आचार संहिता : भारत जैसे राष्ट्र में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स पर भी सिविल सेवकों हेतु आचार संहिता

प्रश्न: भारत जैसे राष्ट्र में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स पर भी सिविल सेवकों हेतु आचार संहिता लागू किया जाना अत्यावश्यक है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • आचार संहिता को संक्षेप में परिभाषित कीजिए। 
  • तत्पश्चात, सिविल सेवकों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी आचार संहिता को लागू किए जाने की आवश्यकता को उदाहरण सहित रेखांकित लीजिए।
  • पुनः इस संदर्भ में आचार संहिता क्या होनी चाहिए। इस विषय में संक्षेप में विचार प्रस्तुत कीजिए।
  • उत्तर के अंत में यह चर्चा कीजिए कि इस परिप्रेक्ष्य में एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता क्यों है। www.visionias.in

उत्तर

आचार संहिता ऐसे सिद्धांतों की एक मार्गदर्शिका है जिसे पेशेवरों को सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ कार्य संचालन में सहायता करने के लिए निर्मित किया जाता है। आचार संहिता संबंधी दस्तावेज़ व्यवसाय अथवा संगठन के लक्ष्यों और मूल्यों को रेखांकित करते हैं। ये संगठन के आधारभूत मूल्यों पर आधारित सिद्धांत होते हैं।

चूंकि आजकल भारत में सार्वजनिक चर्चा ऑनलाइन आरम्भ हुई है, पर्याप्त संख्या में नौकरशाह सोशल मीडिया पर अपने निजी विचारों को लेकर मुखर हुए हैं। हाल ही में रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता को पूर्व नौसेना प्रमुख को लेकर किये गए एक विवादास्पद ऑनलाइन ट्वीट के पश्चात अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेज दिया गया। इस प्रकार के विवाद इस बात को अनिवार्य बनाते हैं कि सिविल सेवकों के लिए आचारसंहिता को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स पर भी लागू किया जाना चाहिए।

सिविल सेवा संबंधी आचार संहिता तथा नैतिकता एक लोक सेवक द्वारा निष्पक्षता, जवाबदेही, समानुभूति, ईमानदारी तथा सार्वजनिक जीवन में भी सत्यनिष्ठा का पालन किए जाने को अनिवार्य बनाते हैं। सोशल मीडिया के इस युग में आचार संहिता को पुनर्संशोधित करने और लागू किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि उनके निर्माण के समय सोशल मीडिया का अस्तित्व नहीं था।

नई आचार संहिता में किसी लोक सेवक की वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। इसे सिविल सेवा की आचार संहिता के दायरे में ही निर्मित किया जाना चाहिए। निजी और आधिकारिक एकाउंट्स के मध्य के अंतर को स्पष्ट किया जाना चाहिए, किन्तु आधारभूत आचरण संबंधी नियमों को आवश्यक रूप से लागू किया जाना चाहिए क्योंकि निजी आचरण के समय भी एक नौकरशाह सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।

सोशल मीडिया एक सार्वजनिक मंच है और इस कारण सार्वजनिक रूप से बोलने अथवा आधिकारिक या निजी रूप से किसी प्रकाशन के लिए लिखते समय यह बात सदैव याद रखी जानी चाहिए। इस प्रकार सोशल मीडिया का प्रयोग किसी लोक सेवक द्वारा स्वयं के हितों की पूर्ति के लिए अथवा अपने निजी विचारों को व्यक्त करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। एक सिविल सेवक को सदैव इस प्रकार से आचरण करने की आवश्यकता होती है कि वह उन सभी लोगों का विश्वास अपने प्रति कायम रख सके जिनके साथ उसे व्यवहार करना होता है। सोशल मीडिया पर लोक सेवक के लिए निर्धारित आचार संहिता उनके द्वारा ऑनलाइन सूचना की सटीकता और उसकी संवेदनशील प्रकृति के लिए उत्तरदायी बने रहने में सहायता करेगी। यह देश के सामाजिक-राजनीतिक ढाँचे में किसी भी प्रकार की क्षति को प्रतिबंधित करने में सहायता प्रदान करेगी क्योंकि एक बार किसी सूचना के ऑनलाइन हो जाने के पश्चात इसे हटाना अथवा इसके प्रभाव को समाप्त करना कठिन हो जाता है। यह सिविल सेवा के राजनीतिक सिद्धांतों का एक लोक सेवक के जीवन के प्रत्येक पहलू में अनुपालन भी सुनिश्चित करेगा।

यद्यपि हमें इस तथ्य की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि सोशल मीडिया ने कनेक्टिवटी में सुधार किया है तथा लोक सेवकों को जन सामान्य के अत्यधिक निकट ला दिया है। इससे उन्हें नागरिकों की वास्तविक आवश्यकताओं और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने में सहायता प्राप्त हुई है तथा इसमें लोक सेवकों को और बेहतर ढंग से कार्य करने में सहायता करने की क्षमता भी है। इससे न केवल सरकारी नीतियों को जनता तक बेहतर ढंग से पहुंचाने में सहायता प्राप्त हुई है बल्कि शिकायतों के शीघ्र निपटान के लिए एक मंच भी उपलब्ध हुआ है। इसलिए लोक सेवकों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग हेतु एक संतुलित आचार संहिता को लागू किया जाना चाहिए।

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