विश्व के प्रमुख यूरेनियम भंडार : परमाणु संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति की सुरक्षा
प्रश्न: विश्व के प्रमुख यूरेनियम भंडारों और उन देशों की पहचान कीजिए जहां से भारत इसका आयात करता है। देश में परमाणु संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किन उपायों की आवश्यकता है?
दृष्टिकोण
- विश्व के प्रमुख यूरेनियम भंडारों की पहचान कीजिए।
- उन देशों को सूचीबद्ध कीजिए जहां से भारत यूरेनियम का आयात करता है।
- भारत में परमाणु ईंधन की आपूर्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय सुझाइए।
उत्तर
यूरेनियम, प्राकृतिक पार्थिव रेडियोसक्रियता में योगदान करने वाले परमाण्विक खनिजों में से एक है। यूरेनियम भंडार इसके विभिन्न समस्थानिकों के साथ प्राप्य यूरेनियम के भंडार हैं।
विश्व में प्रमुख यूरेनियम भंडार:
- ऑस्ट्रेलिया में विश्व का एक-तिहाई यूरेनियम भंडार (सर्वाधिक) विद्यमान हैं। यूरेनियम का अधिकांश भंडार दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में ओलंपिक डैम और रेंजर माइंस में संकेंद्रित है। कजाखस्तान यूरेनियम के सर्वाधिक उत्पादक देशों में से एक है। इसके महत्वपूर्ण निक्षेप चु-सर्यसु बेसिन, सिर दरिया बेसिन और अकमोला क्षेत्र में स्थित हैं।
- रूस में यूरेनियम निक्षेप ट्रांस-यूराल जिले, दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और ट्रांस-बैकाल प्रदेश में अवस्थति हैं।
- कनाडा उच्च श्रेणी के निक्षेपों के साथ यूरेनियम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है तथा यूरेनियम का अधिकांश संकेद्रण उत्तरी सास्काचेचेवान प्रांत के अथाबास्का बेसिन में है। मैकआर्थर नदी खान विश्व की सबसे बड़ी यूरेनियम उत्पादक खान है।
- इसके अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका, नाइजर, ब्राजील, चीन, नामीबिया, मंगोलिया, उज्बेकिस्तान, और यूक्रेन में भी विश्व के यूरेनियम भंडार का लगभग 2% या उससे अधिक विद्यमान है।
भारत में, यूरेनियम मुख्य रूप से सिंहभूम, झारखंड (जादुगोड़ा, बंधुहुरंग) से प्राप्त किया जाता है। कुडप्पा बेसिन, भीम बेसिन, दक्षिण-पश्चिम खासी पहाड़ियाँ और उत्तरी-दिल्ली वलय पेटी में भी निम्न श्रेणी का यूरेनियम पाया जाता है। यूरेनियम का सबसे बड़ा स्रोत मोनाजाइट बालू है जो बिहार के कुछ क्षेत्रों तथा केरल के तट पर सर्वाधिक संकेद्रण के साथ पूर्वी और पश्चिमी तटों पर पाई जाती है।
हालांकि, गुणवत्ता संबंधी मुद्दों, अल्प उपलब्धता, निष्कर्षण की उच्च लागत और स्थानीय लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रतिरोध के कारण भारत को अपनी प्रमुख यूरेनियम की आवश्यकताओं का कजाखस्तान, रूस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयात करना पड़ता है।
हालिया दिनों में, फ्रांस और नामीबिया को अन्य देशों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का सदस्य देश नहीं है तथा उज्बेकिस्तान के साथ परिवहन संबंधित मुद्दे भी प्रकट हो रहे हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग के अनुसार देश में परमाणु संयंत्रों हेतु ईंधन की आपूर्ति सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यूरेनियम के 15,000 टन के भंडार की आवश्यकता है। इसलिए, इन चुनौतियों का समाधान करने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:
- रणनीतिक यूरेनियम भंडारों का निर्माण तथा नवीन यूरेनियम खानों के लिए सर्वेक्षण करना।
- प्रौद्योगिकीय उन्नयन के माध्यम से गहरी भूमिगत खदानों से निष्कर्षण लागत को कम करना।
- नाइजीरिया और ईरान जैसे देशों के साथ परमाणु व्यापार को विविधिकृत करना जो रिएक्टरों, ईंधन या अन्य संबद्ध परमाणु अवसंरचना उपलब्ध करवाते हैं।
- यूरेनियम को मध्यवर्ती रूपों में संसाधित करने हेतु संवर्धन सुविधा केन्द्रों का निर्माण करना।
- यूरेनियम क्लब और NSG में प्रवेश के लिए प्रभावशाली लॉबिंग करना।
- एक राष्ट्रीय ऊर्जा आपूर्ति जोखिम आकलन और प्रबंधन फ्रेमवर्क का सृजन करना।
समग्र रूप से, परमाणु ऊर्जा, निम्न कार्बन विकास को प्रोत्साहित करने और समग्र ऊर्जा सुरक्षा हेतु भारत के लिए बेहतर विकल्प है। इसलिए इन उपायों के साथ-साथ, भारत को अपनी उस प्रौद्योगिकी को भी परिष्कृत करने का प्रयास करना चाहिए जो परमाणु संयंत्रों हेतु ईंधन की दीर्घकालिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी थोरियम का प्रयोग करती है।
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