केस स्टडीज : विभिन्न हितधारक और उनकी प्रमुख चिंतायें

प्रश्न: आप मूलतः ग्रामीण परिवेश वाले एक जिले के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पदस्थापित हैं। अधिशेष कृषि उत्पादन के परिणामस्वरूप पिछले तीन वर्षों में फसलों के बाज़ार मूल्य में निरंतर गिरावट आई है। शीघ्र ही चुनाव आने के कारण, विपक्ष ने इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है और गिरते मूल्यों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसानों को एकजुट किया है। कुछ स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया और पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी, जिसमें दो लोगों की मृत्यु हो गई। तब से हिंसा और अधिक बढ़ गई है और जब आपने प्रदर्शनकारियों को शांत कराने का प्रयास किया तो आप पर भी आक्रमण किया गया। प्रदर्शनकारियों ने वस्तुओं और लोगों की आवाजाही को बाधित करने के लिए मुख्य सड़कों और साथ ही रेल मार्गों को भी अवरुद्ध कर दिया है। दी गई परिस्थिति में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) उन प्रमुख चिंताओं की पहचान कीजिए जिनका समाधान प्राथमिकता के आधार पर किए जाने की आवश्यकता है।

(b) उनका समाधान करने के लिए आप कौन-से कदम उठाएंगे?

दृष्टिकोण

  • अपनी शिकायतों के लिए शांतिपूर्वक विरोध करने के लोगों के अधिकार को रेखांकित कीजिए।
  • विभिन्न हितधारकों और उनकी प्रमुख चिंताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
  • जिला मजिस्ट्रेट के रूप में आपके द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियाँ सुझाइए।

उत्तर

अहिंसक और संगठित विरोध प्रदर्शनों ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए, भारत के संविधान में अनुच्छेद 19 के तहत शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है, जोकि एक जीवंत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि उपद्रव, तोड़फोड़ और सार्वजनिक संपत्ति के विनाश के द्वारा इस लोकतांत्रिक अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस परिस्थिति से निपटने हेतु पुलिस द्वारा किया जाने वाला बल प्रयोग नागरिकों को और अधिक क्रुद्ध कर देता है। यह स्थिति प्रशासन के कार्य को जटिल बना देती है और कुछ दुविधाओं को जन्म देती

(a) विभिन्न हितधारक और उनकी प्रमुख चिंताएं अग्रलिखित हैं:

1. कृषक –

  • मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिवारों के लिए न्याय।
  • गिरती कीमतों के आलोक में आजीविका समर्थन प्रदान करने हेतु अल्पकालिक उपाय।

2. प्रशासन –

  • यह सुनिश्चित करना कि वस्तुओं और लोगों की आवाजाही अवरुद्ध न हो।
  • तनाव को कम करना और कानून एवं व्यवस्था की पुनर्स्थापना।
  • सरकारी कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों की सुरक्षा और बचाव।

3. समाज

  • सामाजिक और आर्थिक स्तर पर स्थिति को पुनः सामान्य करना।
  • आम नागरिकों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा और बचाव।

4. राजनीतिक दल –

  • सत्ताधारी दल के लिए – लोगों के मनोबल को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक विश्वास अक्षुण्ण बना रहे।
  • विपक्ष के लिए – किसानों को संगठित करने और कृषि नीतियों की आलोचना करने हेतु तंत्र और मंच की स्थापना।

इस स्थिति में प्रशासन को, निम्नलिखित समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने की आवश्यकता है:

  • हिंसा में शामिल लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करके शांति और व्यवस्था की पुनर्स्थापना।
  • यह सुनिश्चित करना कि खाद्य और राशन जैसी आवश्यक वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों।
  • यह सुनिश्चित करना कि लोग अपनी आजीविका गतिविधियों को संपन्न करने में सक्षम हों और प्रदर्शनकारियों द्वारा इसमें कोई बाधा न पहुँचाई जा सके।
  • प्रदर्शनकारियों की वास्तविक मांगों का समाधान करने के तरीकों और साधनों पर विचार करना।

(b) जिला मजिस्ट्रेट के रूप में निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए –

  • औपचारिक रूप से किसानों की शिकायतों को दर्ज करने के लिए उनके साथ वार्तालाप करना और उन्हें अस्थायी रूप से विरोध प्रदर्शन का स्थगन करने हेतु मनाना।
  • मृतकों के परिवार के लिए अनुग्रह राशि (ex-gratia relief) की घोषणा करना। साथ ही मृत्यु के मामले के संबंध में समयबद्ध जांच करने के लिए एक समिति का गठन करना ताकि भीड़ के प्रबंधन में हुई किसी भी प्रकार की चूक का पता लगाया जा सके और जन सामान्य का प्रशासन में विश्वास स्थापित किया जा सके।
  • साथ ही, जिले से वस्तुओं और लोगों की अबाध आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था का इन्तजाम करना। जब तक पर्याप्त सुरक्षा बलों को संगठित न किया जा सके, तब तक खाद्य एवं राशन की आपूर्ति और आपात स्थिति में यात्रा करने वाले लोगों को प्राथमिकता देना।
  • हिंसक कार्यों पर सख्त निगरानी बनाए रखना और किसी भी हिंसक गतिविधि में शामिल लोगों को शीघ्रता से दंडित करना।
  • प्रदर्शनकारी किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने हेतु राज्य सरकार को सलाह देना। अधिशेष की सरकारी खरीद करना तथा अतिरिक्त उपज के भंडारण के लिए लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान करना। साथ ही मनरेगा के तहत मजदूरी वाले रोजगार प्रदान करने का भी उपयोग किया जा सकता है।
  • कानून और व्यवस्था की स्थिति के हित में विरोध को वापस लेने के लिए राजनीतिक नेताओं से अपील करना।
  • संकटपूर्ण परिस्थिति में फँसे किसानों के साथ सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के साथ-साथ हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति को अपनाना। संवेदनशील क्षेत्रों की नियमित निगरानी और उच्छृखल व्यवहार के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करना।
  • पुलिस को भी संवेदनशील होना चाहिए ताकि उसके द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन और अतिक्रमण न किया जा सके। समिति के निष्कर्षों के आधार पर, किसी भी प्रकार के अतिक्रमण के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • नागरिकों और मीडिया तक सक्रिय रूप से सूचनाओं का प्रसार किया जाना चाहिए ताकि अफवाहों और फेक न्यूज़ को नियंत्रित किया जा सके।

समग्रतः शिकायतों के निवारण हेतु सकारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे सहित कृषि उपज की गिरती कीमतों के मूल मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए। किसानों के क्रोध की वास्तविकता समझने के लिए सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के माध्यम से कलेक्टर की एक सक्रिय और किसान-अनुकूल छवि को विकसित किया जाना चाहिए। इस मुद्दे का भावनात्मक समझ के माध्यम किया गया प्रबंधन ही सुशासन के लिए आवश्यक सामान्य स्थिति की पुनर्स्थापना कर सकता है।

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