व्हिसलब्लोअर सुरक्षा कानून : प्रावधान का महत्व और कमी

प्रश्न: भारत में व्हिसलब्लोअर सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए कि क्या व्हिसलब्लोअर सुरक्षा कानून व्हिसलब्लोअर को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराता है। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में व्हिसलब्लोअर सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित कीजिए।
  • व्हिसलब्लोअर सुरक्षा कानून के उद्देश्यों और मुख्य प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  • व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा के लिए प्रावधानों के महत्व और कमियों (यदि हों तो) पर टिप्पणी कीजिए।
  • कानून में सुधार हेतु अपने सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत में प्रतिवर्ष व्हिसलब्लोअर के विरुद्ध हत्या, हिंसा और उत्पीड़न के अनेक मामले दर्ज किये जाते है। भारत में सत्येंद्र दुबे, मंजूनाथ षणमुगम, नरेंद्र कुमार, सतीश शेट्टी आदि व्हिसलब्लोअर के विरुद्ध अपराधों के प्रमुख उदाहरण हैं। इन उदाहरणों तथा RTI कार्यकर्ताओं पर किए जाने वाले भीषण और कभी-कभी जानलेवा हमलों के परिप्रेक्ष्य में देखने पर यह तर्कसंगत प्रतीत होता है कि देश में व्यापक व्हिसलब्लोअर सुरक्षा की आवश्यकता है। मुख्य सार्वजनिक कार्यालयों में भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारे अभियान को बढ़ावा देने हेतु व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा आवश्यक है।

इसी संदर्भ में, लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें भ्रष्टाचार या सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, 2014 लाया गया था।

कानून के प्रमुख प्रावधान

  • किसी भी व्यक्ति द्वारा भ्रष्ट सार्वजनिक अधिकारियों के विरुद्ध प्रकटीकरण/शिकायत की जा सकती है।
  • शिकायतकर्ता की पहचान सार्वजनिक नहीं की जायेगी तथा शिकायतकर्ता की पहचान प्रकट करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जायेगा।
  • जानबूझकर गलत शिकायत करने वालों के लिए अर्थदंड निर्धारित किया गया है।
  • शिकायतें प्राप्त करने, सार्वजनिक प्रकटीकरण अनुरोधों का आकलन और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा संबंधी कार्यभार केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को दिया गया है।

यह कानून, 2004 के सरकारी प्रस्ताव को वैधानिक प्रमाणीकरण प्रदान करता है, जिसमें CVC को व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का अधिकार दिया गया है। यह व्हिसलब्लोअर सुरक्षा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि, इस अधिनियम में गंभीर खामियां हैं जो इसकी प्रभावशीलता को सीमित करती हैं।

क्रम संख्या          क्रम अधिनियम की सीमाएँ                                    इससे उत्पन्न परिणाम
       1 अज्ञात शिकायतों के लिए प्रावधान नहीं हैं उत्पीड़न के भय के कारण वास्तविक शिकायतों में कमी आई है। इसलिए प्रतिवर्ष कुछ ही शिकायतें प्राप्त हुईं हैं।
       2 इसमें केवल लोक सेवकों को कवर किया गया  है मंत्रियों को नहीं। उच्चतम कार्यालयों में भ्रष्टाचार को रोकने की शक्ति को गंभीरता से सीमित करता है।
      3 व्हिसलब्लोअर हेतु किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं। यदि कर्मचारी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं होते हैं तो वे इसके प्रति उदासीन रहते हैं।
      4 जाँच की निश्चित समय सीमा नहीं। इससे वर्षों तक जाँच चलती रहती है, जिससे व्हिसलब्लोअर का  उत्पीड़न हो सकता है।
      5 अधिनियम उत्पीड़न को परिभाषित नहीं यह एक बहुत बड़ा निवारक है और अधिनियम की प्रभावशीलता  को कम करता है
      6 लोक सेवक को दंडित करने की कोई शक्ति नहीं Cvc की शक्ति लोक सेवकों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु उनके संबंधित विभाग को सिफारिश करने तक ही सीमित है और यह उनके विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्यवाही नहीं कर सकता है। इससे भ्रष्ट अधिकारियों को सुरक्षा प्राप्त होती है।
      7 धोखाधड़ी या सार्वजनिक हित के गंभीर क्षति का पता लगाने के लिए कॉर्पोरेट व्हिसलब्लोअर को इसमें शामिल नहीं किया इससे यह अधिमियम PPP और सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं के वितरण में कॉर्पोरेट भागीदारी के वर्तमान समय में अप्रभावी हो  जाता है।

परिणामत: व्हिसलब्लोअर का उत्पीड़न निरंतर जारी है। इसके अतिरिक्त, इस अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में सूचनाओं की दस श्रेणियों को कानून से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। इससे अधिनियम के प्रावधान और कमजोर होगें।

इसलिए, अधिनियम में उत्पीड़न के अर्थ का स्पष्ट उल्लेख करके शिकायतकर्ता के सुरक्षा सम्बन्धी उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ अज्ञात शिकायतों पर कार्यवाही, अधिनियम में मंत्रियों को भी शामिल करना, समयबद्ध जाँच और अन्य सुधारों के माध्यम से व्हिसलब्लोअर को प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है। शिकायतकर्ताओं की व्यापक सुरक्षा एवं त्वरित जाँच और इस महत्त्वपूर्ण कानून की वास्तविक क्षमता को प्राप्त करने हेतु लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को इस कानून के अनुरूप होना चाहिए।

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