उत्तर प्रदेश में जनसंख्या विस्फोट के कारणों पर चर्चा करें तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपाय सुझाइए।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका
- जनसंख्या विस्फोट को स्पष्ट करें और उत्तर प्रदेश में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की प्रवृत्ति को बताएं।
मुख्य भाग
- जनसंख्या वृद्धि के कारणों को बताएं।
- जनसंख्या नियंत्रण के उपाय पर चर्चा करें।
निष्कर्ष
- अनुकूलतम जनसंख्या की आवश्यकता को रेखांकित करें।
उत्तर
भूमिकाः
जनसंख्या का अल्पावधि में तीव्र वृद्धि, जनसंख्या विस्फोट है। जनगणना 2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 20 करोड़ (19,98,12,341) है, जो 1951 में केवल 6.32 करोड़ थी। इस प्रकार विगत वर्षों में प्रदेश की जनसंख्या तीन-गुणा हो गयी है। 2001 से 2011 के बीच प्रदेश की जनसंख्या में 3.36 करोड़ की वृद्धि हुई है।
मुख्य भागः
जनसंख्या विस्फोट के कारण
जनांकिकीय/डेमोग्राफिक कारण
- मृत्यु दर में गिरावट: स्वास्थ्य सविधाओं में प्रगति और पहुँच के कारण मृत्युदर में तीव्र गिरावट दर्ज है। 1970-21 में प्रदेश में मृत्यु दर जहाँ 22 प्रति हजार थी घटकर 8.6 प्रति हजार हो गयी है।
- अधिक जन्म दर: जनगणना 2011 के अनसार वर्तमान में उत्तर प्रदेश में अशांधित जन्म दर है। इस प्रकार जन्म दर और मृत्यु दर में अधिक अंतर से जनसंख्या का प्राकृतिक वृद्धि दर उच्च बन 1 25.5 प्रति हजार बद्धि दर उच्च बना हुआ
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धिः उत्तर प्रदेश में विभिन्न कारणों से जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा में सुधार हार वर्तमान में यह 62.7 वर्ष तक पहुँच गया है।
सामाजिक-शैक्षणिक कारण
- विवाह की औसत आयु का कम होना: प्रदेश में विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह की औसत आयु 25 से कम है। इससे प्रजनन अवधि अधिक हो जाती है।
- अशिक्षा: उत्तर प्रदेश में औसत साक्षरता 67.7% है। लेकिन महिला साक्षरता केवल 57.2% है। महिलाओं में अशिक्षा परिवार नियोजन कार्यक्रम में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करते हैं।
- पितृसत्तात्मक समाजः उत्तर प्रदेश का समाज पितृसत्तात्मक है। जिसमें महिलाओं के अधिकार सीमित हैं।
- पुत्र का आकाक्षाः सामाजिक मान्यताओं के कारण ‘पुत्र’ का होना परिवार की वंश वृद्धि के लिए अनिवार्य की इसलिए पुत्र प्राप्ति हेतु अधिक सन्तानोत्पत्ति को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है।
आर्थिक कारण
- गरीबी: गरीबी के कारण परिवार नियोजना तथा गर्भ-निरोध के लिए स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में 29.43% आबादी गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) है।
- पारिवारिक आवश्यकताएँ: कम आय वर्ग के समूह द्वारा परिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक बच्चों का जनन किया जाता है।
प्रशासनिक-राजनीतिक कारण
- परिवार नियोजन कार्यक्रम की विफलता: वर्ष 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारंभ करने वाला भारत विश्व का प्रथम देश था। लेकिन इसका क्रियान्वयन विफल रहा।
- जनसंख्या नियंत्रण के लचीले उपायः उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के कठोर मानदण्डों को नहीं अपनाया गया है। उदाहरण के लिए, दो बच्चों की नीति के आधार राजनीतिक व प्रशासनिक संगठन/क्षेत्र में प्रवेश का प्रावधान कई राज्यों में लागू है।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय
- नए गर्भ-निरोधकों की तलाश: परम्परागत गर्भ-निरोधकों के साथ नए गर्भ-निरोधकों की खोज आवश्यक है। जो उपयोग में आसान, अहानिप्रद, सस्ते और सुविधाजनक हों।
- गैर-सरकारी संगठनों की सहायताः गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रसारित किया जा सकता है। साथ ही परिवार नियोजन कार्यक्रम को भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
- प्रोत्साहन योजना (Incentive Plan): दो बच्चों के पश्चात् नशबंदी करवाने वाले दंपत्तियों को प्रोत्साहन राशि का वितरण किया जाना चाहिए। बिहार ने हाल ही में इस नीति को अपनाया है।
- हतोत्साहन योजना (Disincentive Plan): सरकारी नौकरी और पंचायत इत्यादि चुनावों में दो से अधिक बालकों वाले परिवार को प्रतिबंधित किया जा सकता है। राजस्थान में यह योजना लागू की गयी है।
- स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार : ग्रामीण, सुदूर तथा जनजातीय क्षेत्रों में मोबाइल स्वास्थ्य सेवाओं का प्रयोग लाभकारी होगा।
- अंचल एवं क्षेत्रों के विभाजन: उच्च प्रजनन दर वाले प्रदेशों की पहचान कर उस क्षेत्र में अधिक गहन योजना को क्रियान्वित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, शिक्षा, जागरूकता, महिला अधिकारों को प्रोत्साहन आर्थिक विकास का समावेशी पहुँच इत्यादि भी जनसंख्या विस्फोट को रोकने में सहायक उपाय हैं।
निष्कर्षः
जनसंख्या विस्फोट, संसाधनों पर दबाव उत्पन्न करने के साथ ही अनेक समस्याओं को जन्म देता है। इसलिए उत्तर प्रदेश के संतुलित, समावेशी और सतत् विकास के लिए अनुकूलतम जनसंख्या के लक्ष्य को प्राप्त करना आवश्यक है।