विदेशी सहायता के वैश्विक प्रवाह की स्थिति की संक्षेप में विवेचना

प्रश्न: ऐसे तर्क दिए गए हैं कि समृद्ध राष्ट्र निर्धन राष्ट्रों में रहने वाले लोगों के प्रति दायित्वाधीन हैं। इस संदर्भ में, विदेशी सहायता से जुड़े मुद्दों की विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण

  • विदेशी सहायता के वैश्विक प्रवाह की स्थिति की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
  • धनी राष्ट्रों पर निर्धन राष्ट्रों का दायित्व क्यों है, विवेचना कीजिए।
  • विदेशी सहायता से संबंधित मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

विदेशी सहायता एक राष्ट्र (अथवा एक अंतरराष्ट्रीय संगठन) से दूसरे राष्ट्र की ओर, आमतौर पर विकसित राष्ट्र से विकासशील राष्ट्र में संसाधनों का स्वैच्छिक स्थानांतरण है, जो उपहार, अनुदान या ऋण के रूप में हो सकता है। यह विकास परियोजनाओं, राष्ट्रीय बजट, ऋण राहत, आपदा राहत, SDG जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए है और सहायता प्राप्त करने वाले राष्ट्र की आय की स्थिति में सुधार करने में सहायता करता है। विदेशी सहायता के प्रकारों में द्विपक्षीय सहायता, बहुपक्षीय सहायता, परियोजना सहायता, सैन्य सहायता और स्वैच्छिक सहायता (दान) सम्मिलित हैं।

यह तर्क दिया जाता है कि धनी राष्ट्रों का कर्त्तव्य है कि वे निर्धन राष्ट्रों में रहने वाली वंचित आबादी को भूख, गरीबी और विनाश जैसी विपदाओं से बचा सकें। यह निम्नलिखित कारणों से हैः

  • सर्वप्रथम ‘तबाही से बचाव के सामूहिक कर्त्तव्य‘ के मानवीय आधार पर, यह समृद्ध समाजों की सामान्य नैतिक अनुक्रिया है कि यदि भूख, आपदा या बीमारी जैसी जानलेवा स्थिति को रोकना संभव हो तो वे उनका उपशमन करें।
  • दूसरा, वैश्विक न्याय के आदर्श की पूर्ति के लिए आय और संपत्ति की असमानता के संदर्भ में समता लाने के लिए विकासात्मक सहायता करना। 
  • ऐतिहासिक जिम्मेदारी, क्योंकि विकसित राष्ट्र अपने उपनिवेशों के शोषण के माध्यम से वर्तमान गरीब या विकासशील राष्ट्रों की लागत पर आगे बढ़े।

हालाँकि हाल के समय में विदेशी सहायता के वैश्विक प्रवाह में कमी आई है। OECD के अनुसार, 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में आधिकारिक दाताओं से विदेशी सहायता में 2.7 प्रतिशत की कमी आई, विशेष रूप से जरूरतमंद राष्ट्रों के लिए। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण नहीं है क्योंकि इस दौरान वैश्विक सैन्य व्यय में वृद्धि हुई है।

विदेशी सहायता से संबंधित मुद्दे

  • संस्थागत तंत्र का अभाव: विदेशी सहायता संस्थागत तंत्र का निर्माण किए बिना प्रदान की जाती है। ऐसे में संसाधनों को अप्रभावी योजनाओं के लिए वितरित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, फीडबैक और जवाबदेही का भी अभाव है।
  • गरीबी उन्मूलन में विफलता: IMF के मामले में आर्थिक सहायता संबंधित वित्तीय लक्ष्य से जुड़ी शर्तों से संबद्ध होती है। यह स्थिति सहायता प्राप्त करने वाली सरकार को सामाजिक सेवा वितरण को निजी संस्थाओं के हाथों में सौंपने जैसे उपायों को अपनाने हेतु विवश करती है। इससे सामाजिक सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकने वाले निर्धनों की निर्धनता और पीड़ा बढ़ जाती है।
  • शोषणात्मक प्रकृतिः वैश्विक आर्थिक संरचना इस प्रकार की है कि अल्प विकसित राष्ट्र (LDCs) निरंतर सहायता पर निर्भर रहते हैं। अफ्रीकी राष्ट्रों का विकास इन अविकसित अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ने का स्थान या अवसर देने की वैश्विक शक्तियों की इच्छा पर निर्भर करता है। पश्चिम ने विदेशी सहायता का निर्धन राष्ट्रों की राजनीतिक अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने हेतु उपयोग किया है।
  • स्वार्थी हित: कुछ राष्ट्र प्रायः अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए विदेशी सहायता प्रदान करते हैं। इस प्रकार आर्थिक सहायता का उपयोग मैत्रीपूर्ण सरकारों को अमित्रतापूर्ण सरकारों के प्रभाव में आने से रोकने के लिए अथवा विदेशी जमीन पर सैन्य ठिकानों को स्थापित करने या उनका उपयोग करने के अधिकार के लिए भुगतान के रूप में किया जा सकता है।
  • वैचारिक विवाद: 90 के दशक में विदेशी सहायता के पीछे मुख्य उद्देश्य विकासशील राष्ट्रों में किसी भी समाजवादी नीतिनिर्माण की रोकथाम करना था। इसके माध्यम से लोकतांत्रिक शासन के साथ एक पूर्ण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था थोपी जा रही थी।
  • निर्विवाद संप्रभुता: सुशासन और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने की आड़ में सहायता प्राप्त राष्ट्रों में दाता राष्ट्र या एजेंसी नीति-निर्माण और उसके कार्यान्वयन को निर्देशित करते हैं।

इन कमियों के बावजूद मानवीय और विकासात्मक सहायता, दोनों के कारण दुनिया भर में लाखों वंचित लोगों की पीड़ा को दूर करने में सहायता मिली है। धनी राष्ट्रों को न केवल नैतिक और नीतिशास्त्रीय दायित्व के अधीन विदेशी सहायता करते रहना चाहिए, बल्कि उन्हें सहायता प्राप्त राष्ट्र में संरचनात्मक और संस्थागत परिवर्तन लाने में सहयोग करने हेतु पहल भी करनी चाहिए ताकि धन का प्रभावी उपयोग संभव हो सके।

Read More 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.