उत्पन्न प्रदूषण अब नए स्थान के समक्ष वातावरण संबंधी जोखिम उत्पन्न करेगा।
(c)उत्सर्जन नियंत्रण संबंधी नियमों को कठोर बनाना
- यह उपाय औद्योगिक अपशिष्ट के निस्तारण से पूर्व उसके उपचार को सुनिश्चित करेगा। साथ ही, नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान की जाएगी तथा उन्हें दंडित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इस कार्यवाही द्वारा उद्योग एवं जन सामान्य के अधिकारों के संरक्षण को भी सुनिश्चित किया जाएगा। यह कार्यवाही कम समय में राहत प्रदान कर सकती है।
- हालांकि, एक सुदृढ़ तंत्र की स्थापना करने में कई चुनौतियां उत्पन्न होती हैं, जैसे कि सरकार के पास प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी एवं नियमों को कार्यान्वित करने हेतु पर्याप्त क्षमता का अभाव। इसके लिए विभिन्न सरकारी संगठनों के मध्य बेहतर समन्वय की आवश्यकता होगी, जिसमें कई कठिनाईयां विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त, यह उद्योगों पर अल्पावधि में नई नियामक पद्धतियों का अनुपालन करने हेतु उच्च लागत को आरोपित करेगा। हालांकि, एक सतत कार्यवाही के तहत यह आवश्यक है कि नागरिकों और पर्यावरण के दीर्घकालिक हितों को संरक्षण प्रदान किया जाए और उद्योगों को इसके अनुरूप परिचालन हेतु निर्देशित किया जाए।
(d)नई तकनीक को अपनाने हेतु उद्योगों के स्वामियों को प्रोत्साहित करना
- इससे क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने में सहायता प्राप्त होगी; साथ ही इससे उद्योग एवं जन सामान्य के हितों को भी संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा। परंतु इससे सरकार की वित्तीय लागतों में वृद्धि होगी।
- एक क्षेत्र अधिकारी हेतु अंतिम विकल्प अर्थात विकल्प (d) को अपनाना ही उपयुक्त होगा, क्योंकि यह अल्पावधि और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के विकल्पों का मिश्रण है। यह सभी विनियामक दिशा-निर्देशों के कठोरता से अनुपालन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ सभी हितधारकों को दीर्घगामी समाधानों को प्राप्त करने में भी सहायता करेगा। इस विकल्प को अपनाने से एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि उद्योग विनियमों एवं कानूनों का अनुपालन अधिक एवं स्वेच्छापूर्ण ढंग से करेंगे।
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