विश्व में परिवर्तित होता रोजगार परिदृश्य : भारत में स्कूली पाठ्यक्रम व व्यावसायिक शिक्षा

प्रश्न: सम्पूर्ण विश्व में परिवर्तित होता रोजगार परिदृश्य भारत में स्कूली पाठ्यक्रम के साथ व्यावसायिक शिक्षा के समेकन को अनिवार्य बनाता है। चर्चा कीजिए।

दृषिकोण

  • रोजगार परिदृश्य किस प्रकार परिवर्तित हो रहा है, इस पर प्रकाश डालते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए तथा इसके साथ
  • समन्वय स्थापित किए जाने के महत्व पर चर्चा कीजिए।
  • व्यावसायिक शिक्षा का समेकन करना किस प्रकार लाभदायक होगा इसका उल्लेख कीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए। इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए प्रासंगिक कदमों का भी उल्लेख किया जा सकता है।

उत्तर

सम्पूर्ण विश्व में रोजगार परिदृश्य तेजी से परिवर्तित हो रहा है। व्यवसाय मॉडल में तीव्र परिवर्तनों के साथ नये रोजगारों का सृजन हो रहा है। प्रौद्योगिकी ने रोजगार परिदृश्य और कौशल आवश्यकताओं को पुनः आकार देना शुरू कर दिया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन रोजगार भूमिकाओं को परिवर्तित करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहे हैं। नई रोजगार भूमिकाएं अति-विशिष्ट बनती जा रही हैं और इसके लिए विशिष्ट कौशल समुच्चय की आवश्यकता है।

35 वर्ष से कम आयु के 65% मानव संसाधन पूल द्वारा जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए एक कुशल परिवेश के निर्माण की आवश्यकता होगी जो न केवल देश के युवाओं को बदलती कौशल आवश्यकताओं के अनुकूल होने में सक्षम बनाता है बल्कि अगली पीढ़ी के लिए नए अवसर भी प्रदान करता है। इंडिया स्किल रिपोर्ट 2018 यह इंगित करती है कि भारत के सभी शैक्षिक डोमेन में बेरोजगारी 54.4 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त, इंडिया लेबर रिपोर्ट 2007 के अनुसार भारतीय युवा “बेरोजगार” हैं क्योंकि अधिकांश रोजगार अवसरों के लिए व्यावसायिक कौशल की आवश्यकता होती है तथा भारतीय युवाओं में इस व्यावसायिक कौशल का अभाव है। कार्यबल को इन नई आवश्यकताओं को अपनाने और उनके अनुरूप होने में सक्षम बनाने के लिए, स्कूली पाठ्यक्रम को व्यावसायिक शिक्षा के साथ समेकित कर बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

इससे समस्या समाधान, टीम वर्क, संचार जैसे बेहतर कार्य कौशल विकसित किए जा सकें, जो बदलते परिवेश में भी समान रूप से महत्वपूर्ण बने रहेंगे:

  • व्यावसायिक शिक्षा को सीखने की संस्कृति और एक पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित करना चाहिए जो उत्पादकता, दक्षता और प्रदर्शन को बढ़ाने पर बल देकर कौशल अभाव के मूल कारण को संबोधित करती है।
  • यह शिक्षा प्रणाली को मुख्य रूप से सैद्धांतिक ज्ञान आधारित होने के स्थान पर एक संतुलित प्रणाली की ओर स्थानांतरित करेगा जो रोजगार कौशल विकसित करने पर आधारित होगा।
  • व्यावसायिक उपलब्धियों हेतु अकादमिक समता सुनिश्चित करने से, विद्यार्थियों की क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर गतिशीलता हेतु मार्ग उपलब्ध होगा।
  • कौशल विकास में सॉफ्ट स्किल कौशल को बढ़ावा देना, उद्यमिता में शिक्षा को प्रोत्साहित करना और कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करना भी शामिल होगा, जो रोजगार प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा।
  • इससे मानसिकता में परिवर्तन आएगा, जिससे मैनुअल जॉब्स से संबद्ध सामाजिक कलंक, बच्चे की शिक्षा और रोजगार पर माता-पिता के नियंत्रण आदि जैसी बाधाओं से निपटने में मदद मिलेगी।
  • यह शिक्षा और उद्योग आवश्यकताओं के मध्य अंतराल को कम करेगा।
  • यह युवाओं में रचनात्मकता और नवाचार को भी अंतर्निविष्ट करेगा।

इसके महत्व को स्वीकार करते हुए, सरकार ने अपनी मौजूदा पारंपरिक शैक्षिक धाराओं के साथ व्यावसायिक शिक्षा को औपचारिक रूप से समेकित करने के उद्देश्य से नेशनल वोकेशनल एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (NVQEF) की शुरुआत की है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 ने 2022 तक कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ 25% स्कूलों के एकीकरण की कल्पना की है। यहां तक कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE), 2016 ने अपने मसौदे में NSQF का अनुसरण करने वाले कौशल कार्यक्रमों के कवरेज को विस्तृत करने का और व्यावसायिक शिक्षा को औपचारिक शैक्षणिक प्रणाली के साथ मुख्यधारा में शामिल करने का सुझाव दिया है। इस प्रकार के कदम विद्यार्थियों की विभिन्न व्यवसायों, तकनीकी कौशल और जीवन कौशल के प्रति समझ में वृद्धि करने में मदद करेंगे जो सम्पूर्ण विश्व में परिवर्तित होते रोजगार परिदृश्य के समय में रोजगार योग्य बनने हेतु आवश्यक हैं।

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