केस स्टडीज #मी टू अभियान

प्रश्न: जिस कम्पनी में आप मानव संसाधन विभाग के प्रभारी हैं उसके संचालन प्रमुख के विरुद्ध सोशल मीडिया में एक महिला कर्मचारी ने यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए हैं। यह घटना उन शक्तिशाली पुरुषों के विरुद्ध महिलाओं के सामने आने की हाल की परिघटना के संदर्भ में हुई जिन्होंने विगत समय में उनका यौन उत्पीड़न किया। इस मुद्दे पर छाए आवेश को देखते हुए, आपकी कम्पनी पर उक्त व्यक्ति के विरुद्ध शीघ्र कार्यवाही करने का अत्यधिक दबाव है। आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

(a) दोषारोपण के निवेदन को स्वीकार करना और शीघ्र ही विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही करना।

(b) एक आंतरिक शिकायत समिति के माध्यम से मामले की जाँच करना और इसके द्वारा जाँच परिणामों को प्रस्तुत करने के उपरांत कार्यवाही करना।

दिए गए विकल्पों का विश्लेषण कीजिए और तर्क प्रस्तुत कीजिए कि आप कौन-सी कार्यवाही अपनाएंगे? साथ ही, सुझाव दीजिए कि भविष्य में अपनी कंपनी में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आप कौन-से उपाय करेंगे।

उत्तर:

प्रस्तुत प्रकरण हालिया #मी टू अभियान के एक उदाहरण को प्रस्तुत करता है जिसमें कई महिलाएं उच्च पदों पर आसीन पुरुषों के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों के साथ आगे आई हैं।

प्रमुख हितधारक 

  • महिला कर्मचारी एवं अन्य कर्मचारी
  • मानव संसाधन विभाग के प्रमुख के तौर पर मैं स्वयं
  • समाज / मीडिया
  • संचालन प्रमुख

(a) दोषारोपण के निवेदन को स्वीकार करना और शीघ्र ही विभागीय एवं क़ानूनी कार्यवाही करना

गुण: यह पीड़ित को त्वरित न्याय प्रदान कर सकता है, कंपनी की छवि और ब्रांड की सुरक्षा कर सकता है और अन्य कर्मचारियों के साथ-साथ समाज में एक सुरक्षा का सकारात्मक संदेश भेज सकता है। इस मुद्दे के त्वरित समाधान के कारण महिला कर्मचारियों को सुरक्षित परिवेश में कार्य करने का विश्वास प्राप्त हो सकता है। अन्य दूसरे लोग जो उत्पीड़ित हो सकते हैं उन्हें भी अपनी शिकायतों के साथ आगे आने का विश्वास प्राप्त हो सकता है।

दोष: यह कदम कथित अपराधी को, उसे अपने मामले को प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त समय दिए बिना एक सिद्ध अपराधी के रूप में मानता है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है और साथ ही यह मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला एक त्वरित कदम भी होगा। इस प्रकार का कदम इस अभियान को कुछ लोगों को अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान करता है जो स्वयं इस अभियान के पीछे निहित अच्छे उद्देश्यों को सीमित करता है। यह संगठन के सौहार्द्रपूर्ण कामकाजी परिवेश के समक्ष खतरा उत्पन्न करेगा और सामाजिक मंच का दुरुपयोग होगा।

(b) एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के माध्यम से मामले की जाँच करना और इसके द्वारा जाँच परिणामों को प्रस्तुत करने के उपरांत कार्यवाही करना।

गुण: यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को विभागीय या न्यायिक कार्यवाही का लाभ प्राप्त करने हेतु पर्याप्त अवसर प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उचित न्याय प्रदान किया गया है। 

दोष: ICC की रिपोर्टों के निष्कर्षों के आने में समय लग सकता है और कंपनी पर मीडिया या सामाजिक दबाव को बनाए रख सकता है। इसके अतिरिक्त, कथित अभियुक्त की मौजूदगी अन्य कर्मचारियों (विशेष रूप से महिलाओं) के लिए कामकाजी संस्कृति को असहज बनाती है।

चूंकि विकल्प (a) में कई दोष हैं, इसलिए मैं दूसरे विकल्प का चयन करूँगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि उल्लिखित मामले में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं निदान) अधिनियम, 2013 का उचित रूप में पालन हो। मैं यह भी सुनिश्चित करूँगा कि संचालन प्रमुख जांच प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेंगे।

यौन उत्पीड़न को रोकने हेतु उपाय:

  • स्पष्ट यौन उत्पीड़न नीति को अपनाना।
  • कार्यशालाओं/संगोष्ठियों/कर्मचारी संघों के माध्यम से कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न नीति के बारे में बताना।
  • यौन उत्पीड़न की स्थिति में चुप्पी साधने के स्थान पर शिकायत करने को प्रोत्साहित करना।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं निदान) अधिनियम, 2013 और अन्य कानूनों में उल्लिखित आवश्यक पर्याप्त शिकायत चैनल स्थापित करना।
  • कार्यस्थल पर भेदभावपूर्ण/लैंगिक रूढ़िवाद को प्रोत्साहित करने वाली बातों, लैंगिक भेदभावों आदि को हतोत्साहित करना।

यौन उत्पीड़न से मुक्त परिवेश उपलब्ध कराने हेतु नियोक्ता की ज़िम्मेदारी के अतिरिक्त, यह आवश्यक है कि कर्मचारी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम का अनुपालन करें और सक्रिय भूमिका निभाएं।

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