NITI आयोग के व्यापक अधिदेश (broad mandate) का वर्णन : कमियों का उल्लेख करते हुए, इसे और अधिक प्रभावी बनाने हेतु कुछ उपाय

प्रश्न: NITI आयोग के उद्देश्यों को सूचीबद्ध कीजिए। साथ ही, इसकी स्थापना के बाद से इस निकाय के प्रदर्शन की चर्चा कीजिए एवं इसे और अधिक प्रभावी बनाने के उपाय सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में NITI आयोग के व्यापक अधिदेश (broad mandate) का वर्णन करते हुए इसके उद्देश्यों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • पिछले तीन वर्षों में NITI आयोग (उपलब्धियां एवं कमियों) के प्रदर्शन की चर्चा कीजिए।
  • कमियों का उल्लेख करते हुए, इसे और अधिक प्रभावी बनाने हेतु कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर

2015 में स्थापित NITI आयोग, पुरानी पद्धति पर आधारित केन्द्रीय नियोजन को समाप्त कर विकास एजेंडा पर पुनर्विचार करने के जनादेश युक्त एक महत्वपूर्ण थिंक-टैंक है।

उद्देश्य

  • राज्यों के साथ संरचित सहयोग पहलों और प्रक्रियाओं के माध्यम से निरंतर साझा उद्देश्य एवं सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।
  • ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने और इसे सरकार के उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुंचाने के लिए एक तंत्र विकसित करना।
  • आर्थिक प्रगति से उचित प्रकार से लाभान्वित न हो पाने समाज के वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देना।
  • रणनीतिक और दीर्घावधिक नीति का ढांचा तैयार करना और साथ ही उनकी प्रगति एवं क्षमता की निगरानी करना।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिशनरों तथा अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाना।

NITI आयोग का प्रदर्शन

उपलब्धियां:

  • सहकारी संघवाद: राज्य सरकारों को NITI आयोग की कार्य पद्धति में प्रमुखता प्रदान की गई है और इसने केंद्रीय मंत्रालयों तथा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मध्य विद्यमान मुद्दों के समाधान को भी तीव्रता प्रदान की है।
  • प्रतिस्पर्धी संघवाद: NITI आयोग ने स्वास्थ्य, शिक्षा और जल आदि जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में वृद्धिशील वार्षिक परिणामों के मापन के लिए सूचकांकों को अंतिम रूप प्रदान किया है।
  • मानव विकास: इसके द्वारा एक विशेष पहल प्रारंभ की गयी है जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, अवसंरचना और गरीबी जैसे प्रमुख संकेतकों के आधार पर सुधार की आवश्यकता वाले 115 आकांक्षी जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।
  • साक्ष्य आधारित नीति निर्माण: यह पर्याप्त डेटा के आधार पर नीति निर्माण करने पर केंद्रित है। इसने तीन वर्षीय कार्य एजेंडा और समग्र जल प्रबंधन सूचकांक का विकास, GIS आधारित योजना को बढ़ावा देना और भारत ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य (IESS), 2047 आदि कार्य किये हैं।
  • कृषि में सुधार: इसने APMC अधिनियम में सुधारों पर नीति पत्र का निर्माण, उर्वरक क्षेत्रों का पुनरुद्धार, किसान की आय को दोगुनी करना, आदर्श भूमि पट्टाकरण अधिनियम आदि कार्य किए हैं।
  • ज्ञान और नवाचार: इसके द्वारा प्रैक्टिस रिसोर्स बुक का विकास, अटल इनोवेशन मिशन का प्रारंभ और वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन, 2017 की मेजबानी जैसी पहल की गयी हैं।

कमियां/आलोचना:

  • NITI आयोग का तीन वर्षीय एक्शन एजेंडा, आसन्न चुनौतियों के लिए एक विलंबकारी दृष्टिकोण है।
  • कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियां, नौकरशाही सुधारों और सरकार-नागरिक वार्ता पर सीमित फोकस; ये कारक ऐसे विभिन्न उत्तम विचारों के लिए महत्वपूर्ण हैं जिन्हे मूर्त रूप नहीं दिया जा सकता है)
  • यह प्रदत्त सिफारिशों के व्यावहारिक पहलुओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान केंद्रित नहीं करता है। इसमें फीडबैक लूप के निर्माण का अभाव, नौकरशाहों की जवाबदेही निश्चित न करना एवं प्रक्रिया में सुधार न करना आदि कमियां विद्यमान हैं।

NITI आयोग को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ उपाय

  • NITI आयोग को केवल प्रदर्शन के मापन की बजाय प्रदर्शन की क्षमता निर्माण पर बल देने की आवश्यकता है।
  • क्षेत्रीय विशिष्टताओं के लिए, इसे बाह्य विशेषज्ञों की सहायता से विभिन्न बाधाओं पर आधारित विशेषीकृत समाधान तैयार करने की आवश्यकता है।
  • NITI आयोग की प्रशासनिक संरचना में लोगों की सहभागिता पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

इन उपायों का क्रियान्वयन, NITI आयोग को एक ऐसे संगठन के रूप में परिवर्तित करने में सहायक होगा जो नीतिगत सुधारों को लागू करने एवं देश के भविष्य को एक सुदृढ़ आकार देने में अधिक सार्थक भूमिका निभा सकता है।

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